क्या खुदकुशी नहीं है महंत गिरि की मौत ? वीडियो सामने आने से उठे कई सवाल
Isn't the death of Mahant Giri a suicide? Many questions arose after the video surfaced
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अरविंद ओझा के साथ संतोष सिंह की रिपोर्ट
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की संदिग्ध हाल में मौत के मामले में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है । एक वीडियो सामने आया है जो घटना के ठीक बाद पुलिस के पहुंचने के दौरान का है। सबसे खास बात यह है कि इसमें फर्श पर महंत का शव पड़ा दिखाई दे रहा है और कमरे का पंखा चल रहा है। वीडियो में आईजी केपी सिंह इस बाबत मठ में रहने वाले शिष्यों से पूछताछ करते भी दिख रहे हैं।
1.45 मिनट का यह वीडियो उस कमरे का है, जिसमें महंत का शव फंदे पर लटका मिला। वीडियो शुरू होते ही महंत नरेंद्र गिरि का शव फर्श पर पड़ा नजर आता है और बगल में ही महंत के कथित सुसाइड नोट में उत्तराधिकारी बताए गए बलबीर गिरि खड़े नजर आते हैं। वीडियो के अगले फ्रेम में एक फोटोग्राफर और एक दरोगा नजर आते हैं। इसके बाद कैमरा कमरे में पड़े बिस्तर और वहां सजाई गईं तस्वीरों व सर्टिफिकेट की ओर घूमता है।
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अगले फ्रेम में कैमरा कमरे में लगे पंखे की तरफ किया जाता है, जिसमें पंखा चलता हुआ दिखाई देता है। पंखे की रॉड जिस चुल्ले में फंसी होती है, इसी चुल्ले में पीले रंग की नॉयलॉन की उस रस्सी का एक हिस्सा भी फंसा नजर आता है, जिससे बनाए गए फंदे पर महंत का शव लटका मिला। वीडियो में फर्श पर मृत पड़े महंत के गले में रस्सी का एक टुकड़ा भी फंसा दिखाई देता है।
कुछ ही देर बाद आईजी केपी सिंह कमरे के दरवाजे पर खड़े महंत के शिष्यों से यह पूछताछ करते नजर आते हैं कि पंखा चल रहा था या इसे किसी ने चलाया। इस पर सुमित नाम का शिष्य पहले यह कहता है कि पंखा चल रहा था फिर दुबारा पूछने पर बताया कि उसने चलाया। लेकिन जब आईजी उससे इस बारे में पूछते हैं तो वह इसका जवाब न देकर अन्य बातें बताने लगता है। आईजी कविंद्र प्रताप सिंह सुमित से पूछते हैं कि टोये ठंडा हो गए थे तुम लोगों को उतारना नही चाहिए था ।
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बड़ा सवाल: रस्सी के तीन हिस्से कैसे हुए
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वीडियो देखने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि महंत ने जिस रस्सी से फांसी लगाई, उसके तीन हिस्से कैसे हुए। अगर माना जाए कि रस्सी काटकर शव को फंदे से नीचे उतारा गया तो भी यह सवाल अनुत्तरित ही रहता है, क्योंकि इसमें भी रस्सी के दो ही भाग होंगे, जबकि कमरे में रस्सी तीन हिस्सों में बंटी मिली।
सबसे पहला हिस्सा चुल्ले में फंसा मिला। दूसरा हिस्सा महंत के गले में फंसा था। जबकि रस्सी का तीसरा हिस्सा कमरे में पड़ी शीशे की मेज पर रखा मिला। यह भी कहा जा रहा है कि शव को फंदे से उतारने के बाद अगर महंत के गले से रस्सी निकालनी थी तो इसे गांठ खोलकर अलग किया जाता। न कि रस्सी को काटकर दो हिस्से किए जाते जिसमें कि एक हिस्सा उनके गले में ही रह जाता। और सबसे बड़ी बात महंत नरेंद्र गिरी के गले में फंदे का निशान तक नहीं है ।
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