बिहार के इस जज ने बच्चे को मिठाई खाने के लिए ये कैसी सजा दी!

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बिहार के इस जज ने बच्चे को मिठाई खाने के लिए ये कैसी सजा दी!
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कहते हैं बच्चे मन के सच्चे होते हैं बच्चे का बाल मन कब किस चीज के लिए लालायित हो उठे यह कोई नहीं कह सकता. बच्चों को जो भी खाने में पसंद आता है वो बस खा लेते हैं. उनको बस खाना चाहिए होता है चाहे वो कैसे भी मिले. वो ये नहीं देखते कि यह खाना किसका है. और कैसे मिल रहा है, क्योंकि उनमें इतनी सोचने की क्षमता नहीं होती कि ये पसंदीदा चीज कहां से आई है.

ऐसा ही एक अनूठा मामला सामने आया है नालंदा जिले के हरनौत थाना इलाके में यहां एक किशोर अपनी नानी के घर आया हुआ था 7 सितंबर को उसको जोर की भूख लगी और वो उसी चक्कर में अपनी पड़ोस में रहने वाली मामी के घर में घुस गया. वहां पहुंचकर उसने फ्रीज खोली और उसमें रखी सारी मिठाई खा ली.

उसके बाद भोलेपर में उसने फ्रीज के ऊपर रखे मोबाइल को लेकर गेम खेलने लगा. तभी जल्लाद मामी आई और उसको बहुत खरी खोटी सुनाई उसके बाद चोरी का आरोप लगाकर बच्चे को पुलिस के हवाले कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने उसे जुवेनाइल कोर्ट के सामने पेश किया.

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इस मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए चीफ मजिस्ट्रेट मानवेंद्र मिश्र ने कहा हमारी सनातन संस्कृति में भगवान की बाल लीला को दर्शाया गया है भगवान कृष्ण कई बार दूसरे के घर से माखन चुराकर खाते थे और मटकी भी फोड़ देते थे. अगर आज के समाज जैसा उस टाइम होता तो बाल लीला की कथा ही नहीं होती.

आदेश में यह भी कहा कि अगर पड़ोसी को भूख लगी है बीमार है, लाचार है ,तो बजाय सरकार को कोसने के पहले हमें उनकी मदद को आगे आना होगा.

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जुवेनाइल के चीफ मजिस्ट्रेट मानवेंद्र मिश्र ने ये भी कहा की, ‘हमें बच्चों के मामले में सहिष्णु और सहनशील होना पड़ेगा. उनकी कुछ गलतियों को समझना पड़ेगा कि आखिर बच्चे में भटकाव किन परिस्थितियों में आया.

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एक बार हम बच्चे की मजबूरी, परिस्थिति, सामाजिक स्थिति को समझ जाएं तो उनके इन छोटे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए समाज खुद आगे आने और मदद के लिए तैयार हो जाएगा.’

इसके साथ जज ने यह भी कहा कि बिहार किशोर न्याय अधिनियम 2017 के तहत पुलिस को इस मामले में FIR की बजाय ये केस डेली जनरल डायरी में दर्ज करना चाहिए था. जज ने जिला बाल संरक्षण इकाई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किशोर सुरक्षित रहे किसी बदसलूकी या तंगी के कारण वो फिर से अपराध करने के लिए मजबूर ना हो.

जब मजिस्ट्रेट ने किशोर से बात की तो उसने बताया कि मेरे पिता बस ड्राइवर थे. एक्सीडेंट में उनकी रीड की हड्डी टूट गई, तब से वे बेड पर हैं. मां मानसिक रूप से बीमार हैं .परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है. गरीबी की वजह से मां का इलाज नहीं हो पा रहा.

नाना और मामा की मौत हो चुकी है. नानी काफी बुजुर्ग हैं. मेरे माता-पिता कोर्ट नहीं आ सकते. अब मैं आगे से ये गलती नहीं करूंगा. सारी बातें ध्यान से सुनने के बाद मजिस्ट्रेट नेबच्चे को बरी कर दिया और कहा कि ‘माखन चोरी बाल लीला है तो मिठाई चोरी अपराध कैसे?’

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