Israel Hamas War: अरब देशों ने घेरा इजराइल को, गाजा पर हमला हुआ तो खुल जाएंगे जंग के कई मोर्च
Israel Hamas War: गाजा में इजरायल की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद हालात बहुत तेजी से बदलने लगे हैं, लड़ाई के कई मोर्चे एक साथ खुलने का अंदेशा बढ़ गया ।
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Israel Hamas War Update: गाजा में इजरायल की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद हालात बहुत तेजी से बदलने लगे हैं। इजराइल के लिए लड़ाई के कई मोर्चे एक साथ खुलने का अंदेशा बढ़ गया है। और ये नया डेवलपमेंट इजरायल के उस प्लान को पूरी तरह से चौपट कर सकता है जिसके जरिए वो अपने सबसे बड़े और जानी दुश्मन ईरान को अकेला करने का सारा प्लान बनाया था।
अभी पिछले महीन की ही तो बात है जब बिन्यामिन नेतन्याहू संयुक्त राष्ट्र में खड़े होकर इजरायल और अरब देशों के बीच दोस्ती के सपने दुनिया को दिखा रहे थे। लेकिन गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई उसे मध्य पूर्व के सबसे बड़े बदलाव की उम्मीद को खत्म कर सकती है।
गुस्सा इतना बढ़ा तो खतरा बढ़ेगा
जॉर्डन इजरायल से लगा अरब देश। यहां पर गाजा में इजरायल की कार्रवाई के विरोध में हजारों लोग नारे लगाते हुए सड़कों पर उतर आए। जानकारों का कहना है कि जैसे-जैसे गाजा में तबाही की तस्वीरें आएंगी, अरब देशों की सरकारों पर इजरायल का विरोध करने का दवाब बढ़ता जाएगा। अगर गुस्सा इतना बढ़ जाता है, तो बंदोबस्त का खतरा पैदा होगा और अगर इस गुस्से को दबाने की कोशिश हुई तो रियेक्शन होगा। अगर नहीं रोका तो फिर क्या होगा। ऐसा ही हाल मिस्र और बाकी देशों में भी हो सकता है। लेबनान में भी बुरे हालात हैं, क्योंकि वहां हिजबुल्ला है।
इजरायल के सामने दोहरी चुनौती
तो इजरायल के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ उसे हमास के आतंकियों, उनके ठिकानों को ध्वस्त करना है। तो वहीं ऐसा कुछ नहीं करना है, जिससे अरब देश उसके खिलाफ हो जाएं। क्योंकि आशंका अब इस बात की बढ़ रही है कि ये लड़ाई सिर्फ इजरायल और हमास की न कर मिडिल ईस्ट के कुछ देशों के दाखिल होते हुए एक बार फिर अरब और इजरायल की जंग में तब्दील न हो जाए?
तो क्या अभी जो जंग इजरायल और गाजा में हमास के बीच छिड़ी है इसमें एक एक करके
ईरान
लेबनान
सीरिया
मिस्र
कतर
जॉर्डन
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समेत दूसरे अरब देश भी इस युद्ध में उतर सकते हैं ?
हथियार के सबसे बड़े प्रायोजक
अगर हां तो इसकी आशंका क्यों जताई जा रही है ? याद करिए इन तस्वीरों को इजरायल पर हमले और गाजा पर इजरायल की तरफ आतंक का जवाब देने के बाद कैसे अमेरिकी की तरफ से मदद का जहाज हथियारों के साथ पहुंचता है। फिर गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन भी इजरायल पहुंचकर कहते हैं। जो होगा देखा जाएगा। हम तो यही हैं। अमेरिका जो इजरायल के साथ हाथ मिलाकर संदेश देता है। इसे गंभीरता से लेना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि वो दुनिया की हर लड़़ाई में किसी ना किसी एक पक्ष को हथियार के सबसे बड़े प्रायोजक के तौर पर रहा है। अगर उसका राष्ट्रपति अपने संदेश की आखिरी लाइन में ईरान को खबरदार करता है तो ये अपने आप में बड़ी बात है।
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अमेरिका-इजरायल के निशाने पर ईरान
अरब देशों में ईरान ही वो देश है, जिसकी सरकार अक्सर अमेरिका-इजरायल के निशाने पर रहती है. 5 साल पहले ईरान में जब पानी की किल्लत हुई तो नेतन्याहू ने इस तरह से ईरान के लोगों से सीधा संपर्क साधा और उन्हें हो रही दिक्कत के लिए ईरान की सरकार को दोषी बताया. ये समझाने की कोशिश की, कि इजरायल तो उनकी मदद करना चाहता है. लेकिन उनकी सरकार की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा। इजरायल अभी तक शिया बहुल ईरान और सुन्नी बहुल अरब देशों के मतभेदों के दम पर अपने सबसे बड़े दुश्मन को अलग थलग करने में कायमाब रहा है। लेकिन जॉर्डन की तस्वीर कहती है कि हालात तेजी से बदल भी सकते हैं। फिलहाल इजरायल का पड़ोसी मिस्र फिलिस्तीन के समर्थन में ख़ड़ा है।
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फिलिस्तीन के समर्थन में
जॉर्ड़न- फिलिस्तीन की जमीन पर इजरायल के हमले का विरोध किया है। यानी फिलिस्तीन के साथ है।
लेबनान- बॉर्डर पर तो अभी इजरायल के साथ बमबारी तक हो रही है। क्योंकि लेबनान का आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह हमास का साथ देते हुए इजरायल की पोस्ट और टैंक पर अटैक तक कर चुका है।
सीरिया- खुलकर इजरायल के विरोध में है।
सऊदी अरब- अभी तक तो फिलिस्तीन के समर्थन में ही है।
यूएई- सऊदी अरब की तरह मानता है कि इजरायल और फिलिस्तीन दोनों देश शांति से रहें।
बहरीन- अभी इजरायल के साथ बने अपने नए संबंध और फिलिस्तीन के साथ रहे ऐतिहासिक संबंधों को संभालने में जुटा है।
कतर- एक तरफ संबंध इजरायल से रखता है। दूसरी तरफ हमास को आर्थिक मदद भी देता है।
ईरान- हमास और फिलिस्तीन का समर्थन किया है।
ईरान हमास हमास को देता है मदद
ईरान वो देश है जो हमास को पैसा, हथियार, ट्रेनिंग सबमें मदद करता है। शिया बहुल राष्ट्र है ईरान जबकि हमास सुन्नी संगठन है, जिनमें कभी कभी तनाव भी हो जाता है। लेकिन इजरायल के विरोध ने ईरान और हमास दोनों को करीब ला खड़ा किया है। इजरायल की वजह से दोनों को अपने हित समान लगते हैं...और वो साथ मिलकर भी काम करते हैं।
बढ़ते तनाव में दोस्ती या देश
लेकिन गाजा में इजरायल की कार्रवाई के बाद सबकुछ बदल सकता है। क्योंकि अगर ये तनाव फैला तो फिर इजरायल से दोस्ती करने वाले अरब देशों को उसके साथ खड़ा होना मुश्किल हो सकता है। इजरायल और अरब देश के हित जुड़े हुए हैं. जो हमारे क्षेत्र में शांति ला सकते हैं। पहले हमास का हमला और फिर इजरायल की जवाबी कार्रवाई और उसके खिलाफ अरब देशों में जनता का गुस्सा। ये वो बातें हैं, जिन्हें अरब देशों की सरकारें कब तक नजरअंदाज कर पाएंगी, ये बड़ा सवाल है। क्योंकि जिस तरह से अल अक्सा में फिलिस्तीनियों को अल अक्सा मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोका गया, उसकी प्रतिक्रिया अरब देशो में बहुत सख्त होगी।
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