Ismail Haniyeh पर हमले के बाद ईरान की मस्जिद में लगा लाल झंडा, कहीं ऐलान-ए-जंग का इशारा तो नहीं? अरबी में लिखी इबारत का ये है मतलब!
Red Flag Raised Iran: तेहरान में 31 जुलाई को हुए एक हमले में हमास के नेता इस्माइल हानिये की मौत के बाद से ही पूरी दुनिया एक अजीबो गरीब तनाव के दौर से गुजर रही है। इसी बीच ईरान की तरफ से जो संकेत मिले हैं वो भी शुभ संकेत नहीं है क्योंकि ईरान की एक पवित्र मस्जिद की बुलंदी पर लाल झंडा फहराया गया है। इस झंडे को लेकर जानकार अलग अलग मायने निकाल रहे हैं।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
ईरान के पवित्र शहर कोम की मस्जिद में फहराया लाल झंडा
लाल झंडे पर लिखी है अरबी में इबारत
ईरान की इस मस्जिद पर पहले भी फहराया गया है लाल झंडा
Attack on Hamas Leader in Iran: तो क्या ईरान ने इजरायल से बदला लेने का ऐलान कर दिया? क्या ईरान ने अब अपने दुश्मनों से बदला लेने की ठान ली है? क्या ईरान की तरफ से ऐलान-ए-जंग (War) कह दिया गया है। क्या अब मिडिल ईस्ट (Middle East) में यलगार होने वाला है। ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि ईरान में हमास के नेता इस्माइल हानिये के मारे जाने के 24 घंटे के भीतर कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं जिनको देखने के बाद अब पूरी दुनिया में इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि ईरान अब बदला (Revange) लेने के मूड में आ गया है।
सोने से पहले उतार दिया मौत के घाट
31 जुलाई को भारत में सूरज जब तक निकलता करीब तीन हजार किलोमीटर दूर ईरान की राजधानी तेहरान में तब तक हमास के लीडर इस्माइल हानिये (Ismail Haniyeh) की जिंदगी का दीया बुझ चुका था। इस खबर को फैलने में ज्यादा वक्त भी नहीं लगा क्योंकि एक तो खुद इजराइल इस खबर को पूरी दुनिया में फैलाने को आमादा था दूसरा ईरान के समर्थक मुल्कों में ये खबर जंगल की आग की तरफ फैल रही थी। दावा ये था कि इजरायल ने मिसाइल के हमले से हमास के पॉलिटिकल प्रमुख इस्माइल हानिये को उस वक्त मौत के घाट उतार दिया जब वो उत्तरी तेहरान के सबसे महफूज ठिकानों में से एक में आराम से सोने की तैयारी कर रहा था।
ईरान के महफूज ठिकाने पर सटीक हमला
ये हमला इतना सटीक और पिन प्वाइंट था कि ईरान के वॉर वेटेरंस के लिए बनाए गए एक मकान को ही मिसाइल ने उड़ाया। और उस हमले में मकान समेत हमास का लीडर इस्माइल और उसका एक निजी बॉडीगार्ड मौके पर मारा गया। मगर जैसे ही ये खबर खुलकर सामने आई तो पूरी दुनिया देखते ही देखते दो भागों में बंट गई। इस हमले के लिए इल्जाम इजरायल पर लगाए गए लेकिन हमला हुआ था ईरान की राजधानी में। ऐसे में इस बात की अफवाह को उड़ते देर नहीं लगी कि इस हमले के जवाब में ईरान अब इजरायल के खिलाफ हमला बोल सकता है।
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दो धड़ों में बंट गई दुनिया
बस इसी बात को लेकर पूरी दुनिया दो धड़ों में बंट गई। तभी एक तस्वीर ने सामने आकर इस बात को और हवा दे दी कि ईरान वाकई अब इस हमले का बदला लेगा। क्योंकि ईरान ने अपनी एक मस्जिद में लाल रंग का झंडा लगा लिया है। जिसका मतलब इंतकाम माना जा रहा है। ईरान के कोम शहर की एक मस्जिद के गुंबद पर लाल झंडा लगाया गया है। यह लाल झंडा बदला लेने का एक प्रतीक माना जाता है, जिसकी वजह से अब ये माना जाने लगा है कि बढ़ते तनाव की वजह से ईरान इजरायल के खिलाफ हमला कर सकता है।
झंडे पर लिखा है अरबी में ''या ला-थारत अल-हुसैन''
कोम की मस्जिद पर लगाया गया लाल झंडा ईरान में वैसे अक्सर मोहर्रम के महीने में लगाया जाता है। इस लाल झंडे को शहादत की निशानी माना जाता है और लाल रंग शहीदों के खून का प्रतीक है। मुहर्रम के दौरान खासतौर पर इस झंडे को लगाकर मजहबी मातम मनाया जाता है। इस झंडे पर अरबी में एक वाक्य भी लिखा हुआ है ''या ला-थारत अल-हुसैन''। इसका मतलब होता है "ऐ हुसैन का बदला लेने वालों। ऐसे में इस्माइल हानिये की हत्या के बाद अब ये माना जा रहा है कि कोम की मस्जिद में लगाया गया ये लाल झंडा ईरान के ऐलान-ए-जंग का संकेत हो सकता है। यानी उस लाल रंग के झंडे को लगाकर एक तरह से इस बात के संकेत साफ होने लगे हैं कि हो न हो ईरान अब नया युद्धक्षेत्र बनने वाला है।
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ईरान की सबसे पवित्र मस्जिदों में से एक
जिस मस्जिद पर लाल रंग का झंडा लगाया गया है, वो जामकरन मस्जिद है। ये मस्जिद ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 120 किलोमीटर दूर कोम में मौजूद है। कोम को ईरान का सबसे पवित्र शहर भी माना जाता है। ये मस्जिद ईरान में काफी अहम है। असल में एक ही गुंबद होने की वजह से इस मस्जिद को बेहद खास दर्जा हासिल है। ये मस्जिद शिया मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जहां ईरान में अलग अलग शहरों से लोग आते हैं। कहा जाता है कि शिया मुसलमानों के 12वें इमाम मोहम्मद अल महदी के हुक्म पर हसन बिन मसला ने इसकी तामीर करवाई थी।
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लाल झंडे की गजब कहानी
आपको बता दें कि ईरान की ये मस्जिद दुनियाभर में अक्सर इसी लाल रंग के झंडे की वजह से सुर्खियों में रहती है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब इस मस्जिद पर लाल रंग का झंडा फहराया गया है। इससे पहले भी यहां लाल रंग का झंडा फहराया जा चुका है। इस लाल रंग के झंडे को अक्सर उस वक्त फहराया जाता है, जब ईरान किसी की मौत या हमले का बदला लेने का ऐलान करता है। लाल झंडा दरअसल ऐलान-ए-जंग है यानी जंग का बिगुल। इस झंडे को लगाने के बाद ईरान की ओर से ये मैसेज दिया जाता है कि अब ईरानी की ओर से मौत का बदला लिया जाएगा।
इस झंडे के लगाने के बाद से ही ईरान के लीडरों की तरफ इजरायल को सबक सिखाने और इस हमले का करारा जवाब देने जेसे बयान आने लगे हैं।
लाल झंडा फहराने का मतलब
कुछ अरसा पहले लाल रंग का झंडा फहराया गया। खासतौर पर जब भी देश के किसी खास और नामचीन हस्ती की मौत होती है तो लाल झंडा फहरा दिया जाता है।
- साल 2020 की शुरुआत में भी लाल झंडा फहराया गया था। उस वक्त ईरानी कुर्द फोर्स के शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद ऐसा किया गया था। उस वक्त सुलेमानी इराक में एक अमेरिकी एयर स्ट्राइक में मारे गए थे।
- साल 2024 की शुरुआत में भी इस झंडे को लगाया गया था, उस वक्त कासिम सुलेमानी की मौत की बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम में बम विस्फोट हुआ था। इसके बाद ईरान ने बदले की बात कही थी।
- साल 2022 में भी खबरें आ रही थीं कि सऊदी अरब पर ईरान हमला कर सकता है। उस वक्त ईरान ने नवंबर में लाल झंडा फहराया था।
- इसके अलावा ये झंडा अक्सर मुहर्रम के महीने में मस्जिदों पर फहराया जाता है. मुहर्रम महीने में कई बार ईरान में लाल झंडा फहराया जाता है।
कोई तय मियाद नहीं होती
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, ये झंडा तो जिस मकसद और जिस तरह लगाया जाता है उसके लिए वजह और वक्त तय है मगर उसको कब और कैसे हटाया जाएगा इसको लेकर किसी भी तरह की कोई तय मियाद नहीं है। लाल झंडा कुछ दिन बाद भी हटाया जा सकता है या ये झंडा एक अवधि तक भी लगा रह सकता है। मगर इसकी को निश्चित तारीख नहीं होती।
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