"लावारिस लाशों को बेचने का रैकेट चलाता था संदीप घोष", RG Kar Hospital के पूर्व अधिकारी का सनसनीखेज खुलासा

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बायोमेडिकल वेस्ट की बांग्लादेश को तस्करी

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स्टूडेंट को पास और फेल करने का कारोबार

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अस्पताल में टेंडर के खास वेंडर, 20% का कट पहले

RG Kar Medical College Case: कोलकाता रेप और मर्डर कांड के जिस किरदार ने आम लोगों से लेकर सीबीआई तक को अपनी तरफ खींचा है उसका नाम है संदीप कुमार घोष (Sandeep Ghosh)। संदीप घोष कोई मामूली हैसियत के डॉक्टर नहीं हैं। ये खुलासा है कि आर जी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) में प्रिंसिपल रहते हुए इन्होंने बड़े गुल खिलाए हैं। जब ट्रेनी डॉक्टर के साथ हैवानियत हुई तो उस समय भी अस्पताल में डॉक्टर संदीप कुमार घोष प्रिंसिपल थे। हालांकि अब तो सीबीआई के सवालों के दायरे में हैं। कहा जा रहा है कि इस जघन्य कांड में अब तक जितना कुछ हुआ, उसके पीछे इनकी मर्जी और इनके इशारे का ही हाथ माना जा रहा है।

पूर्व डिप्टी सुप्रिटेंडेंट का बड़ा खुलासा

वैसे उस अस्पताल में ये बात भी मशहूर थी कि घोष साहब की इजाजत के बगैर वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। लेकिन अब जैसे जैसे खुलासे होते जा रहे हैं डॉक्टर संदीप घोष के भी पत्ते खुलने लगे हैं। इंडिया टुडे (India Today) के साथ एक खास बातचीत में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डिप्टी सुप्रिटेंडेंट अख्तर अली (Akhtar Ali) ने बड़ा खुलासा कर दिया है। संदीप घोष की करतूत को बेपर्दा करते हुए दावा किया है कि वो लावारिस शवों को बेचने का गैरकानूनी धंधा करते थे। और ये सिर्फ एक धंधा है, ऐसे उस अस्पताल में कई ऐसे काम होते थे जिन्हें सही नहीं माना जाता। 

Unclaimed Dead Body रैकेट चलाने का इल्जाम

ऐसे में ये कहना लाजमी है कि जैसे जैसे सीबीआई के सवालों की लिस्ट लंबी होती जा रही है, आर जी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल रहे संदीप घोष की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। कहा जा रहा है कि वो सिर्फ अस्पताल में लावारिस लाशों का कारोबार करते थे। पूर्व डिप्टी सुप्रिंटेंड का दावों पर यकीन किया जाए तो संदीप घोष अस्पताल से चलने वाले लावारिस लाशों को बेचने वाला रैकेट चलाता था। लावारिस लाश को लेकर संदीप घोष पैसे का लेनदेन किया करते थे। पूर्व डिप्टी सुप्रिटेंडेंट अख्तर अली का दावा है कि संदीप घोष के खिलाफ केस दर्ज भी हुआ था लेकिन फिर फाइल दबा दी गई। सिर्फ यही खुलासा काफी नहीं है। अब तो संदीप घोष के खिलाफ इल्जामों की लम्बी लिस्ट तैयार हो गई है। 

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1)- लावारिस लाशों का धंधा
2)- बायोमेडिकल वेस्ट का कारोबार
3)- बायो मेडिकल वेस्ट की बांग्लादेश को स्मगलिंग
4)- मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वालों को पास करने के नाम पर वसूली 
5)- अस्पताल के टेंडर का गोरखधंधा
6)- अस्पताल को सप्लाई करने वाले वेंडरों से मिली भगत

बायोमेडिकल वेस्ट की तस्करी

जिन अख्तर अली ने डॉक्टर संदीप घोष पर इल्जामों की झड़ी लगाई है वो अख्तर अली 2023 तक आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ही तैनात थे। उनका दावा है कि बायोमेडिकल वेस्ट की जो तस्करी की जाती थी उसे संदीप घोष का एडिशनल सिक्योरिटी में तैनात शख्स करता था और उनके लोगों को वो वेस्ट बेचा जाता था। 

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जिसने शिकायत की उसको मिली सजा

अख्तर अली का कहना है कि राज्य सतर्कता आयोग के समक्ष इन तमाम मामलों की शिकायत भी की गई थी। लेकिन जैसा आमतौर पर होता है, बड़े लोगों की ऊंची पहुँच लिहाजा बात हुई और जांच बैठी। जांच में संदीप घोष दोषी भी पाये गए मगर पूर्व प्रिंसिपल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि जिसने भी आवाज उठाई उसको सजा मिली। हमने शिकायत की तो हमारा ट्रांसफर कर दिया गया। 

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रिपोर्ट देने के बाद किया तबादला

अख्तर अली ने दावा किया कि 'जिस दिन मैंने जांच रिपोर्ट सौंपी, उसी दिन मेरा तबादला कर दिया गया. जांच समिति के अन्य दो सदस्यों का भी तबादला कर दिया गया। मैंने छात्रों को इस आदमी से बचाने के लिए जो कुछ भी कर सकता था वह किया, लेकिन मैं असफल रहा।' अख्तर ने बताया कि इनक्वारी कमेटी का मेंबर होने के नाते उनके खिलाफ काफी सारे सबूत दिये। जांच करके बाकायदा रिपोर्ट स्वास्थ्य भवन में जमा भी की, लेकिन जिस दिन मैंने रिपोर्ट दी उसी दिन मेरा तबादला कर दिया गया। साथ ही साथ उस कमेटी के और जो दो मेंबर थे उनका भी तबादला कर दिया गया। 

हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार

बता दें कि ट्रेनी डॉक्टर की हत्या पर विरोध के बीच इस्तीफा देने वाले डॉक्टर संदीप घोष को उनके इस्तीफे के कुछ घंटों के भीतर कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में नई नियुक्ति दी गई थी। हालांकि, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसको लेकर सरकार को फटकार लगाई थी और संदीप घोष को अनिश्चितकालीन छुट्टी पर भेज दिया था। 

स्टूडेंट को पास और फेल करने का कारोबार

अपने दस्तखत वाले बयान में अख्तर अली का एक दावा तो और भी ज्यादा हैरतअंगेज है। बताया गया कि प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष स्टूडेंट्स से पैसे लेकर उन्हें पास करते थे। कुछ स्टूडेंट्स को तो जानबूझकर फेल करवाया जाता था। ताकि पैसों की वसूली हो सके। मैंने स्टूडेंट्स को इस इंसान से बचाने के लिए जो भी मुमकिन था किया मगर मैं नाकाम रहा। 

टेंडर में 20% का सीधा कट

इसके अलावा कॉलेज में कट का धंधा खुलेआम चल रहा था। किसी भी टेंडर में 20% ओपन करप्शन किया जाता था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि संदीप घोष पहले पैसा लेते थे फिर वर्क आर्डर देते थे। अस्पताल में Suman Hazra, Biplob Singha ही संदीप घोष के पसंदीदा और पले हुए वेंडर थे। इन दोनों की 12 कंपनियां थीं जिन्हें ही हर काम का टेंडर दिया जाता था। 

स्टेटमेंट रिकॉर्ड हुआ

अख्तर अली ने कहा कि मेरा स्टेटमेंट कल रिकॉर्ड हुआ है। मैंने उनसे कहा कि मैं हर तरह की सहायता करूंगा। इस रेप और मर्डर कांड में संदीप घोष का हाथ है कि नहीं, उसका खुलासा जल्दी ही हो जाएगा। 

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