'कोंकणी भाषा' में फैलाया गया था सूचना सेठ को पकड़ने के लिए जाल, ऐसे हो गया AI वाला दिमाग फेल
Mindful AI Lab CEO Suchana Seth: ये तो सूचना का बायोडाटा बता देता है कि सूचना सेठ का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है, लेकिन आखिर में शातिर दिमाग कोंकणी भाषा से मात खा गया।
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Mindful AI Lab CEO Suchana Seth: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एथिक्स एक्सपर्ट, डेटा साइंटिस्ट और स्टार्टअप कंपनी माइंडफुल एआई लैब की फाउंडर और सीईओ सूचना सेठ। सिर्फ इतना ही तार्रुफ बताने के लिए काफी है कि ये शख्स कितना दिमाग वाला होगा, जिसके आगे कंप्यूटर पर संभल संभल कर हरकत करता होगा। बचपन में चाचा चौधरी में पढ़ा करते थे कि चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से तेज चलता है, लेकिन यहां सूचना सेठ ने दुनिया के सामने साबित भी किया था कि किस तरह उनका दिमाग कंप्यूटर से तेज नहीं तो उससे धीमा भी नहीं चलता है। मगर ये कंप्यूटर से तेज चलने वाला दिमाग उस टैक्सी वाले की बुद्धि के आगे पूरी तरह से फेल हो गया और एक तेज दिमाग शातिर महिला अफलातून आफिसर से सीधे आरोपी बनकर जेल की सलाखों के पीछे जाने के मजबूर हो गई।
पुलिस और कैब ड्राइवर का रोल अहम
जाहिर है सूचना सेठ को पकड़ने के लिए जितना रोल पुलिस का अहम है कैब ड्राइवर की भूमिका किसी भी लिहाज से कमजोर नहीं है।
चार चार भाषाओं को जानती है सूचना सेठ
बंगाली भाषा को जानने वाली सूचना सेठ टूटी फूटी कन्नड़ जानती है। वैसे वो संस्कृत भाषा की अच्छी जानकार है, और इंग्लिश भाषा में उसका रोज मर्रा का काम चलता है। हिन्दुस्तान में पैदा हुई है तो हिन्दी जानना उसकी पहली जरूरत भी है। और मलयाली पति होने की वजह से उसे मलयालम भाषा के कुछ शब्द भी समझ में आते थे। मगर कोंकणी भाषा में मात खा गई। जिसकी वजह से वो सलाखों के पीछे पहुँच गई। क्योंकि गोवा पुलिस के अफसर ने कोंकणी भाषा में ही कैब ड्राइवर से बात की थी। और दोनों की कोंकणी भाषा में हुई बातचीत सूचना सेठ के पल्ले नहीं पड़ी और यहीं से वो गच्चा खा गई। कैब ड्राइवर ने पुलिस का कहना पूरी तरह से माना और उसे कर्नाटक के भीतर एक थाने में ले गया जहां पहले से ही उसकी गिरफ्तारी की तैयारी हो चुकी थी। बस पुलिसवालों को कुछ नाटक करना था जो कि रस्म अदायगी भर थी।
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पुलिस के इशारे पर थाने में कार लेकर पहुंचा कैब ड्राइवर
गोवा पुलिस ने धीमे से ड्राइवर से कहा कि जैसे ही तुम्हें अपने करीब कोई पुलिस स्टेशन दिखाई दे, फौरन गाड़ी को वहीं ले जाना। इसके बाद फोन करना। तब कैब बेंगलुरु से 200 किलोमीटर पहले कर्नाटक के ही चित्रदुर्ग इलाके से गुजर रही थी। तभी ड्राइवर की नजर चित्रदुर्ग में ही मौजूद आईमंगला पुलिस स्टेशन पर पड़ी। उसने फौरन गाड़ी को पुलिस स्टेशन में घुसा दिया। इससे पहले कि सूचना सेठ कुछ समझ पाती, ड्राइवर ने गोवा पुलिस की बात आई मंगला पुलिस स्टेशन में मौजूद पुलिस वालों को बताई और फोन मिला कर पुलिस से उनकी बात करा दी। गोवा पुलिस ने आईमंगला पुलिस को सारी बात बताते हुए सूचना और उसके सामान की तलाशी लेने की रिक्वेस्ट कर दी।
आरोपी मां की प्लानिंग
बेटे का कत्ल वो कर चुकी थी। लेकिन लाश को कैसे ठिकाने लगाएं, ये उसे समझ नहीं आ रहा था। उसे पता था कि बैग में लाश को ठूंस कर वो फ्लाइट से बेंगलुरु नहीं जा सकती। एयरपोर्ट पर चेकिंग होती है। बैग की स्कैनिंग होती है और वो पकड़ी जाएगी। गोवा से वो अंजान थी। लिहाजा वो लाश ठिकाना लगाने में जोखिम था। तब उसने तय किया कि वो कैब से सड़क के रास्ते बेंगलुरु जाएगी। शायद उसी रास्ते में किसी सुनसान जगह पर वो लाश को ठिकाने लगा देगी। अपने ही मासूम बेटे की हत्या की आरोपी मां अपने इस प्लानिंग में कामयाब भी हो जाती, लेकिन गोवा के सोल बानियान ग्रैंड होटल के स्टाफ और टैक्सी ड्राइवर की सूझबूझ ने उसकी योजना पर पानी फेर दिया।
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होटल स्टाफ और ड्राइवर के जरिए सूचना तक पहुंची पुलिस
पूरे देश को झकझोर देने वाली इस वारदात का खुलासा तब हुआ जब हत्यारोपी मां टैक्सी लेकर गोवा से बेंगलुरु के लिए रवाना हो गई। होटल स्टाफ उस कमरे में पहुंचा जहां वो अपने बच्चे के साथ ठहरी हुई थी। उन्होंने कमरे में खून के धब्बे देखे, उसके तुरंत लोकल पुलिस को सूचित कर दिया. पुलिस की एक टीम होटल पहुंची. पूरे मामले की जानकारी ली। इसके बाद पुलिस ने फौरन अपना दिमाग लगाया और होटल के ट्रैवल डेस्क से उस ट्रैवल एजेंसी का नंबर लिया, जिसने सूचना सेठ के लिए इनोवा कार भेजी थी। अब कार के ड्राइवर का नंबर गोवा पुलिस के पास था। पुलिस ने उस ड्राइवर को फोन मिलाया। फोन मिलाते ही पुलिस ने कैब ड्राइवर से कोंकणी भाषा में बात की जो सूचना सेठ की समझ से परे थी। पुलिस की ये दांव एकदम सटीक बैठा। और इससे पहले कंप्यूटर से भी पहले दस चाल आगे की सोच समझ रखने वाली सूचना सेठ को समझ में ही नहीं आया कि वो कब कैब में बैठे बैठे पुलिस की जाल में फंस गई। जिन्हें उसने मामूली समझा उन्हीं लोगों ने उसकी बिसात बिगाड़ दी।
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कैब से जाने की जिद ने पैदा किया शक
वो होटल का स्टाफ ही था जिसने पहली बार कमरे में खून की बूंदें देखी। वो होटल का स्टाफ ही था, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एथिक्स एक्सपर्ट, डेटा साइंटिस्ट और स्टार्टअप कंपनी माइंडफुल एआई लैब की फाउंडर और सीईओ सूचना सेठ के फ्लाइट की बजाय कैब से बेंगलुरु जाने के फैसले पर शक हुआ। वो होटल का स्टाफ ही था जिसने पहली बार ये नोटिस किया कि सूचना आई तो एक बच्चे के साथ थी, लेकिन चेकआउट करते वक्त बच्चा उसके पास नहीं था। वो होटल का स्टाफ ही था, जिसने सबसे पहले लोकल पुलिस को इसकी सूचना दी। तारीफ गोवा पुलिस की भी है, जिसने इस सूचना के मिलते ही फौरन गोवा से लेकर चित्रदुर्ग तक अपना जाल बिछा दिया।
गोवा पुलिस ने सूचना सेठ के फर्जी पते का सच निकाला।
सूचना सेठ से गोवा पुलिस ने पूछा कि आपका बेटा कहां है? वो आपके साथ वापस क्यों नहीं गया? सूचना ने बेखौफ जवाब दिया कि वो गोवा में ही एक रिश्तेदार के पास है। कुछ दिन बाद लौटेगा। उसने बाकायदा गोवा के अपने उस रिश्तेदार का पता भी पुलिस को दे दिया। पुलिस को लगा कि शायद वो गलत शक कर रही है। फिर भी पुलिस ने सूचना के दिए पते पर पुलिस की एक टीम भेजी। लेकिन वो पूरा इलाक़ा छान मारने के बावजूद वो पता नहीं मिला। सूचना का दिया पता फर्जी था। अब गोवा पुलिस को लगा कि मामला गड़बड़ है। लिहाजा तुरंत पुलिस ने दोबारा उस कार ड्राइवर को फोन किया, जिसमें हत्यारोपी मां लाश लिए बैठी थी। ड्राइवर को पुलिस ने अपनी ही तरह रास्ता बताया और कहा जैसा कहा जा रहा है ठीक वैसा ही करता जाए। काम हो जाएगा। इसके बाद बेहद कम वक्त में कर्नाटक पुलिस के साथ मिल कर गोवा में बैठे-बैठे हत्यारोपी मां सूचना पूरी त रह से पुलिस के जाल में आ चुकी थी।
इनोवा कार में रखे बड़े बैग को खोलते पुलिस के उड़े होश
आईमंगला पुलिस स्टेशन पर गाड़ी के पहुँचते ही कर्नाटक पुलिस ने इनोवा कार की तलाशी ली। उस गाड़ी में एक बड़ा बैग मिला, जिसे खोलेत ही पुलिस के होश उड़ गए। उसमें एक बच्चे की लाश थी। पुलिस ने हत्यारोपी मां सूचना सेठ को फौरन हिरासत में ले लिया। इसके बाद गोवा पुलिस को सूचित कर दिया. बच्चे की लाश मिलने के बाद गोवा पुलिस के मन में तमाम सवाल थे। चार साल के जिस बच्चे की लाश बैग में थी, वो कौन था? क्या वो सूचना का बेटा था? यदि बेटा था, तो फिर एक मां ने अपने ही हाथों अपने बेटे को क्यों मारा? कत्ल करने के बाद वो लाश को बैग में रख कर 550 किलोमीटर की दूरी तय कर बेंगलुरु क्यों जा रही थी? अगर उसे लाश ठिकाने ही लगाना था, तो उसने गोवा में ऐसा क्यों नहीं किया? और सबसे बड़ा सवाल ये कि एक मां अपने बच्चे का कत्ल क्यों करेगी? कत्ल के बाद लाश के साथ सफर क्यों करेगी? इन्हीं सवालों के साथ गोवा पुलिस की टीम इस केस की जांच में जुटी है।
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