मौत मांगती महिला जज की चिट्ठी पढ़कर CJI भी रह गए सन्न, 8 सेकंड का वो किस्सा हैरान कर देगा
One Letter to CJI: एक चिट्ठी ने देश की सबसे बड़ी अदालत सप्रीम कोर्ट में सनसनी फैला दी। CJI के नाम की इस चिट्ठी में महिला जज ने खुद के लिए मौत मांगी है।
ADVERTISEMENT
One Letter to CJI: एक चिट्ठी ने देश की सबसे बड़ी अदालत सप्रीम कोर्ट में सनसनी फैला दी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी CJI के नाम की इस चिट्ठी का लब्बोलुआब सुनने के बाद हर कोई हैरत में है। क्योंकि इस चिट्ठी में ऐसी वैसी मांग नहीं की गई बल्कि सीधे सीधे इच्छा मृत्यू की मांग कर ली गई है। हैरानी की बात ये है कि ये चिट्ठी लिखी भी है एक महिला जज ने। इस चिट्ठी मिलने के बाद से ही सुप्रीम कोर्ट में अजीबो गरीब बहस की शुरूआत हो गई और बढ़ती सरगर्मी के बीच मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अब इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस मामले में पूरी रिपोर्ट तलब की है।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी
मिली जानकारी के मुताबिक देर रात CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल अतुल एम कुरहेकर को बाकायदा इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से एक स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। सेक्रेटरी जनरल कुरहेकर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एक चिट्ठी लिखकर बांदा की एक महिला जज की तरफ से दी गई चिट्ठी के बारे में पूरी रिपोर्ट और उससे संबंधित तमाम जानकारियां मांगी है। इतना ही नहीं कोर्ट में मिलने वाली तमाम शिकायतों से निपटने वाली सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक शिकायत समिति के समक्ष भी कार्यवाही के स्टेटस के बारे में जानकारी ली है। असल में सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश को ये कदम इसलिए भी तत्काल उठाना पड़ा क्योंकि ये चिट्ठी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होती जा रही है।
इच्छा मृत्यु की गुहार
बता दें कि महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। चिट्ठी में महिला जज ने लिखा है कि उनके साथ काफी अपमानजनक बर्ताव किया गया जिसने उन्हें भीतर तक झकझोरकर रख दिया। वो काफी आहत भी हैं, ऐसे हालात में अब वो मरना चाहती हैं जिसकी उन्हें इजाजत दी जाए।
ADVERTISEMENT
सिर्फ आठ सेकंड में फैसला
महिला जज ने अपनी चिट्ठी में साफ साफ लिखा है, 'मैं दूसरों को न्याय देती हूं, अपनी चिट्ठी में महिला जज ने भारत में काम करने वाली महिलाओं को भी संदेश दिया और कहा कि किसी भी तरह के उत्पीड़न के साथ जीना सीख लो, यह हमारे जीवन की कडवी सच्चाई है, यहां कोई सुनने वाला नहीं है, अक्सर देखा जाता है कि शिकायत करने पर प्रताड़ना ही मिलती है.... उन्होंने आगे लिखा, 'मुझे न्याय के लिए केवल 8 सेकंड मिले, मैं अपने लिए निष्पक्ष जांच नहीं करा पाई, अगर कोई महिला सिस्टम से लड़ने की सोचती है तो यह गलत है, मुझे एक जज तौर पर यह महसूस हुआ है।
सैकड़ों पत्र और 1000 ईमेल
आजतक के संवाददाता संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक महिला जज ने फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि मामला सितंबर 2022 का है। प्रताड़ना के बाद उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर विभाग तक को पत्र लिखा, 1000 से ज्यादा मेल किए, फिर एक जांच कमेटी बनाई गई. जांच 3 महीने में पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
ADVERTISEMENT
…और मेरी याचिका खारिज हो गई
उन्होंने कहा, मैं मई 2023 से यूपी के एक जिले में तैनात हूं, कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई, किसी ने मेरी बात नहीं सुनी, दिल्ली में मुझे केवल 8 सेकंड मिले और मेरी याचिका खारिज कर दी गई. अब मेरे सामने कोई रास्ता नहीं बचा, जिसके चलते मैंने ऐसा कदम उठाया है।'
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT