मॉरिस 'भाई' ने इसलिए पाल रखी थी अभिषेक घोसालकर के साथ दुश्मनी
Live Murder : मुंबई में फेसबुक लाइव के दौरान हुए मर्डर के सिलसिले में जिस मॉरिस भाई का नाम सामने आया है उसका पूरा कच्चा चिट्ठा अब सामने आ चुका है।
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Facebook Live Murder: गुरुवार की शाम से एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें एक लाइव शो के दौरान मुंबई के दहिसर में शिवसेना के नेता को गोली मारी जाती है। शिव सेना उद्धव गुट के नेता और इलाके के कॉरपोरेट अभिषेक घोसालकर पर फायरिंग का वीडियो ज़्यादातर हिन्दुस्तान ने अब देख लिया है। इस हमले में अभिषेक को तीन गोलियां लगी और अस्पताल में उसकी मौत भी हो गई।
मॉरिस भाई ने मारी अभिषेक को तीन गोली
प्वाइंट ब्लैंक रेंज से मारी गई तीन गोलियों ने अभिषेक को बुरी तरह से जख्मी कर दिया था। लेकिन इस लाइव शो के दौरान गोलियों की चार आवाजें सुनाई पड़ी थीं। बताया भी यही गया कि वहां चार फायर किए गए थे जिनमें से तीन गोलियां अभिषेक को लगी। थोड़ी ही देर में ये बात भी साफ हो गई कि अभिषेक घोसालकर को गोली ‘मॉरिस भाई’ने मारी। और अभिषेक को गोली मारने के बाद मॉरिस भाई ने खुद को भी गोली मार ली।
लाइव में दोनों साथ साथ दिखे
दरअसल अभिषेक को गोली मारने वाला वही शख्स था जिसने फेसबुक लाइव शो के दौरान शुरू शुरू में ही अभिषेक का तार्रुफ करवाया था। असल में मॉरिस ने ही फेसबुक लाइव के बहाने अभिषेक को अपने ऑफिस बुलाया था। इस लाइव शूटआउट का वीडियो वायरल है। साफ देखा जा सकता है कि अभिषेक फेसबुक लाइव के बाद उठकर जैसे ही जाने लगे तभी जा रहे थे। इसी दौरान मॉरिस ने उनपर 4-5 राउंड फायरिंग की। इसके बाद उसने खुद को भी गोली मार ली। अभिषेक को हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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कौन है मॉरिस भाई WHO IS MORRIS BHAI?
सवाल उठता है कि आखिर ये मॉरिस भाई हैं कौन और अभिषेक को गोली मारने के पीछे उनका क्या मकसद था? मॉरिस भाई को समझने से पहले इस लाइव मर्डर के दौरान जो बात रिकॉर्ड हुई है, उस पर गौर करने की जरूरत है। क्योंकि इस लाइव के दौरान इसी बातचीत में ही इस हत्या का असली मर्म कहीं न कहीं छुपा हुआ है। असल में इस फेसबुक लाइव से पहले मॉरिस भाई और अभिषेक घोसालकर ने एक संकल्प लिया था। संकल्प साथ काम करने का और बोरिवली और दहिसर वाले इलाके में गरीब परिवारों की मदद करने का। मॉरिस ने पहले ये बात फेसबुक लाइव में कही और फिर अभिषेक ने कहा, ‘ लोगों को ये देखकर ताज्जुब हो सकता है कि मैं और मॉरिस एक साथ एक मंच पर कैसे। लेकिन असल में हम लोगों की भलाई का काम करने के लिए एक साथ आए हैं। अब हम दोनों मिलकर आईसी कॉलोनी, कंदरपाड़ा और उसके आस पास के इलाकों में अच्छा काम करेंगे। इसके बाद थोड़ा मुस्कुराते हुए अभिषेक ने कहा कि असल में हमारे और मॉरिस के कार्यकर्ताओं के बीच एक गलतफहमी बैठ गई थी, लेकिन अब हम साथ आ गए हैं। अभी हमें बहुत काम करना है और ये तो बस एक शुरूआत है।
फेसबुक पर लाइव
अभिषेक के साथ बैठकर इन बातों को फेसबुक पर लाइव करने के बाद मॉरिस वहां से उठकर चला गया था। लाइव शो खत्म करते हुए अभिषेक घोसालकर ने कहा, भगवान आपका भला करे, अब हम बाहर जाएंगे’। इतना कहके अभिषेक अपनी जगह से उठा, तभी सामने मॉरिस आ गया। वहीं खड़े अपने बॉडीगार्ड मिश्रा की लाइसेंसी रिवॉल्वर से उसने फायरिंग कर दी। पहली गोली अभिषेक के पेट में और दूसरी गोली उसके कंधे पर लगी। लेकिन उसके थोड़ी ही देर बाद मॉरिस ने खुद को भी गोली मार ली और बुरी तरह से जख्मी हो गया। और जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो उसे भी डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
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सामाजिक कार्यकर्ता मॉरिस 'भाई'
असल में मॉरिस का पूरा नाम मॉरिस नोरोन्हा है और वो खुद को मॉरिस भाई कहलाना पसंद करता है। मॉरिस नोरोन्हा मुंबई के बोरीवली पश्चिम आईसी कॉलोनी में रहता था। असल मॉरिस एक सामाजिक कार्यकर्ता था और बीएमसी के कॉरपोरेशन चुनाव में वार्ड नंबर एक से चुनाव लड़कर नगरसेवक बनना चाहता था। सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उसे नाम कमाना पसंद भी था और उसने कई नेताओं के साथ तस्वीरें भी नज़र आती हैं।
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कोविड वॉरियर मॉरिस 'भाई'
मॉरिस को साल 2022 में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कोविड वॉरियर के तौर पर सम्मानित भी किया था। लेकिन उससे पहले के अतीत में मॉरिस के दामन में कुछ ऐसे दाग थे जिसका ताल्लुक इस कत्ल की वारदात से सीधे तौर पर जुड़ते दिखाई देते हैं।
मॉरिस का दागदार अतीत
बताया जाता है कि मॉरिस की एक महिला दोस्त थी। जिसके साथ उसके बहुत नजदीकी ताल्लुकात थे। लेकिन 2014 में उस महिला के साथ मॉरिस की अनबन हो गई। तब महिला ने मॉरिस भाई के खिलाफ एक पुलिस में रिपोर्ट लिखाई थी जिसके मुताबिक मॉरिस के खिलाफ रेप, धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग के संगीन इल्जाम थे। कहा तो यहां तक जाता है कि 48 साल की उस महिला ने 80 लाखरुपये की धोखाधड़ी का इल्जाम मॉरिस भाई पर लगाया था। उस महिला की जानपहचान अभिषेक घोसालकर से भी थी। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अभिषेक ने ही उस महिला की मदद करते हुए पुलिस थाने में मॉरिस के खिलाफ ये रिपोर्ट लिखवाई थी।
और इसलिए बन गया अभिषेक का दुश्मन
लेकिन उस रिपोर्ट के लिखे जाने के बाद भी मॉरिस पुलिस की पकड़ से दूर ही रहा। इस बीच अभिषेक लगातार दौड़ भाग करके पुलिस पर दबाव बनाते हैं और मॉरिस की गिरफ्तारी का पूरा बंदोबस्त करवा देिया था। लेकिन इसी बीच मॉरिस विदेश चला गया था और पुलिस ने मॉरिस के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया था। साल 2022 के जून के महीने में मॉरिस को पुलिस ने उस वक्त गिरफ्तार किया था जब वो अमेरिका के लॉसएंजिल्स से लौट रहा था। उसे एयरपोर्ट पर गिरफ्तार करके पुलिस ने जेल भिजवा दिया था। मॉरिस को इस बात का शक था कि उसके विदेश से लौटने के बारे में पुलिस को खबर किसी और ने नहीं अभिषेक ने ही दी है। बस इसी बात की खुन्नस ने मॉरिस को अभिषेक का दुश्मन बना दिया।
कई महीने जेल में रहा मॉरिस
करीब 15 महीने तक जेल में रहने के बाद मॉरिस जेल से बाहर आता है। मॉरिस के नजदीकी सूत्रों से पता चला है कि वो इस पुलिस शिकायत यानी एफआईआर और जेल भेजे जाने के पीछे पूरी तरह से अभिषेक को ही जिम्मेदार मानता था। जेल जाने से पहले तक तो मॉरिस और अभिषेक के बीच 36 का आंकड़ा था। लेकिन जेल से बाहर आने के बाद मॉरिस ने अभिषेक से इसका बदला लेने की ठान ली थी। मगर दिखावे के तौर पर उसने नकली दोस्ती का हाथ बढ़ाकर अभिषेक का भरोसा जीतना ज्यादा जरूरी समझा।
नकली दोस्ती और असली नजदीकी
बताया जा रहा है कि करीब तीन महीने पहले ही मॉरिस ने अभिषेक की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। और मॉरिस जानता था कि सामाजिक कामों के बहाने से ही अभिषेक से नजदीकी बनाई जा सकती है। लिहाजा उसने एक साड़ी वितरण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की और अभिषेक के साथ उसी नई और ताजा दोस्ती का हवाला देकर उसे अपने ही दफ्तर में बुलवाया। अभिषेक का भरोसा जीतने के लिए ही मॉरिस ने फेसबुक लाइव स्ट्रीमिंग का भी झांसा दिया था। ताकि उसमें इन सारे संकल्पों को दोहराते हुए कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया जाए। मॉरिस की ये चाल कामयाब हो गई और अभिषेक मॉरिस के बुलावे पर उसके दफ्तर आ गया।
पास में ही थे कार्यकर्ता
बताया जा रहा है कि अभिषेक और मॉरिस के दफ्तर भी आस पास ही थे। लिहाजा जिस वक़त्त मॉरिस के दफ्तर में अभिषेक पहुँचा था उसके कार्यकर्ता उसी दफ्तर के बाहर मौजूद थे। जिस वक्त गोली चली सारे कार्यकर्ता दफ्तर के बाहर थे और फायरिंग की आवाज सुनकर जब तक वो भीतर पहुँचते तब तक बहुत देर हो चुके थे।
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