Kolkata High Court के चीफ जस्टिस ने कहा, बंद करो अस्पताल, सब सुरक्षित रहेंगे, ट्रेनी डॉक्टर के पिता का भी दर्द छलका

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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पीड़िता के पिता का बयान सामने आया

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कलकत्ता हाईकोर्ट ने लगाई जमकर फटकार

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उपद्रव के सिलसिले में 12 लोगों को किया गया गिरफ्तार

अनुपम मिश्रा के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट

Kolkata News: 'अगर हम उसकी जान के बदले पैसे लेंगे तो वह बहुत दुखी होगी। अगर मुझे इंसाफ मिलेगा, तो उसे जरूर लेकर आऊंगा', ये कहना है उस अभागे पिता का, जिसकी बेटी  (ट्रेनी डॉक्टर) अब इस दुनिया में नहीं है। अपनी बेटी के साथ हुई दरिंदगी के बाद पहली बार मीडिया के माइक पर पिता का दर्द छलका है। 

ट्रेनी डॉक्टर के पिता का दर्द

ट्रेनी डॉक्टर को लेकर हो रहे प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा- हम इस घटना को लेकर पूरे देश के साथ-साथ विदेशों में भी हो रहे विरोध और आंदोलन के पक्ष में सौ फीसदी हैं। ये प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि हरेक को इस वारदात ने झकझोरकर रख  दिया है। हर किसी का इस बात को लेकर सरोकार है। सभी प्रदर्शनकारियों को लगता है कि जो हुआ गलत हुआ। और ये प्रदर्शन इसलिए भी है कि वो चाहते हैं कि हमारी बेटी को इंसाफ मिल सके। ये उनका हमारे प्रति प्यार, सम्मान के साथ साथ इंसानियत का तकाजा भी है। जो लोग भी हमारे इस दुख में साथ दे रहे हैं हम उन सभी को अपना बेटा-बेटी मानते हैं। हालांकि मुझे ऐसा लगता है कि 14 अगस्त की रात के वक्त अस्पताल पर जो हमला हुआ उसके पीछे सबूतों को मिटाने की कोशिश नहीं की गई। वैसे ये पूरा प्रशासन का मामला है, प्रशासन इसे समझेगा। इस पर मेरा टिप्पणी करना उचित नहीं है। अब इस मामले में पुलिस सीबीआई और कोर्यट शामिल हैं। सीबीआई ने भरोसा जरूर दिया है कि पकड़े जाने पर आरोपियों को कड़ी सजा दी जाएगी। यह जल्द से जल्द किया जाएगा। सीबीआई के अधिकारी आए और हमारे बयान समेत सभी सबूत ले गए।

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कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की फटकार

इस बीच इस वीभत्स कांड को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने जो कुछ कहा वो वाकई अस्पताल और पुलिस दोनों बंदोबस्त पर करारा तमाचा है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में ये बात कही है कि 7 से 8 हजार से ज्यादा लोग अस्पताल के बाहर जमा थे और पुलिस इंटेलिजेंस को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी? यह बात विश्वास करने लायक नहीं है। हालांकि सरकारी वकील अमितेश बनर्जी का कहना था कि अस्पताल में स्थिति अब नियंत्रण में है। जबकि कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने ऑर्डर दिया कि अगर ऐसा है तो फिर आप हलफनामा दीजिए कि कुछ नहीं हुआ। तोड़फोड़ करने की इतनी जल्दी क्या थी? हम अस्पताल के सभी मरीजों को किसी अन्य अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दे रहे हैं। बेहतर होगा कि अस्पताल बंद कर दिया जाए। 

चीफ जस्टिस ने कहा राज्य मशीनरी की पूरी विफलता

कलकत्ता हाईकोर्ट ने साफ साफ कहा है कि ये सारा मामला बताता है कि जो कुछ भी हो रहा है वो राज्य मशीनरी की पूर्ण विफलता है। लेकिन उसके बाद जो बात चीफ जस्टिस ने कही पुलिस के लिए किसी बेइज्जती से कम नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा है कि POLICE तो अपने लोगों की ही सुरक्षा नहीं कर सकी,यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। ऐसे में अस्पताल के ये डॉक्टर निडर होकर कैसे काम करेंगे? इसके बाद चीफ जस्टिस ने जमकर अस्पताल को फटकार लगाते हुए कहा कि चलो हर मरीज को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर देते है, ये अस्पताल बंद कर दो, कम से कम सब सुरक्षित रहेंगे, अस्पताल बंद कर दो .. सबसे अच्छा? चीफ जस्टिस ने इस बात पर भी हैरानी जाहिर की कि ऐसा क्यों हुआ, लोगों ने क्यों घुसकर तोड़फोड़ की? ये बातें समझ में नहीं आतीं। क्या यह कानून और व्यवस्था की विफलता है?

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अब तक की जांच में क्या निकला?

उधर, अस्पताल के अंदर हुई तोड़फोड़ को लेकर जांच जारी है। कोलकाता पुलिस ने हॉस्पिटल में तोड़फोड़ करने वाले संदिग्धों की तस्वीरें साझा की है। इस तोड़फोड़ और बवाल करने के सिलसिले में पुलिस ने अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। कोलकाता में सीबीआई की जांच तेज हो गई है। सीबीआई ने अस्पताल के डॉक्टरों समेत फोरेंसिक एक्सपर्ट से पूछताछ की है।

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CBI ने हॉस्पिटल के 8 डॉक्टरों, पूर्व सुपरिटेंडेंट-कम-वाइस-प्रिंसिपल (MSVP), प्रिंसिपल और चेस्ट डिपार्टमेंट के हेड से भी पूछताछ की है। सूत्रों के मुताबिक, पीड़िता के तीन बैचमेट से भी पूछताछ की गई है। वारदात वाली रात ये तीनों भी ड्यूटी पर थे। ताला पुलिस स्टेशन के इंचार्ज समेत पीड़ित डॉक्टर के परिवार से भी सीबीआई ने पूछताछ की। 

क्या हुआ था अस्पताल के अंदर?

हॉस्पिटल के बाहर देर रात प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच शामिल कुछ अज्ञात लोग अचानक से अंदर घुस गए और उत्पात मचाना शुरू कर दिया था। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल के दरवाजे, खिड़कियों, बेड्स और मेडिकल उपकरणों को तोड़ दिया था। भीड़ ने पुलिस पर ईंटें और पत्थर फेंके। इस दौरान कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए। पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। भीड़ को तितर-बितर करने में पुलिस को कई घंटे लग गए। 

तोड़फोड़ के वीडियो सामने आए

प्रदर्शन और तोड़फोड़ की कई वीडियो सामने आई थी, जिसमें दिख रहा था कि प्रदर्शनकारी तोड़फोड़ कर रहे है। अस्पताल में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या कम थी जिसके कारण वह उग्र भीड़ को नियंत्रित नहीं कर सकी। बाद में अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर पहुंचा। घटना में कई लोग घायल हुए। सीएम ममता बनर्जी ने इसे विपक्ष की चाल बताया है। 

आरोपी पुलिस के लिए करता था काम

आरोपी संजय रॉय कोलकाता पुलिस में एक वॉलेंटियर की तरह काम करता था। उसकी आरजी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पुलिस चौकी में तैनाती की गई थी। वो पुलिस बैरक में भी रुका करता था। 8 अगस्त की सुबह वो कोलकाता पहुंचा। कोलकाता आने के बाद वो सबसे पहले आरजी कर हॉस्पिटल गया। इसके बाद उसने देर रात वारदात को अंजाम दिया।

पेंचीदा होता केस

संजय करीब 40 मिनट तक इस सेमिनार हॉल में रुका था। बाद में वो पुलिस के बैरक में जाकर सो गया। बाद में पुलिस ने संजय को बैरक से गिरफ्तार कर लिया। इस घटना का सीसीटीवी भी सामने आया है। मगर संजय रॉय के पकड़े जाने के बाद भी कई ऐसे सवाल और सुराग अब भी ऐसे हैं जिन्हें सीबीआई के हाथ आना बाकी है। क्योंकि हर गुजरते पल के साथ ये केस और भी ज्यादा पेंचीदा होने लगा है। इस बीच मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रशासन सबूतों से छेड़छाड़ कर रहा है। 

सवालों में अस्पताल और पुलिस दोनों

सीबीआई इस मामले के हरेक पहलू को खंगाल कर देखना चाहती है। सवाल अस्पताल प्रशासन पर भी है और पुलिस पर भी। सवाल ये है कि अगर मामला क़त्ल का था, तो अस्पताल की ओर से घरवालों को इसे सुसाइड का मामला क्यों बताया गया? जबकि अस्पताल में डॉक्टर का क़त्ल हो गया और पुलिस ने इस मामले की जांच अनैचुरल डेथ मान कर शुरू की, ऐसा क्यों? सवाल ये भी है कि क्या वारदात के बाद जानबूझ कर इस मामले में सबूत मिटाने की कोशिश हुई? ज़ाहिर है सीबीआई की तफ्तीश का दायरा फिलहाल बढ़ता ही जा रहा है

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