Mukhtar Ansari News: कृष्णानंद राय कौन थे? ये केस कैसे मुख्तार अंसारी के लिए काल साबित हुआ? चली थी 500 गोलियां!

ADVERTISEMENT

Mukhtar Ansari News: कृष्णानंद राय कौन थे? ये केस कैसे मुख्तार अंसारी के लिए काल साबित हुआ? चली थी ...
Krishnanand Rai Case
social share
google news

Krishnanand Rai Case: कृष्णानंद राय पहली बार 1996 में मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे। वो सपा की टिकट से चुनाव लड़े थे। दूसरी तरफ प्रत्याशी थे अफजाल अंसारी। यह उनका पहला चुनाव था। वह अपना पहला चुनाव हार गए थे। ठीक 6 साल बाद बीजेपी ने उन्हें टिकट दी। वो 2002 में विधायक बने। उन्होंने अंसारी को इसी विधानसभा सीट से हराया था। ये बात मुख्तार अंसारी को नागवार गुजरी। आरोप है कि मुख्तार अंसारी ने इसका बदला लिया और कृष्णानंद राय को मरवा डाला।

...2002 में कृष्णानंद राय चुने गए थे विधायक

राय तीन सालों तक विधायक रहे। 2005 में मुख्तार पर मऊ में दंगा कराने के आरोप लगे थे। भरत मिलाप पर हुए पथराव के बाद शुरू हुई हिंसा में कई लोग मारे गए थे। कुछ फुटेज में दावा किया गया था मुख्तार खुली जिप्सी में घूमकर एक पक्ष को दूसरे के खिलाफ भड़का रहे हैं। हालांकि उनका कहना था कि वह लोगों को समझा रहे थे। मुख्तार ने 25 अक्टूबर 2005 को समर्पण कर दिया और गाजीपुर जेल चले गए। इसके बाद वो बिना बुलेटप्रूफ गाड़ी के भी निकल जाते थे।

ADVERTISEMENT

...जब बिना बुलेटप्रूफ गाड़ी लेकर निकले थे राय

29 नवंबर 2005 को उन्हें करीमुद्दीनपुर इलाके के सेनाड़ी गांव में एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करने जाना था। वह बुलेटप्रूफ गाड़ी छोड़कर सामान्य गाड़ी में चले गए। इसकी मुखबिरी हो गई। शाम 4 बजे के आसपास जब वह अपने गांव गोडउर लौट रहे तो बसनियां चट्टी पर उन्हें घेर लिया गया और एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग की गई, तकरीबन 500 गोलियां चलाई गईं। कृष्णानंद समेत 7 लोग मारे गए। कृष्णानंद राय के शरीर से 67 गोलियां निकाली गईं।

ADVERTISEMENT

कृष्णानंद राय की चुटिया

ADVERTISEMENT

कृष्णानंद राय की चुटिया उस समय फेमस हो चुकी थी। हमलावरों में से एक हनुमान पांडेय ने उनकी चुटिया काट ली थी। बाद में उसी दौरान का एक ऑडियो सामने आया जिसमें मुख्तार जेल से ही एक माफिया से बात कर रहे हैं और बता रहे हैं चुटिया काट लिहिन।

...जब पूर्वांचल जल उठा

कृष्णानंद राय की हत्या के बाद पूर्वांचल में हिंसा हो गई थी। बसें फूंकी गईं, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। उस वक्त प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर केस दिल्ली ट्रांसफर किया गया, लेकिन सबूतों के अभाव में 3 जुलाई 2019 को दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने मुख्तार, अफजाल समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

…जब मुख्तार अंसारी को मिली सजा

कृष्णानंद राय हत्याकांड में गैंगस्टर ऐक्ट का मुकदमा गाजीपुर न्यायालय में विचाराधीन था। इस मामले में मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी को लेकर कोर्ट ने सजा सुनाई थी। मुख्तार को 10 साल की सजा और अफजाल को 4 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा क्रमशः 5 लाख और एक लाख का जुर्माना भी दोनों पर लगाया गया था। यह मामला 16 साल पुराना है, जो कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़ा है।

ऐसे शुरू हुआ कृष्णानंद राय का राजनीतिक सफर

कृष्णानंद राय साल 1955 में भांवरकोल ब्लॉक के गोडउर गांव में जन्मे थे। कक्षा 5 तक की पढ़ाई उन्होंने गांव के ही प्राथमिक स्कूल में की। इसके बाद उनके बड़े भाई श्याम नारायण राय वाराणसी शिफ्ट हो गए। उनके साथ ही परिवार के अन्य लोगों के साथ कृष्णानंद राय भी बनारस जा बसे। आगे की पढ़ाई कृष्णानंद राय ने बनारस के सेंट्रल हिंदू बॉयज स्कूल से की थी। इस स्कूल से 12वीं पास करने के बाद उन्होंने बीएससी कोर्स में बीएचयू में दाखिला ले लिया।

मनोज सिन्हा और राय में थी दोस्ती

कृष्णानंद राय की मनोज सिन्हा से दोस्ती थी। मनोज सिन्हा, कृष्णानंद राय के पैतृक गांव के समीप के ही गांव के रहने वाले थे। दोनों एक ही इलाके से और भूमिहार जाति से आते थे। ऐसे में कृष्णानंद राय मनोज सिन्हा के छात्र राजनीति के दौरान चुनावों के संबंध में उनका खुलकर प्रचार और मदद करने लगे। बीएचयू से पढ़ाई खत्म करने के बाद कृष्णानंद राय बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन और कोयला आदि के व्यवसाय में उतर पड़े। वह पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारी से लेकर कोल माइंस के ठेके तक में शामिल रहने लगे।

2005 से ही जेल में था मुख्तार

मुख्‍तार की पत्‍नी अफसा अंसारी पर 11 मुकदमे दर्ज हैं। मुख्‍तार के बेटे अब्‍बास पर 8 और छोटे बेटे उमर पर 6 केस दर्ज हैं। मुख्‍तार की बहू निखत पर भी एक मुकदमा दर्ज है। इतना ही नहीं मुख्‍तार के भाइयों अफजाल पर 7 मामले तो सिगबतुल्‍लाह पर 3 केस चल रहे हैं। माफिया मुख्तार अंसारी की दबंगाई ही ऐसी थी कि पहले तो उसके अपराध पर मामला दर्ज नहीं होता था और यदि हो भी जाए तो उसके खिलाफ गवाही देने के लिए कोई तेयार नहीं होता था। करीब 40 सालों बाद जब प्रदेश में योगी सरकार थी। उस दौरान उसे उम्र कैद की सजा हुई। 

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    ऐप खोलें ➜