कोर्स मोबाइल की चोरी, ट्रेनिंग 45 दिन, सैलरी 25 हजार, कैंपस प्लेसमेंट की गारंटी, फॉरेन असाइनमेंट भी

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कोर्स मोबाइल की चोरी, ट्रेनिंग 45 दिन, सैलरी 25 हजार, कैंपस प्लेसमेंट की गारंटी, फॉरेन असाइनमेंट भी
सांकेतिक तस्वीर
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Mobile Chori Job: इन दिनों नौकरी की मारा मारी है। हर नौजवान किसी भी तरह से नौकरी करना चाहता है। और नौकरी के लिए वो कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता है। इसी गरज से दुनिया भर में कई प्रोफेशनल कोर्स भी मार्केट में हैं जिन्हें पूरा करते ही नौकरी मिलने की गारंटी हो जाती है। ऐसे ही एक मामला सामने आया जिसे सुनकर होश उड़ सकते हैं। 

मोबाइल चोरी की नौकरी 

क्या कभी आपने सुना है कि कहीं मोबाइल चोरी की नौकरी हो सकती है और नौकरी से पहले उसकी बाकायदा डेढ़ महीने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। लेकिन जॉब देने वाले तो गजब करते हैं और जॉब करने वाले कमाल करते हैं। ऐसा ही एक किस्सा सामने आया है गुजरात की लोकल क्राइम ब्रांच से। 

अजीबो गरीब गैंग

दरअसल गुजरात के अहमदाबाद में क्राइम ब्रांच ने एक मोबाइल चोरी करने वाला एक अजीबो गरीब गैंग पकड़ा। उस गैंग की मॉडस ऑपरेंडी का जब पुलिस खुलासा कर रही थी तो सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात ये सामने आई कि इस गैंग के ज़्यादातर चोर असल में चोर हैं ही नहीं, वो तो बस अपना जॉब कर रहे हैं। और इन्हें बाकायदा हर महीने 25 हजार रुपये की सैलरी भी मिलती है। पकड़े गए दो मोबाइल चोर झारखंड के रहने वाले हैं। मोबाइल चोरी की जॉब करते हैं। असल में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की पकड़ में दो मोबाइल चोर आए थे।  और जब उनसे पुलिस ने पूछताछ की तो जो खुलासा सामने आया वो सनसनीखेज ही था। 

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फॉरेन एसाइनमेंट भी

पुलिस ने उन दोनों के पास से 20 लाख रुपये की कीमत वाले मोबाइल फोन बरामद किए थे। क्राइम ब्रांच ने बताया कि उन दोनों की पहचान अविनाश महतो और श्याम कुर्मी के तौर पर हुई है। अविनाश 19 साल का है जबकि श्याम की उम्र 26 साल है। पूछताछ में ये बात भी सामने आई है कि दोनों को पिंटू महतो और राहुल महतो ने ही नौकरी पर रखा था। यहां तक कि इन लोगों को फॉरेन एसाइनमेंट पर नेपाल और बांग्लादेश भी भेजा गया था। 

45 दिन का ट्रेनिंग कोर्स 

इस किस्से का सबसे चौंकाने वाला पहलू ये है कि इन लोगों को नौकरी पर रखने से पहले बाकायदा इनकी ट्रेनिंग हुई थी और पूरे 45 दिन का ट्रेनिंग कोर्स पूरा करने के बाद ही इनकी जॉब में ज्वानिंग हो सकी थी। 

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चोरी के असाइनमेंट

इन दोनों ने ही बताया कि ट्रेनिंग के दौरान उन्हें शहर की भीड़ भाड़ वाले इलाके में भेजा जाता था। और ये उनकी ट्रेनिंग का ही हिस्सा होता है कि दोनों लोग एक साथ काम करते हैं, एक किसी इंसान का ध्यान भटकाता है और दूसरा मौका ताड़कर उसका मोबाइल मार देता है। क्राइम ब्रांच की पूछताछ में ये भी सामने आया है कि ये दोनों अहमदाबाद के अलावा गांधीनगर, वडोदरा, आणंद और राजकोट भी फोन की चोरी के असाइनमेंट पर जाते थे। अब तक पुलिस ने उन दोनों के खिलाफ मोबाइल चोरी के 19 मामले दर्ज किए हैं। इन दोनों ने ही पुलिस को बताया कि इन लोगों को सूरत रेलवे स्टेशन पर रहने के लिए ठिकाना भी दिखा दिया गया था। ये लोग चोरी के मोबाइल इकट्ठा करके अपने मालिक को दे देते थे और महीने में इन्हें बंधी बंधाई तनख्वाह 25 हजार रुपये और कभी कभी कोई अच्छा मोबाइल भी मिल जाता था। 

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