Mumbai Attack 26/11 : मुंबई हमले में बचे सबसे कम उम्र 2 साल के बच्चे मोशे के नाना ने भारत के लिए कही ये बड़ी बात, 15 साल पहले हमले में हुई थी माता-पिता की मौत
Mumbai Attack 26/11 15 years : मुंबई हमले के 15 साल. 2 साल के मोशे के नाना ने भारत को शुक्रिया किया. मोशे के माता पिता की हुई थी मौत. बच्चा बच गया था.
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Mumbai Attack 26/11 : आज से ठीक 15 साल पहले 2008 में मुंबई में आतंकी हमला हुआ था. तारीख थी 26 नवंबर. 26/11 मुंबई अटैक आज भी हमें दहला देती है. वो मंजर. वो खौफ. देश दुनिया की नजरें मुंबई पर टिकी थी. जान बचाने की दुआएं मांगी जा रहीं थीं. और मौके पर हमारे देश के जांबाज अपनी शहादत के साथ लोगों की जान बचाने में जुटे थे. उस हमले में 2 साल का एक बच्चा बाल-बाल बचा था. उसका नाम था मोशे. मोशे अब 17 साल का हो चुका है. 26/11 मुंबई हमले में मोशे के माता-पिता दोनों की मौत हो गई थी. अब वो उस घटना को याद करते हुए अपने दुख को PTI न्यूज एजेंसी से साझा किया है. आखिर क्या वो बोले हैं. आइए जानते हैं.
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमले में बाल-बाल बचे मोशे होल्त्सबर्ग के नाना-नानी ने उनका दुख महसूस करने और उसे अपना समझने के लिए भारत के लोगों का आभार व्यक्त किया है। पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में कई स्थानों पर हमला किया था जिनमें से एक ‘नरीमन हाउस’ भी था जिसे चाबड हाउस भी कहा जाता है। मोशे उस वक्त सिर्फ दो वर्ष का था और हमले के वक्त अपने माता-पिता गैब्रिएल होल्त्बर्ग एवं रिवका होल्त्सबर्ग के साथ नरीमन हाउस में था। उस बर्बर हमले में मोशे के माता-पिता मारे गए थे।
हम पूरी दुनिया में शांति चाहते हैं : मोशे के नाना
Mumbai 26/11 Attack : मोशे के नाना रब्बी शिमोन रोसेनबर्ग ने पीटीआई से कहा, ‘‘भारत के लोगों को याद है कि 15 वर्ष पहले आज के दिन क्या हुआ था। हमारे परिवार पर और अन्य इजराइली परिवारों पर जो कहर टूटा था आपको याद है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं, मेरी पत्नी येहुदित और मोशे दिल से ये मानते हैं और इस बात के लिए भारत में आप सबका आभार व्यक्त करना चाहते हैं कि आपने हमारे दुख को महसूस किया और उसे अपना समझा।’’ हजराइल और हमास के बीच युद्ध की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष ने खासतौर पर दिखाया कि आतंकवादी किस तरह से यहूदियों की हत्या करना चाहते हैं, लेकिन हम पूरी दुनिया में शांति चाहते हैं।’’
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नन्हे मोशे को हमले से बचाकर उसे सीने से चिपकाए उसकी नैनी सैंड्रा की एक तस्वीर सामने आई थी जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। रोसेनबर्ग ने कहा, ‘‘मोशे ठीक है और येशिवा में पढ़ाई कर रहा है। सैंड्रा इजराइल में है और सप्ताहांत में यरूशलम से हमारे पास आती है। वह हमारे परिवार की सदस्य की ही तरह है और यह घर उसका भी है।’’ सैंड्रा को इजराइल सरकार ने मानद नागरिकता दी थी और उसे ‘राइटियस जंटिले’ की उपाधि से सम्मानित किया था। यह एक दुर्लभ सम्मान है और यह उन लोगों को दिया गया जिन्होंने नरसंहार के दौरान यहूदियों को बचाने में अपनी जान जोखिम में डाली।
परिवार ने इस वर्ष हिब्रू कैलेंडर के अनुसार 13 नवंबर को अपने निकट संबंधियों की याद में अफुला में वर्षिक प्रार्थना की थी। पिछले वर्ष मोशे ने एक वीडियो संदेश जारी कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंक का मुकाबला करने के तरीकों की तलाश करने की मार्मिक अपील की थी ताकि ‘‘किसी को भी उस पीड़ा से नहीं गुजरना पड़े जिससे वह गुजरा है।’’ उस वीडियो में मोशे ने अपने बचने की कहानी भी साझा की। वह सिर्फ सैंड्रा के साहस के कारण ही बच सका ‘‘जिसने उसे बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली थी।’’ मोशे ने अपनी परवरिश की कहानी भी दुनिया के साथ साझा की। वह अपने नाना-नानी के साथ रहता है और वे उसकी परवरिश अपने बेटे की तरह कर रहे हैं।
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उसने वीडियो में 2017 में इजराइल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपनी मुलाकात को भी याद किया। उसने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे प्यार से गले लगाया और मुझे मेरे नाना-नादी के साथ भारत आने का न्योता दिया।’’ दस पाकिस्तानी आतंकवादी 26 नवंबर 2008 को समुद्री मार्ग से दक्षिण मुंबई के इलाकों में घुसे थे और उन्होंने चाबड हाउस सहित कई स्थानों पर हमला किया था। इन हमलों में छह यहूदियों और 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे।
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