Kota : कोटा में छात्रों की आत्महत्या के पीछे बड़ा खुलासा, माता-पिता भी कह देते हैं, सेलेक्शन नहीं हुआ तो लौटना नहीं, जानें सुसाइड के पीछे परिवार भी कैसे?
Kota Suicide Reason : कोटा में छात्रों के बढ़ते सुसाइड केस के पीछे परिवारवालों का नकारात्मक रवैया भी है. बड़ा खुलासा जानें.
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Kota Suicide Case Study : कोटा में सुसाइड करने वालों छात्रों के पीछे की वजह क्या सिर्फ कोचिंग संस्थान ही हैं या फिर हम आप जैसे बच्चों के परिवारवाले भी. असल में पुलिस की जांच में बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जिससे पता चला है कि बच्चों के माता-पिता के दबाव और बच्चों के खराब मानसिक हालत में उनका सपोर्ट नहीं करना भी कोटा सुसाइड फैक्ट्री बनने के पीछे एक बड़ी वजह है. क्योंकि कई केस में ये सामने आया है कि छात्रों के मनोबल को कमजोर करने में परिवार के लोगों का भी उतना ही हाथ है. ऐसा इसलिए दावा किया जा रहा है कि कुछ केस में बच्चों की तैयारी पूरी नहीं होने और प्रतियोगिता में सफल नहीं होने पर छात्र घर लौटने की बात कहे तो माता-पिता की तरफ से कहा गया कि कोई जरूरत नहीं है वापस लौटने की. जानिए कैसे कोटा सुसाइड फैक्ट्री के पीछे उनके परिवार के लोग भी है…जानिए इस रिपोर्ट से.
घर से दूर रहना और परिवार की नाराजगी से भी बच्चे मानसिक दबाव में
Kota Suicide Student Reason : PTI की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले में ऐहतियाती कदम उठाने के प्रयास कर रहे पुलिस और जिले के अधिकारियों के अनुसार कोचिंग संस्थानों का केंद्र कहे जाने वाले शहर में छात्रों की खराब मानसिक हालत का एक बड़ा कारण यह है कि “अभिभावक उनसे कहते हैं कि अब वापस नहीं आना” है। शीर्ष कोचिंग संस्थानों का दावा है कि अधिकतर माता-पिता उन्हें बच्चों के बारे में दी गई जानकारी को स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं और चाहते हैं कि उनके बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी जारी रखें।
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NEET की तैयारी कर रही 16 साल की छात्रा ने की आत्महत्या
Why Kota Student Suicide : इस बीच, बुधवार को कोटा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी कर रही 16 वर्षीय परीक्षार्थी ने कथित तौर पर अपने छात्रावास के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वह इस साल कोटा में आत्महत्या करने वाली 23वीं विद्यार्थी है। पिछले साल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी। पुलिस और कोचिंग संस्थानों का कहना है कि बच्चे में अवसाद के संभावित लक्षणों के बारे में माता-पिता से संपर्क करने से लेकर, किसी विशेष विषय या कॅरियर के लिए कोई रुझान न होना, घर से दूर रहने में परेशानी, ऐसे मुद्दों के बारे में माता-पिता से बात करने पर उन्हें अकसर नाराजगी का सामना करना पड़ता है और अधिकतर अभिभावक बच्चों की बात नहीं मानते।
छात्रों के परेशान होने पर कई पैरेंट्स भी कर रहे ऐसी गलती
Kota Suicide Reason Parents : कोटा के एएसपी चंद्रशील ठाकुर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “छात्रों के साथ हमारी बातचीत के दौरान, हमें एक छात्र मिला जो स्पष्ट रूप से उदास था। मैंने उसके पिता को फोन करने का फैसला किया। उनकी प्रतिक्रिया थी 'ये तो औरों को उदास कर दे, ऐसा कुछ नहीं है’। पिता ने यह मानने से इनकार कर दिया कि यह कोई मुद्दा है जिस पर उनके ध्यान देने या हस्तक्षेप करने की जरूरत है।'' एक शीर्ष कोचिंग संस्थान के एक प्रतिनिधि ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ''पिछले एक साल में, हमने 50 से अधिक अभिभावकों से संपर्क किया है और उन्हें स्पष्ट रूप से बताया है कि उनके बच्चे को उनके साथ रहने की जरूरत है। उनमें से कम से कम 40 लोग अपने बच्चे को घर वापस ले जाने या कोचिंग से हटाने के लिए सहमत नहीं थे। अन्य जिन्होंने सलाह पर कुछ ध्यान दिया, वे हमारी कोचिंग छोड़कर चले गए, लेकिन उन्होंने अपने बच्चे का दूसरे संस्थान में दाखिला करा दिया।' उन्होंने कहा, 'हम माता-पिता के लिए परामर्श सत्र और गतिविधियां भी आयोजित करते हैं, लेकिन ऐसी पहल के दौरान उपस्थिति बहुत कम होती है। माता-पिता अक्सर व्यस्तताओं या वित्तीय दिक्कतों का हवाला देते हुए यहां आने में टालमटोल करते हैं।' इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सालाना 2.5 लाख से अधिक छात्र कोटा आते हैं।
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