राजस्थान में मिले जिस 'लाश के अवशेष', छत्तीसगढ़ में उसी की चलती फिरती 'डेडबॉडी' मिली!
राजस्थान में मिले जिस लाश के अवशेष,छत्तीसगढ़ में उसी की चलती फिरती डेडबॉडी मिली
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भीलवाड़ा राजस्थान के जावल गांव से 17 दिसंबर की रात को नारायण अपने खेत की रखवाली करने के लिए निकला था। रात को घर नहीं लौटा तो घरवाले उसे ढूंढने के लिए निकल गए। खेतों में पहुंचे तो वहां आग लगी हुई थी, और उसी आग के बीच नारायण का जला हुआ मोबाइल मिला। और छानबीन की गई तो लाश के कुछ अवषेश मिले। सबको लगा शायद वो मर गया या उसने खुदकुशी कर ली। हालांकि पुलिस को शक़ हुआ और उसने मामले की हर एंगल से जांच शुरू की। पता चला कि नारायण ने 17 दिसंबर को मरने से पहले दिन में ही एक मोबाइल दुकान से नया मोबाइल खरीदा था। इस पर पुलिस ने नई सिम को ट्रेस करना शुरु किया।
पुलिस का शक़ तब और गहरा गया जब उसे पता चला कि नारायण ने गायब होने से दो दिन पहले ही करीब 30 हजार रुपए भी एटीएम से निकाले थे। जांच में ये भी पता चला कि असल में नारायण 18 लाख रुपए के कर्ज में डूबा हुआ था, और तो और उसका शेयर बाजार में भी काफी नुकसान हो चुका था। पुलिस ने सिम को ट्रेस करना शुरु किया तो पता चला कि सिम गोवा में एक्टिव है, पुलिस गोवा के लिए निकली तो पता चला कि सिम का मूवमेंट गोवा से छत्तीसगढ़ की तरफ हो गया।
कर्ज देने वालों से बचने के लिए उसने खुद को मरा साबित करने का प्लान बनाया। इसके लिए उसने ऑनलाइन वीडियो देखे और शाहिद कपूर की फिल्म 'चुप-चुप के' की तर्ज पर साजिश रची और दूसरे राज्य में जाकर रहने लगा। एसपी आदर्श सिद्धू ने शुक्रवार को इस पूरी कहानी का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि नारायण लाल गांव जावला में ई मित्र चलाता है। उसने उधार पैसा मांगने वालों को गुमराह करने के लिए यह पूरा प्लान बनाया। यह बात नारायण लाल ने खुद स्वीकार की। पुलिस की टीम भीलवाड़ा से 3500 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के रायपुर लिए रवाना हुई और पुलिस ने सिम को आखिरकार एक चलती फिरती लाश की पैंट की जेब में ट्रेस कर लिया गया। ये चलती फिरती लाश किसी और की नहीं बल्कि भीलवाड़ा के नारायण की थी। जिसे वहां सब लोगों ने मरा हुआ मान लिया था।
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पुलिस इस चलती फिरती लाश को भीलवाड़ा ले आई और जब उसे थर्ड डिग्री देकर ज़िंदा किया गया तो पता चला कि ये फिल्म को देखकर तैयार की गई एक फुलप्रूफ प्लानिंग थी। नारायण ने खुलासा किया कि वो गले तक कर्ज़ में डूबा हुआ था और उसे कर्ज़ चुका पाने का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था। लिहाज़ा उसने इसके लिए उसने ऑनलाइन वीडियो देखे और शाहिद कपूर की फिल्म 'चुप-चुप के' की तर्ज पर साजिश रची और दूसरे राज्य में जाकर रहने लगा। नारायण ने बताया कि अपने आप को मरा हुआ साबित करने के लिए ही उसने खेत के पास आग लगाई। इस आग में अपना मोबाइल और नील गाय की हडि्डयों को जलने के लिए फेंक दिया ताकि उससे उधार मांगने वाले लोगों को लगे कि वो मर चुका है।
घरवालों को शक न हो इसलिए अपने घर से कपड़ों का बैग दो दिन पहले ही नारायण ने ले जाकर पंचायत परिसर में छिपा दिया था। जब वो 17 दिसंबर की रात को निकला तो बैग लेकर गांव से चला गया। नारायण पहले महाराष्ट्र गया। वहां से गोवा और गोवा से छत्तीसगढ़ चला गया। पुलिस उसका लगातार पीछा कर रही थी और उसे रायपुर में बस से बरामद कर लिया था। उसने बताया कि वो किसी दूसरे प्रदेश के कोई छोटे कस्बे में जाकर मजदूरी ढूंढकर वहीं बसना चाहता था। उसके बाद परिवार को भी वहीं बुलाना चाहता था।
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