मर्डर की परफेक्ट प्लानिंग में नंबरों ने किया खेल खराब, फेल हुई प्लानिंग धरे गए सब
Karnataka police solved a blind murder case of charred body
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पुलिस ने लाश के नाम पर जो कुछ बचा था उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया और मामले की तफ्तीश में लग गई। पुलिस ने जब कार की नंबर प्लेट की जांच की तो वो नकली निकली। बस यहीं से पुलिस को शक होने लगा था कि ये मामला हादसे का नहीं बलकि कत्ल का है। पुलिस ने कार का इंजन नंबर देखने की कोशिश की लेकिन वो जलने की वजह से मिट चुका था।
पुलिस ने अब कार के चेसिस नंबर ढूंढे और यहां पुलिस को सफलता मिल गई। चेसिस नंबर की मदद से पुलिस उस पते पर पहुंच गए जिस पते पर ये कार रजिस्टर थी। ये घर था 45 साल के बिजनेसमैन विनोद का। विनोद सागर तालुक के अच्छापुरा गांव में हर्बल प्रोडक्ट बनाया करते थे और उन्हें बेचा करते थे। विनोद के घर पर पुलिस को उनकी पत्नी विनूथा और दो बेटों के अलावा एक रिश्तेदार भी मिला।
पुलिस ने सबसे अलग-अलग पूछताछ की, विनूथा ने पुलिस को बताया कि उसके पति 26 सितंबर से बिजनेस ट्रिप पर गए हुए थे लेकिन अभी तक वापस लौटकर नहीं आए हैं। जब दोनों बच्चों से पूछताछ की गई तो उन्होंने पुलिस को अलग कहानी बताई। अलग-अलग बयान सुनकर पुलिस का शक और गहरा गया। पुलिस ने चारों को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरु कर दी। थोड़ी ही देर में पत्नी विनूथा ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
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क्यों किया था पति का क़त्ल ?
विनूथा ने पुलिस को बताया कि उनकी जिंदगी में सबकुछ ठीक चल रहा था। एक दिन विनूथा को पता लगा कि 45 साल के विनोद के संबंध किसी दूसरी महिला से भी हैं। ये बात दोनों बेटों को भी मालूम चली जिनकी उम्र भी करीब साल के आसपास है। पहले विनोद को समझाया गया कि वो उस महिला का साथ छोड़ दें और बीवी बच्चों पर ध्यान दे लेकिन विनोद परिवार की बात सुनने को तैयार नहीं हुए।
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घर में झगड़े होने लगे और आपसी मनमुटाव इस कदर बढ़ गया कि अब एक तरफ विनोद थे तो दूसरी ओर उनकी पत्नी विनूथा और दोनों बेटे थे। विनूथा को इस बात का डर लगने लगा कि कहीं विनोद अपनी जायदाद दूसरी महिला के नाम पर ना कर दें और उसके बेटों के हाथ कुछ भी ना लगे।
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घर की बात बाहर भी आने लगी थी विनूथा ने विनोद के भाई संजय को भी इस अफेयर के बारे में बताया, संजय ने भी विनोद को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । बात हाथ से निकलते देख विनूथा ने विनोद का कत्ल करने का पक्का इरादा कर लिया। इस प्लान में उसने अपने दोनों बेटों के साथ विनोद के भाई संजय और एक रिश्तेदार को शामिल कर लिया।
26 सितंबर को इन्होंने पांच लीटर पेट्रोल खरीदा। रात में जब विनोद सो गए तो विनोद के सिर पर रॉड मारकर उनकी हत्या कर दी गई। हत्या करने के बाद इन्होंने फर्श पर पड़े खून को केमिकल से साफ कर दिया जबकि अपने खून से सने कपड़े और चप्पले जला डाली।
लाश उन्हें उसी रात ठिकाने लगानी थी लेकिन मौका नहीं मिल पाया। दो दिन तक लाश घर के अंदर ही रही। दो दिन बाद रात 10.30 बजे ये लोग विनोद की लाश लेकर तीर्थाहल्ली के जंगल में पहुंचे।
इन्होंन विनोद को कार की सीट पर बैठाने के बाद कार को आग के हवाले कर दिया। कार को आग के हवाले करने के बाद ये वापस घर आ गए और सामान्य जिंदगी गुजारने लगे। इन्हें लग रहा था कि ना तो पुलिस विनोद की कार के बारे में पता लगा पाएगी और ना ही विनोद की लाश की पहचान हो पाएगी। हालांकि कार के चेसिस नंबर ने इनके गुनाह की चुगली कर दी और ये सब पकड़े गए।
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