ढाई करोड़ की चोरी और बस एक गलती... एक फोन कॉल से केस सॉल्व, चोरों का सच हैरान करने वाला

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ढाई करोड़ की चोरी और बस एक गलती... एक फोन कॉल से केस सॉल्व, चोरों का सच हैरान करने वाला
सांकेतिक तस्वीर
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Mumbai Crime:  आधार कार्ड और आधार नंबर बड़े ही काम की चीज है। ये बात मुंबई की पुलिस हर जगह गाती घूम रही है। अब कोई ये सोच सकता है कि मुंबई पुलिस को ऐसा क्या हो गया कि वो सारा काम धाम छोड़कर आधार का गाना गाने लगी। असल में आधार के एक नंबर ने मुंबई पुलिस की इज्जत को तार तार होने से बचा लिया।  क्योंकि मुंबई की पुलिस ने उसी आधार के जरिए एक ऐसा केस सुलझा लिया, जिसके न सुलझने की सूरत में उसके कपड़े तक फाड़े जा सकते थे, हर जगह फजीहत हो सकती थी और मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर उसे कोसा जाता सो अलग।।

पुलिस जब रही आधार की माला

तो चलिए आपको चोरी का वो किस्सा बताते हैं जिसकी वजह से इस वक़्त मुंबई पुलिस आधार की माला जप रही है।  तो हुआ यूं कि मुंबई के खार इलाके में पुलिस को खबर मिली कि यहां एक मकान में चोरी हुई है। अब मुंबई का ये उपनगर खार असल में वो इलाका है जहां ज़्यादातर रहने वाले लोग करोड़पति हैं। या तो बड़े कारोबारी हैं,  उद्योगपति या फिर जानी मानी हस्तियां हैं। ऐसे थाने तक पहुँची इस शिकायत को लेकर पुलिस मामूली समझने की भूल इसलिए भी नहीं कर सकती थी क्योंकि जिस इलाके से पुलिस को रिपोर्ट मिली थी, वहां आमतौर पर कोई छोटी मोटी चोरी की न तो परवाह करता है और न ही उसके बारे में किसी से कोई बात। जाहिर है चोरी की बात अगर थाने तक पहुँची थी तो जरूर उसमें कोई तो ऐसी खास बात रही होगी जिसकी वजह से अक्सर नज़रअंदाज होने वाली बात ने किसी बड़े और अमीर घर की दहलीज लांघी। 

चोरी की शिकायत से चौंक गई पुलिस

जब पुलिसवालों ने चोरी की उस शिकायत को देखा तो उनकी भी आंखे फटी की फटी रह गईं। क्योंकि मायानगरी में हाल के वक्त में हुई तमाम चोरी की वारदातों में से ये सबसे अलग नज़र आ रही थी। एक तो चोरों ने जिस तरीके से इस वारदात को अंजाम दिया, वो बेहद चौंकानें वाला था और दूसरा चोरों ने जिस माल पर हाथ साफ किया था, वो भी मामूली नहीं था। करोड़ों की बात थी। और इससे भी ज़्यादा गौर करने वाली बात ये थी कि जो चोरी हुआ वो सामान ऐसा था जिसे बड़ी ही आसानी से छुपाया जा सकता था। ऐसे में उसकी चोर पर किसी को कोई शक भी नहीं हो सकता। 

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सेठ के घर करोड़ों पर हाथ साफ

तो चलिए सबसे पहले खार पुलिस स्टेशन पर जो शिकायत लिखाई गई थी उस पर गौर करते हैं। पुलिस की तहरीर में लिखा था कि खार इलाके में रहने वाले एक 55 साल के सेठ के घर चोरी हुई। और चोरों ने करीब ढाई करोड़ रुपये के जेवरों पर हाथ साफ किया। शिकायत में यही लिखा था कि जो जेवर चोरी हुए वो सारे के सारे हीरे के थे। हीरे के जेवरों की चोरी की बात सुनते ही पुलिस पहले ही अलर्ट हो गई थी लेकिन जब उसने शिकायत का अगला हिस्सा पढ़ा तो उसकी हैरानी और परेशानी का ठिकाना नहीं रहा । क्योंकि अब उस शिकायत में चोरों की उस हरकत का जिक्र था जिसने पुलिस को झकझोरा था। शिकायत में लिखा गया था कि चोरों ने सेठ और पूरे परिवार को कुछ ऐसी नशीली चीज खिलाई कि सभी की जान के लाले पड़ गए। घरवालों का उल्टी करते करते बुरा हाल था। गनीमत ये रही कि सेठ और उसके घरवालों को समय रहते अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया तो वक्त पर इलाज मिलने से उनकी जान बच गई। मतलब साफ था कि चोरों ने पहले घर के तमाम लोगों को कुछ खिला पिला कर बेहोश किया और फिर तिजोरी पर हाथ साफ किया। 

खिला पिलाकर सेठ को लगाया चूना

इस शिकायत को देखते ही पुलिस ये तो समझ गई कि जिन चोरों ने सेठ को चूना लगाने की जुर्रत की है...वो सेठ के परिवार से अनजान तो कतई नहीं हो सकते। क्योंकि कोई भी अनजान चोर किसी कोठी में घुसकर सेठ और उसके परिवार को कुछ खिला पिला नहीं सकता है।  अनजान लोगों के हाथों से लेकर कुछ खाने पीने का चलन भी अब खत्म ही हो गया है और वैसे भी कोई चोर किसी भी घर में तब घुसकर चोरी की वारदात को अंजाम देने के बारे में प्लान कर सकता है जब उस घर में कोई हो ही न। 

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शिकायत में छुपा था चोरों का सुराग

ऐसे में ये तो साफ हो जाता है कि चोर और सेठ के साथ साथ उनके परिवार को लेग एक दूसरे को अच्छी तरह जानते रहे होंगे। लिहाजा मुमकिन है कि चोरी की इस वारदात में किसी भीतरवाले का ही हाथ हो। यानी घर का कोई ऐसा भेदिया जो सेठ और उनके परिवार के लोगों के साथ साथ घर में रखी तिजोरी के बारे में अच्छी तरह जानता और समझता हो। पुलिस अभी करोड़ों की इस चोरी की वारदात की छानबीन का सिलसिला शुरू करने का इरादा कर ही रही थी तभी उसे उसी शिकायत में छुपा एक सुराग भी मिल गया। क्योंकि सेठ ने अपनी शिकायत में एक बात बड़े खासतौर पर लिखाई थी। और वो बात थी कि चोरी की उस वारदात के बाद से ही उसके घर के दो नौकर लापता हैं। एक का नाम था नीरज उर्फ राजा और दूसरा था राजू उर्फ शत्रुघ्न। दोनों ही 19-20 साल के लड़के थे।  अब पुलिस को इतना तो यकीन हो गया कि शिकायत में दर्ज तमाम सीक्वेंस के हिसाब से चोरी की इस वारदात में उन्हीं दोनों लापता नौकरों का हाथ हो सकता है। लिहाजा अब पुलिस ने सबसे पहले उन लड़कों की सारी डिटेल इकट्ठा करनी शुरू कर दी। 

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पुलिस को मिला चोरों का आधार कार्ड

समस्या ये थी कि उनके बारे में जो कुछ सेठ ने शिकायत में लिखवाया था उससे तो चोरों का कोई पता चल नहीं सकता। कद काठी चेहरा मोहरा तो ठीक है, वो तो तस्वीर और घर के लोगों की बातों से भी पता चल सकता था। लेकिन मुश्किल ये थी कि 10 फरवरी को चोरी की ये वारदात हुई और पुलिस के पास शिकायत पहुँची थी अगले रोज। यानी ये इतना वक्त था कि कोई भी चोर आसानी से वहां से हिन्दुस्तान के किसी भी हिस्से में पहुँच सकता है और भीड़ का हिस्सा बन सकता है। तब पुलिस ने सेठ से चोरों के सामान और उनकी किसी पहचान के बारे में जानना चाहा। तब सेठ ने बताया कि राजा और राजू के सामान से उन्हें एक चिट्ठी और एक आधार कार्ड मिला है। 

बिहार पुलिस से मांगी मदद

 पुलिस को उस आधार कार्ड के ये पता लग गया कि दोनों ही नौकर बिहार के रहने वाले हैं। यानी पुलिस के टारगेट अब मुंबई से सैकड़ों किलोमीटर दूर पहुँच चुके ये। क्योंकि उन दोनों नौकरों के मोबाइल नंबरों की ट्रैकिंग से ये बास साफ हो गई कि वो अब मुंबई से सैकड़ों मील दूर जा चुके हैं और उनकी लोकेशन बिहार में दिख रही है। तब खार पुलिस ने बिहार पुलिस से संपर्क किया और दोनों का मोबाइल नंबर भी साझा कर लिया। बिहार पुलिस के भरोसे मुंबई पुलिस को थोड़ा इंतजार जरूर करना पड़ा लेकिन जल्दी ही कामयाबी हाथ लग गई। बिहार पुलिस ने मुंबई पुलिस की मदद की और उन दोनों यानी राजू और राजा को धर दबोचा और मुंबई पुलिस को इत्तेला दे दी कि उनके शिकार अब बिहार पुलिस के कब्जे में हैं। मुंबई पुलिस ने फौरन बिना देरी किए बिहार से दोनों को पकड़कर खार पुलिस स्टेशन ले आई। 

जब चोरों का मुंह खुलवाया…

उसके बाद पुलिस ने जब दोनों का मुंह खुलवाया तो दोनों ने तोते की तरह रटते हुए चोरी करने का सारा किस्सा ही सुना दिया। लेकिन उन दोनों ने जो बताया उससे पुलिस को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया। क्योंकि दोनों नौकरों ने खाने में चूहे मारने वाली दवा मिला दी थी। क्योंकि उन दोनों को कहीं से ये पता चल गया था कि अगर चूहे मारने वाली दवा थोड़ी सी ही मिलाई जाए तो उससे आदमी मरता नहीं है। 

खाना खिलाकर कर दिया बेहोश

राजू और राजा ही घर का सारा सामान लाते थे और घर में खाने पीने की चीजों की खरीद करते करते दोनों चूहे मारने वाली दवा ले आए और 10 फरवरी की रात को जब परिवार को लोग खाना खाने बैठे तो उन दोनों ने खाने में ही चूहे मारने वाली दवा मिला दी। जब घर के सारे लोग रात का खाना खाकर सोने चले गए तो थोड़ी ही देर में उन पर बेहोशी छा गई। दोनों बड़ी ही उस मौके का इंतजार कर रहे थे। तिजोरी की चाबी और उसे खोलने का तौरतरीका उन्हें पहले से ही पता था क्योंकि उसके लिए वो पिछले कई दिनों से रेकी कर रहे थे। जैसे ही घर के लोग खाना खाने के बाद बेहोश हुए राजा और राजू ने तिजोरी से सिर्फ उन्हीं गहनों पर हाथ साफ किया जो हीरे के थे। क्योंकि ज्यादा सामान लेकर अगर निकलते तो पकड़े जाने का डर था। लिहाजा हीरे की अंगूठियां, हीरे के हार और कंगन लेकर ही दोनों रात में ही भाग निकले। अपने घर जाने की टिकट पहलेसे ही उन लोगों ने बुक करवा रखी थी लिहाजा चोरी के बाद सीधे वो अपने गांव भाग गए। बस एक गलती कर गए कि अपना सामान और आधार कार्ड वो वहीं भूल गए। जिसकी वजह से पुलिस उन तक जा पहुँची। 

पहले भी कर चुका था 50 लाख की चोरी

पुलिस ने दोनों को पकड़ने के बाद जब उनकी कुंडली खंगाली तो एक और खुलासा हो गया। असल में राजू यानी शत्रुघ्न पहले भी पुलिस के हत्थे चढ़ चुका था। पुलिस ने उसे 50 लाख की चोरी के इल्जाम में गिरफ्तार किया था। और इस चोरी का आइडिया भी उसी का था। क्योंकि वो जान चुका था कि ऐसे सेठों के घरों में कीमती जेवर कहां रखे जाते हैं। जिन्हें चुराकर घर भागने के लिए उसने राजा को भी तैयार कर लिया था। इन दोनों चोरों के पकड़े जाने के बाद पुलिस एक तो दोनों की कुंडली खंगाल रही और साथ ही साथ उस आधार कार्ड का गीत गुनगुना रही है जिसने पुलिस की खाकी की क्रीज को मिटने से बचा लिया। 

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