Kolkata Case में आया जबरदस्त Twist, सुप्रीम कोर्ट में उठा सवाल, पोस्टमॉर्टम से पहले क्यों नहीं दर्ज की FIR?
Kolkata Rape and Murder Case: कोलकाता के RG Kar Medical College में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की इस वारदात में एक जबरदस्त मोड़ आ गया है, पूरी कहानी में एक बड़ा झोल भी नज़र आने लगा है। सबसे पहले तो यही कहा जा रहा है कि ये देश का शायद पहला ऐसा केस है जिसमें पोस्टमॉर्टम के सवा तीन घंटे के बाद FIR दर्ज हुई और उससे भी बड़ी बात ये कि पोस्टमॉर्टम होने का वक्त PM रिपोर्ट में गलत दर्ज किया गया है।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में समय का झोल
सुप्रीम कोर्ट में उठे सवाल, FIR पर जिरह
शव अंतिम संस्कार के लिए सौंपा फिर लिखी FIR
RG Kar Medical College Doctor Rape & Murder: कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में रेप और मर्डर का केस अपने आप में एक अलग तरह का केस बन गया है। जिसे कई तरह से देखा जा रहा है। मगर शायद ये देश का इकलौता ऐसा केस होगा जहां पहले पोस्टमॉर्टम किया गया और उसके बाद एफआईआर दर्ज की गई। जरा इस केस की पूरी टाइम लाइन पर गौर कीजिए, कुछ बातें अपने आप साफ होने लगेंगी।
9 अगस्त की सुबह छह बजे ट्रेनी डॉक्टर की लाश मिलती है
9 अगस्त की सुबह 9 बजे के बाद पुलिस को इसकी पहली सूचना मिलती है
9 अगस्त की दोपहर के बाद 1 बजे से शाम 4.45 बजे के बीच पोस्टमॉर्टम किया जाता है
9 अगस्त की दोपहर 3 बजे पहली बार मां बाप को उनकी बेटी की लाश दिखाई जाती है
9 अगस्त की शाम करीब 8.30 बजे लड़की का शव घरवालों के हवाले कर दिया जाता है अंतिम संस्कार के लिए
9 अगस्त रात करीब 11.45 बजे पहली बार इस मामले में रेप और मर्डर की FIR दर्ज की जाती है।
टाइम लाइन से पैदा हुए सवाल
यानी इस पूरे मामले में ये टाइम लाइन (Time Line) अपने आप में कई सवाल पैदा करती है। और इसी टाइम लाइन के इर्द गिर्द जब देश की सबसे बड़ी अदालत में तीन जजों की बेंच Bench चीफ जस्टिस (Chief Justice) डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) जस्टिस जमशेद बी पारदीवाला (Justice Jamshed B. Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) ने मंगलवार को जो जिरह की, उसने एक के बाद एक ऐसे सवालों को लाकर सामने खड़ा कर दिया जिनके जवाब में शायद इस पूरे केस का सच छुपा हो सकता है। भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जमशेद बी पारदीवाला के सवालों का सामना करते हुए देश के जाने माने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ के सामने साफ तौर पर कहा कि शव का पोस्टमॉर्टम 9 अगस्त को दोपहर 1 बजे से शाम 4.45 बजे के बीच हुआ।
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समय पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट से मेल क्यों नहीं खा रहा
देश की सबसे बड़ी अदालत में कपिल सिब्बल ने अपनी टिप्पणी में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का जो वक्त बताया वो पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट से मेल नहीं खाता है। क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Postmortem Report) में जो वक्त दर्ज है वो समय शाम 6.10 बजे से शाम 7.10 बजे का लिखा हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखने पर पता चलता है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग के दो डॉक्टरों ने अपनी मुहर के साथ उस पर दस्तखत किए हैं जबकि तीसरे डॉक्टर के दस्तखत तो हैं लेकिन मुहर नहीं है। कोलकाता के तला पुलिस स्टेशन के तहत यूडी यानी Unnatural Death (अप्राकृतिक मौत) केस नंबर 9 के तहत 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया था।
रिपोर्ट ने खोल दिया झूठ
861 एवं तला थाना पुछताछ क्र. 1139/24. रिपोर्ट - पोस्टमार्टम संख्या 1584 - बताती है कि शव शाम 6 बजे लाया गया और पोस्टमार्टम शाम 6.10 से 7.10 बजे के बीच किया गया। रिपोर्ट ये भी बताती है कि पूछताछ शाम 4.20 बजे दो गवाहों के सामने शुरू हुई थी और उस वक्त पीड़िता की मां भी मौजूद थीं। मगर एक सच ये भी सामने आया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट के बारे में जो समय अधिकारियों ने अब तक जमाने के सामने बताया है उन दोनों में कोई मेल ही नहीं मिल रहा।
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सुप्रीम कोर्ट के सामने आया झोल
तो समय में ये अंतर क्यों है, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। इसके अलावा जिस रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि शाम 4.20 मिनट पर दो गवाहों के सामने इस मामले की पहली बार पूछताछ और पड़ताल हुई और उस वक्त वहां पीड़िता की मां भी मौजूद थीं, जबकि पीड़ित की माता पिता ने साफ साफ कहा है कि उन्हें घंटों तक अपननी बेटी का शव देखने की इजाजत नहीं दी गई। ऐसे में इस वक्त को लेकर सबसे बड़ा सवाल और सबसे बड़ा झोल सामने आ रहा है। जो अब सुप्रीम कोर्ट के सामने है।
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FIR को लेकर छिड़ी जिरह
मंगलवार की सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने सवाल उठाया था कि एफआईआर कब दर्ज की गई? किसने FIR दर्ज करवाई, किसने सबसे पहले लाश को देखा? जस्टिस पारदीवाला ने कहा क्या आप कृपया नाम बता सकते हैं? इस सवाल पर कपिल सिब्बल का कहना था कि इस बारे में जानकारी लेकर वो कोर्ट को बताएंगे। इसके बाद जस्टिस पारदीवाला ने फिर पूछा कि एफआईआर दर्ज होने का समय बताया जाए। उस पर कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि शुरु में ये मामला यूडी यानी Unnatural Death का था जिसे पुलिस ने अपनी मर्जी से दर्ज किया था। तब जस्टिस पारदीवाला ने कपिल सिब्बल को रोका और कहा कि वो FIR नहीं महज एक रिपोर्ट है।
किसने लिखाई FIR और कितने बजे?
जस्टिस पारदीवाला ने फिर पूछा, एफआईआर किसने दर्ज कराई? तब कपिल सिब्बल ने बताया, पहले मृतक के पिता और फिर कॉलेज के उप-प्रिंसिपल ने। यह देखते हुए कि दो FIR नहीं हो सकतीं, जस्टिस पारदीवाला ने FIR दर्ज करने के समय के बारे में पूछा तो कपिल सिब्बल ने उत्तर दिया II.45 pm।
इसके बाद CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि शव परिवार को कितने बजे सौंपा गया। क्योंकि इस बारे में अदालत को तीन तीन वक्त दिए गए हैं। 3.30 बजे, 3.10 बजे और 8.30 बजे।
शव अंतिम संस्कार के लिए सौंपा फिर लिखी FIR
हालांकि पूरी जिरह से ये बात तो साफ हो गई कि शव को रात 8.30 बजे अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंपा गया था। तब CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा शव को अंतिम संस्कार के लिए सौंपने के तीन घंटे 15 मिनट बाद रात 11.45 बजे FIR दर्ज की गई। यानी 8-9 अगस्त की उस काली रात के घुप्प अंधेरे में सारे सवाल और उसके जवाब छिपे हुए हैं जिन्हें अब देश की सबसे बड़ी अदालत भी देख रही है।
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