Divya Murder Mystery: हत्या वाला रूम और मॉडल की गुमशुदा लाश बन गई पुलिस के लिए पहेली
Hotel Owner Abhijeet And BMW Car: आखिर दिव्या की लाश कहां गई, क्योंकिलाश को ठिकाने लगाने के लिए अभिजीत ने 10 लाख रुपये खर्च किए।
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Divya Pahuja Murder Case: गुरुग्राम में 2 जनवरी को मॉडल दिव्या पाहुजा की हत्या की गई थी। और पांच जनवरी तक यानी 72 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस अभी तक लाश बरामद नहीं कर सकी है। सवाल उठता है कि आखिर दिव्या की लाश कहां गई। क्या अभिजीत ने लाश को घग्गर नदी में ठिकाने लगाया। क्योंकि पुलिस को पटियाला के पास नहर के पास से वही ब्ल्यू कलर की BMW DD03K240 कार पुलिस को मिली। कार में दिव्या के खून के निशान भी पुलिस को मिल गए, मगर जिसकी पुलिस को शिद्दत से तलाश हो यानी दिव्या की लाश वो अभी तक उसे नहीं मिली है। सवाल उठता है कि दिव्या की लाश कहां गई? उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गया।
10 लाख में लाश लगाई ठिकाने
पुलिस अभी तक अभिजीत से ये नहीं कबूल करवा पाई है कि आखिर उसने दिव्या की लाश को कहां ठिकाने लगाया। ये बात तो साफ हो गई है कि लाश को ठिकाने लगाने के लिए अभिजीत ने 10 लाख रुपये खर्च किए। लेकिन ये दस लाख रुपये कहां कहां और कैसे कैसे खर्च हुए जिससे पुलिस दिव्या की लाश तक न पहुँच सके।
सवाल यही उठता है कि आखिर दिव्या की लाश के साथ क्या किया गया
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क्या दिव्या की लाश नदी की तेज धार में बहा दिया गया।?
क्या दिव्या की लाश को नहर में ही फेंक दिया गया?
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क्या दिव्या की लाश को कहीं गाड़ दिया गया और पुलिस की तफ्तीश की दिशा को भटकाने के लिए गाड़ी ले जाकर नहर के किनारे खड़ी कर दी?
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क्या दिव्या की लाश को कहीं ले जाकर जला दिया गया?
क्या दिव्या की लाश को टुकड़े टुकड़े करके कहीं फिकवा दिया गया ?
ऐसे ही अनगिनत सवालों के बीच दिव्या की लाश की पहेली को सुलझाने के लिए पुलिस भटक रही है।
पढ़ा लिखा है आरोपी
यहां गौर करने वाली बात ये है कि मॉडल दिव्या पाहुजा की हत्या के सिलसिले में जिस अभिजीत सिंह को गिरफ्तार किया गया है, वो एक पढ़ा लिखा इंजीनियर भी है। ऐसे में वो कुछ ऐसी बातों को जरूर जानता होगा कि कत्ल के केस में किन किन बातों से उसकी सज़ा पर कैसा और कितना असर हो सकता है।
पुलिस को भटका भी सकता है
ऐसे में वक्त को जाया करने और लाश को पुलिस के हाथों न पड़ने देने के कई उपाय उसने सोचे हो सकते हैं। और पुलिस को भटकाने के लिए उसने उन उपायों की तरफ उन्हें झांकने की भी फुर्सत नहीं दी होगी, जिससे पुलिस किसी भी तरह लाश तक पहुँच जाए।
ऐसे भी खा सकती है पुलिस गच्चा
एक अंदाजा ये भी लगाया जा रहा है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अभिजीत को पानी के बहाव, और पानी की धारा में किसी भी चीज के बहने की रफ्तार के बारे में जरूरी गुणा भाग करने की अच्छी खासी तमीज होगी, ऐसे में मुमकिन है कि अभिजीत ने पुलिस को नदी में लाश फेंकने का जो वक्त बताया हो, उससे भी काफी पहले उसने दिव्या की लाश को नदी के हवाले कर दिया हो। जिससे पानी के बहाव की गणना के हिसाब में पुलिस एक बार फिर गच्चा खा जाए और लाश बहकर उससे कहीं दूर निकल जाए।
कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना
ये भी मुमकिन है कि कार को बीएमडब्ल्यू में रखा तो गया हो, लेकिन बाद में उसे कहीं किसी वीराने में दूसरी गाड़ी में शिफ्ट कर दिया हो और बीएमडब्ल्यू कार को ले जाकर नदी किनारे खड़ा कर दिया हो। ताकि कार मिलने के बाद पुलिस का पहला शक लाश को नदीं में ठिकाने लगाने का ही आएगा। इस बीच दिव्या की लाश किसी और ठिकाने पर जा पहुँची हो, जिसके बारे में पुलिस सपने में भी न सोच सके। जाहिर है जब तक लाशनहीं मिल जाती, पुलिस अभिजीत को जेल तो भेज सकती है लेकिन उस पर जुर्म साबित करना मुश्किल हो सकता है। औरयहीं से उसके बचने के रास्ते निकल आते हैं।
पुलिस फिर चूकी
इसी बीच मीडिया में जिस एक खबर ने पुलिस और उसकी कार्रवाई पर सवाल उठाने शुरू किए उसके सामने आने के बाद लोग जबरदस्त तरीके से चौंके हैं। खुलासा कहता है कि गुरुग्राम के जिस सिटी प्वाइंट होटल में दिव्या पाहुजा की हत्या हुई, और पुलिस को हत्या की इत्तेला मिली, तो पुलिस ने होटल की चेकिंग की थी और चेकिंग के बाद पुलिस वहां से वापस लौट गई थी। जबकि लाश उस वक़्त उसी होटल में मौजूद थी। लेकिन उस कमरे में नहीं जिसकी तलाशी लेकर पुलिस ने खानापूर्ति या यूं कहें फर्ज अदायगी कर दी थी।
कमरों की अदला बदली
बताया जा रहा है कि जिस होटल में दिव्या पाहुजा की गोली मारकर हत्या की गई उसी होटल में अभिजीत के लिए हमेशा कमरा नंबर 114 बुक रहता है। जबकि उस रात अभिजीत और दिव्या कमरा नंबर 111 में टिके और वहीं दिव्या की हत्या हुई। लेकिन लाश को कमरा नंबर 114 में छुपा दिया गया था। पुलिस ने उसी कमरे की तलाशी ली जिसमें अभिजीत और दिव्या रुके थे।
सीसीटीवी का सच
इसी बीच होटल के सीसीटीवी से ये बात सामने जरूरी आई है कि दिव्या की लाश को एक कमरे से दूसरे कमरे में शिफ्ट किया गया। यानी जिस कमरे में हत्या की गई लाशको वहां से निकालकर दूसरे कमरे में छुपा दिया गया और पुलिस को वो कमरा दिखा दिया गया जिसमें लाश नहीं थी। पुलिस भी फर्ज अदायगी के बाद हाथ झाड़ते हुए होटल से वापस लौट गई। उसके बाद आरोपियों को लाश को ठिकाने लगाने का भरपूर मौका मिल गया। औरअब बारी एक बार फिर पुलिस के भटकने की है।
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