गाजा में अस्पताल पर हमले ने इजराइल और अमेरिका की 'मिडिल ईस्ट' की इस 'प्लानिंग' को किया चौपट

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गाजा में अस्पताल पर हमले ने इजराइल और अमेरिका की 'मिडिल ईस्ट' की इस 'प्लानिंग' को किया चौपट
इजराइल के लिए उड़ान भरने से पहले ही मिडिल ईस्ट की प्लानिंग चौपट होने की खबर मिल गई थी बाइडन को
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War live Updates: मंगलवार को देर रात इजराइली सेना ने गाजा पट्टी के एक अस्पताल पर रॉकेट से हमला किया, जिसमें 500 से ज़्यादा मरीजों की मौत हो गई। जबकि हमास के दावे को झूठा बताते हुए इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि इजराइल ने अस्पताल पर हमला नहीं किया और गाजा पर IDF ने किसी तरह की कोई बमबारी नहीं की बल्कि ये तो खुद आतंकी हमला है।

नेतन्याहू और बाइडन की प्लानिंग हुई चौपट

हमले के बाद लीपापोती

Biden And Netanyahu:  भले ही इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस हमले के बाद लीपापोती में जुटे हों। और इस नरसंहार का दाग किसी और के माथे पर चुपड़ने को आमादा हों, मगर एक बात तो साफ हो गई कि इजराइल और अमेरिका ने मिलकर जो इस जंग की आड़ में ऑपरेशन मिडिल ईस्ट चलाया था वो पूरी तरह से चौपट हो गया। यानी साफ साफ कहा जाए तो नेतन्याहू और जो बाइडन की प्लानिंग धरी की धरी रह गई। क्योंकि इस एक हमले ने उनके सारे किए कराए पर पानी फेर दिया। 

जंग के बारवें दिन प्लानिंग की तेरहवीं

Israel And Hamas war : हमास और इजराइल की जंग को 12 दिन हो गए हैं। लेकिन बारवें दिन अमेरिका और इजराइल के प्लान की तेरहवी हो गई। मध्य गाजा के अल अहली अस्पताल में रॉकेट अटैक में 500 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। हमले का इल्जाम इजराइल पर है लेकिन इजराइल सरासर इस हमले से इनकारकर रहा है बल्कि इस टोपी वो इस्लामिक जेहादी संगठन पर डालने की फिराक में लगा है। अपने खुफिया सूत्रों का हवाला देकर इजराइल और उसकी सेना ये बताना चाहते हैं कि फिलिस्तीनी संगठन ने ये हमला किया और धोखे से निशाना अस्पताल बन गया।

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गाजा के अस्पताल पर रॉकेट का हमला बना अब मुसीबत 

दो फाड़ में हुई दुनिया

इस घटना के सामने आने के बाद अब दुनिया सन्न रह गई। और दो फाड़ में बंटी दुनिया इस नरसंहार को देखकर अब समझ ही नहीं पा रही है कि आखिर वो किसका साथ दे और किसका नहीं। लेकिन इजराइल के इस हमले की दुनिया के हरेक हिस्से से कोसने और अफसोस जाहिर करने की खबरें आ रही हैं। इस बीच बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का इजराइल पहुँचने का प्रोग्राम भी प्रभावित हो गया। क्योंकि इस एक हमले ने उनके सारी प्लानिंग पर रायता फैला दिया। ये प्लानिंग इजराइल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मिडिल ईस्ट के लिए बनाई थी। आइडिया कुछ ऐसा था कि हमास पर हमले की आड़ में इस इलाके में अमेरिका को अपनी घुसपैठ करने का मौका मिल जाएगा। जिसके जरिए वो पूरे इलाके के अरब वर्ल्ड पर अपना एक बाद फिर दबदबा बनाने की कोशिश करेगा। 

हाथ मिलाने से पहले मुंह मोड़ा

बाइडन की विजिट का दिखावा तो ये था कि वो और उनका देश यानी अमेरिका इस संकट के समय इजराइल के साथ खड़ा है। बाइडन का जॉर्डन जाने का भी प्रोग्राम है। जॉर्डन में बाइडन की किंग अब्दुल्ला द्वितीय से मुलाकात होनी है जबकि मिस्र में राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी के साथ भी बाइडन की बाचतीत होनी है। फिलिस्तीन प्रशासक प्रमुख मोहम्मद अब्बास को भी इस बैठक का हिस्सा होना था लेकिन अब इस हमले के बाद बाइडन का प्लान पूरी तरह फेल हो गया है। खबर है कि जॉर्डन ने किंग अब्दुल्ला, सीसी, अब्बास के साथ मुलाकात का कार्यक्रम रद्द कर दिया। और तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने बाइडन से मिलने से साफ इनकार कर दिया है। 

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गाजा पट्टी के अस्पताल पर हमले के बाद चारो तरफ अफरा तफरी का आलम है

बाइडन से मीटिंग कर दी कैंसल

जैसे ही गाजा पट्टी के अस्पताल पर रॉकेट गिरे, और वहां हमले की खबर फैली फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने बाइडन के साथ होने वाली बैठक को फौरन रद्द कर दिया। इसके बाद जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने मिलने की मनाही की खबर का खुलासा करवा दिया। बाइडन को मिस्र और फिलिस्तीनी नेताओं के साथ भी बैठकर बातचीत करनी थी। 

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अब यात्रा सिर्फ इजराइल तक

बताते चलें कि बाइडन अपनी एक दिन की यात्रा के दौरान तेल अवीव और जॉर्डन में उतरने वाले थे। लेकिन अब उनकी ये यात्रा सिर्फ इजरायल में ही खत्म हो जाएगी।  इस बात की घोषणा व्हाइट हाउस ने तब की, जब वो दौरे पर जाने के लिए एयरपोर्ट के रास्ते में थे। 

तुर्की और ईरान की धमकी

ये भी सही है कि इजरायल-हमास युद्ध को लेकर दुनिया दो हिस्सों में बंट गई थी। लेकिन अब भ्रम की स्थिति बन गई है। जंग के बीच तुर्की और ईरान ने इजरायल को सीधे तौर पर चेतावनी दी। ये दोनों देश खुले तौर पर फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं और इजरायल से कहा है कि अगर गाजा में हमले नहीं रोके गए तो ये जंग कई मोर्चे से शुरू हो जाएगी। तुर्की ने फिलिस्तीन की स्वतंत्रता की वकालत की। जबकि ईरान के राष्ट्रपति ने हमास के हमले के बाद फिलिस्तीन को बधाई दी थी। इसके अलावा तुर्की और ईरान ने इस्लामिक सहयोग संगठन यानी OIC और संयुक्त राष्ट्र से मिलकर शांति की अपील की थी।

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