मुरैना में जहरीली गैस से पांच श्रमिकों की मौत, कारखाना मालिक, प्रबंधक पर मामला दर्ज

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मुरैना में जहरीली गैस से पांच श्रमिकों की मौत, कारखाना मालिक, प्रबंधक पर मामला दर्ज
जांच में जुटी पुलिस
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MP Crime News: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक खाद्य प्रसंस्करण कारखाने में संदिग्ध जहरीली गैस के कारण पांच मजदूरों की मौत के बाद पुलिस ने मालिक और प्रबंधक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि पुलिस ने कारखाने के प्रबंधक को हिरासत में ले लिया है लेकिन मालिक फरार है। उन्होंने बताया कि बुधवार को जिले के धनेला इलाके में साक्षी फूड प्रोडक्ट्स कारखाने में संदिग्ध जहरीली गैस की चपेट में आने से तीन भाइयों समेत पांच मजदूरों की मौत हो गई। उनके अनुसार कारखाने में टूटी फ्रूटी बनती है, जो कच्चे पपीते और खाद्य उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले ‘शुगर-फ्री’ रसायनों का उपयोग करके बनाई जाती है।

मालिक और प्रबंधक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला

अधिकारियों ने बताया कि बुधवार सुबह करीब 11 बजे फैक्टरी के अंदर एक टैंक से गैस निकलने लगी और इसे जांचने के लिए पांच मजदूर एक के बाद एक उसमें घुसे। नूराबाद के थाना प्रभारी मलखान सिंह चौहान ने कहा, 'घटना के बाद, फैक्टरी के मालिक सृजल अग्रवाल और उसके प्रबंधक संजय कुशवाह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है।' ग्वालियर स्थित औद्योगिक सुरक्षा विभाग के उप निदेशक आनंद राय सरदार ने कहा कि कारखाने में सुरक्षा उपाय करने में लापरवाही बरती गई और अप्रशिक्षित श्रमिकों को बिना ऑक्सीजन सिलेंडर और सुरक्षा किट के टैंक के अंदर जाने के लिए कहा गया।

‘वेंटिलेशन या एग्जॉस्ट पंखे’ की कमी 

उन्होंने कहा कि जिस हॉल में टैंक स्थित थे, वहां ‘वेंटिलेशन या एग्जॉस्ट पंखे’ की कमी थी। उन्होंने जानमाल के नुकसान के लिए फैक्टरी प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ''किसी रसायन के बजाय नमक के साथ पपीता मिलाने से जहरीली गैस बनी होगी, जिससे यह दुर्घटना हुई।'' हालांकि, कारखाना मालिक अग्रवाल के पिता ने दावा किया कि वे कारखाने में नमक के साथ पपीता मिलाने की इस विधि का इस्तेमाल वर्षों से कर रहे हैं और जिन मजदूरों की जान गयी है वे काफी समय से यह काम कर रहे थे। उन्होंने घटना को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए यह भी दावा किया कि हॉल में स्थित बाकी पांच टैंकों में ऐसी कोई गैस नहीं बनी थी, जिन्हें भी मजदूरों ने साफ किया था।

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(PTI)

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