Kolkata Rape Case में 7 डॉक्टरों का रेप-मर्डर कनेक्शन! क्या है RG Kar Hospital की बाथरुम वाली थ्योरी?
वह लड़की बहुत अच्छी स्टूडेंट थी. उसे धमकी दी जा रही थी कि फैकल्टी उसे अपनी थीसिस पूरी नहीं करने देगी. उसने इसका विरोध किया और उन्हें आरजी कर मेडिकल कॉलेज की काली करतूतों को उजागर करने की चेतावनी दी थी.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
36 घंटे के लिए नाइट शिफ्ट पर लगाया
संजय रॉय का नाम कैसे आया?
सेमिनार हॉल में कौन कौन था?
Kolkata: RG Kar Hospital Rape & Murder केस में सीबीआई की टीम ने पूरी ताकत झोंक रखी है। सीबीआई की टीम के तेज तर्रार अफसर कत्ल की हर जड़ खोद देना चाहते हैं। हर रोज अभया के रेप और कत्ल में नई-नई थ्योरी नए-नए सवाल सामने आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद केस की जांच में संजीदगी के साथ-साथ रफ्तार भी बढ़ गई है। सीबीआई की टीमों ने आर जी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के अलावा लेडी डॉक्टरों से भी पूछताछ की है। जांच के दौरान ही सोशल मीडिया पर किए गए एक पोस्ट ने सबको हैरत में डाल दिया। सोशल मीडिया पर लिखे गए इस पोस्ट में कहा गया है कि अभया की हत्या में 7 ट्रेनी डॉक्टरों का हाथ हो सकता है। दावा किया गया है कि इन ट्रेनी डॉक्टरों ने लेडी डॉक्टर के साथ रेप किया और कत्ल की वारदात को अंजाम दिया। कत्ल के इस केस में संजय राय तो महज एक मोहरा है।
इसी कड़ी में सोशल एक्टिविस्ट मधु किश्वर ने X पर लिखा,
‘वह लड़की बहुत अच्छी स्टूडेंट थी. उसे धमकी दी जा रही थी कि फैकल्टी उसे अपनी थीसिस पूरी नहीं करने देगी. उसने इसका विरोध किया और उन्हें आरजी कर मेडिकल कॉलेज की काली करतूतों को उजागर करने की चेतावनी दी थी. उसे बिना रुके 36 घंटे के लिए नाइट शिफ्ट पर लगाया जाता था और बहुत ज्यादा प्रेशर वाला काम दिया जाता था. चेस्ट डिपार्टमेंट के हेड, सीनियर पीजीटी, और सभी को पता था कि प्रिंसिपल और उनका नेक्सस उस पर कितना दबाव बना रहे हैं.’
7 डॉक्टरों ने मिलकर किया मर्डर?
सोशल मीडिया पर ये भी दावा किया जा रहा है कि 7 डॉक्टरों के ग्रुप ने ही रेप के बाद कत्ल की प्लानिंग की थी। डाक्टरों ने सेमिनार रुम में डिनर किया। चार में से एक लड़की के होने का भी दावा किया जा रहा है। दावा ये भी किया जा रहा है कि डॉक्टरों ने शराब भी पी थी। फिर उन्होंने पहले पीड़ित के हाथ कसकर पकड़े, उसे मारा-पीटा और फिर उसके साथ बलात्कार किया। इन दावों में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद पता चलेगा। क्राइम तक ऐसे किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता। 9 अगस्त को सेमिनार हॉल में पड़ी लाश की खबर जब पूरे अस्पताल में फैली तो तमाम डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर, ट्रेनी डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और यहां तक कि अस्पताल के बाकी कर्मचारी भी सेमिनार हॉल पहुंच गए।
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डॉक्टर का दावा- संजय रॉय को सबने फंसाया
हैरानी की बात ये है कि डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ होने और क्राइम सीन की अहमियत जानने के बावजूद हर कोई जाने अनजाने में क्राइम सीन के सबूतों को अपने जूते-चप्पलों और हाथों के निशान से मिटाता रहा। लाश के इर्द गिर्द शायद ही कोई चीज़ ऐसी हो, जिस पर भीड़ ने अनजाने में अपनी निशानियां ना छोड़ी हों। ये वो पल था, जब मौका ए वारदात से सबूतों के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ किया गया। हैरानी की बात ये है कि डॉक्टर संदीप घोष फोन पर जानकारी मिलने के बाद लगभग सुबह 8 बजे ही अस्पताल पहुंच चुके थे। वो भी सीधे सेमिनार हॉल में गए। जूनियर डॉक्टर की लाश अब भी वहां वैसे ही पड़ी थी क्योंकि अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने पहले ही नब्ज और धड़कनों से ये पता लगा लिया था कि जूनियर डॉक्टर अब जिंदा नहीं है, इसीलिए लाश अपनी जगह पर पड़ी रही।
36 घंटे के लिए नाइट शिफ्ट पर लगाया?
अस्पताल के अपने तमाम खास लोगों से बात करने के बाद डॉक्टर घोष ने पहली बार सुबह 9 बजे खुद ही पुलिस को जूनियर डॉक्टर की लाश की जानकारी दी। चश्मदीदों के मुताबिक सेमिनार हॉल में पहली बार सुबह 6 बजे लाश देखी गई थी। अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. घोष को 7 बजे लाश की जानकारी मिली जबकि उन्होंने सुबह 9 बजे पुलिस को फोन किया। यानी लाश देखे जाने के पूरे 3 घंटे बाद पहली बार पुलिस को लाश की जानकारी दी गई थी। शक यूं भी होता है कि शुक्रवार को सुबह 10 बज कर 53 मिनट पर पहली बार आरजी कर अस्पताल से जूनियर डॉक्टर की मां को पहली बार फोन किया गया। यानी लाश मिलने के 4 घंटे और 53 मिनट बाद। फोन करने वाले ने बताया कि वो आरजी कर अस्पताल से बोल रहा है। इसके बाद उसने कहा कि आपकी बेटी अचानक बीमार पड़ गई है। इसके बाद फोन कट गया। घबराई मां ने फौरन उसी नंबर पर वापस कॉल किया और पूछा कि उसकी बेटी को क्या हुआ है।
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लाश मिलने के बाद बोले गए झूठ
सामने से जवाब मिला आप फौरन अस्पताल आ जाइए। फोन फिर से कट गया। मां ने फिर उसी नंबर पर फोन मिलाया। इस बार फोन उठाने वाले ने कहा कि वो असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट बोल रहा है। आपकी बेटी ने खुदकुशी कर ली है। इतना कहते ही फोन फिर से कट जाता है। सूत्रों के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे के फुटेज ने इनमें से कई सवाल के जवाब दे दिए हैं लेकिन कुछ सवाल ऐसे हैं, जिनके जवाब अभी ढूंढे जा रहे हैं। जैसे लाश सुबह छह बजे देखी गई, फिर अगले तीन घंटे तक पुलिस को खबर क्यों नहीं दी गई। लाश मिलने के करीब पांच घंटे बाद घरवालों को खबर क्यों दी गई। घरवालों को खुदकुशी की बात क्यों कही गई। लाश की खबर सुबह सात बजे मिलने के बाद अगले दो घंटे तक यानी सुबह नौ बजे तक आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष ने क्या क्या किया। किस किस से बात की। शुरुआत में कोलकाता पुलिस के बुलाने के बावजूद प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष पुलिस के पास क्यों नहीं गए।
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संजय रॉय का कैसे आया नाम?
तीसरी मंजिल पर ही सेमिनार हॉल के करीब अचानक कंस्ट्रक्शन का काम क्यों शुरू हुआ। जब जूनियर डॉक्टर के जिस्म पर चेहरे से लेकर पैर तक जख्मों के निशान थे, जिस्म के निचले हिस्से से कपड़े गायब थे, तो फिर शुरुआत में कोलकाता पुलिस ने किसके कहने पर अननैचुरल डेथ यानी अस्वाभाविक मौत का केस दर्ज किया जबकि लाश को देख कर कोई भी ये बता सकता था कि मामला रेप और मर्डर का है। कोलकाता हाई कोर्ट तक ने इस बात पर कोलकाता पुलिस को जम कर डांटा था। जिस अस्पताल के अंदर जूनियर डॉक्टर का क़त्ल हुआ, उसी अस्पताल में उसका पोस्टमार्टम क्यों कराया गया किसके कहने पर कराया गया। इन सवालों के जवाब जानने के लिए सीबीआई अब तक करीब 20 लोगों से पूछताछ कर चुकी है लेकिन आरोपी संजय रॉय के अलावा जिस शख्स से सबसे ज्यादा बार और सबसे लंबी पूछताछ हो रही है वो उसी आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष हैं।
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