इस महिला IPS पर हुई FIR, 1200 करोड़ के स्कैम की मिली थी जांच, पुलिस ने कहा जांच की आड़ में कर रही थीं वसूली

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इस महिला IPS पर हुई FIR, 1200 करोड़ के स्कैम की मिली थी जांच, पुलिस ने कहा जांच की आड़ में कर रही थीं वसूली
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मुंबई से विद्या की रिपोर्ट

Mumbai: पुणे में 1200 करोड़ रुपये के घोटाले की तफ्तीश करते-करते पुणे की पूर्व डीसीपी आईपीएस अफसर भाग्यश्री नव(IPS Bhagyashree Navatake) खुद जांच के घेरे में आ गई हैं। इल्जाम है कि भाग्यश्री ने गैरजरूरी तरीके से स्कैम में शामिल बड़े नामों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनपर दबाव बनाया। इसी के बाद सरकार के इशारे पर आईपीएस भाग्यश्री नवक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। मगर अब भाग्यश्री ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर इसे अपने खिलाफ गहरी साजिश बताया है और अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की है। याचिका में उन्होंने कहा है कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्हें तुरंत सुरक्षा दी जाए क्योंकि जिस मामले की जांच की जा रही है उसमें कई बड़े और प्रभावशाली लोग शामिल हैं।

खुद पर हुई एफआईआर को बताया अवैध

अपने वकील मनोज नायक के जरिये दायर की गई याचिका में भाग्यश्री ने यह आधार दिया है कि उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर न सिर्फ अवैध है बल्कि उनके खिलाफ लगे आरोप भी स्पष्ट नहीं हैं। याचिका में कहा गया है कि एफआईआर प्राकृतिक न्याय (नेचुरल जस्टिस) के सिद्धांतों के खिलाफ है क्योंकि उन्हें अपने खिलाफ लगे आरोपों पर सफाई देने का कोई मौका नहीं दिया गया। याचिका में यह भी आधार लिया गया है कि एफआईआर में शामिल कुछ धाराएं नवटेक के खिलाफ बनती ही नहीं हैं।

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1200 करोड़ के घोटाले की कर रही थीं जांच

भाग्यश्री के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर सीआईडी की रिपोर्ट पर आधारित है जिसमें उनके खिलाफ नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया गया था ये उस दौर की बात है जब भाग्यश्री नवटेक पुणे पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंसिज विंग (EOW) की स्पेशल इनवेस्टिगेटिंग टीम यानी SIT का नेतृत्व कर रही थीं। पुणे पुलिस ने उनके खिलाफ जालसाजी और आपराधिक साजिश के आरोप में मामला दर्ज किया था इससे पहले भाग्यश्री ने भाईचंद हीराचंद रायसोनी (बीएचआर) क्रेडिट सोसाइटी से जुड़े 1,200 करोड़ के घोटाले की जांच का नेतृत्व किया था।

थाने में दबाव बना कर कराईं एफआईआर

नवटेक के खिलाफ दर्ज एफआईआर, सरकार के इशारे पर पुणे के डीसीपी (क्राइम) निखिल पिंगले की ओर से कराई गई है। एफआईआर में कहा गया है कि शुरुआती जांच किए बिना तीन-तीन एफआईआर दर्ज की गईं। इनमें से दो मामलों में डेक्कन और आलंदी पुलिस स्टेशन में जब एफआईआर दर्ज की गईं तब
शिकायत करने वाले भी वहां मौजूद नहीं थे। इसके अलावा जांच में तय प्रक्रियाओं का पालन भी नहीं किया गया पुणे ग्रामीण और पिंपरी चिंचवड़ पुलिस थानों में मामलदर्ज करने के लिए गैरजरूरी दबाव भी बनाया गया। इतना ही नहीं बाकायदा चिन्हित करके एक-एक आरोपी का नाम एफआईआर में शामिल किया गया। कुल मिला कर न सिर्फ आरोपियों के खिलाफ जांच का दायरा गैरजरूरी तरीके से बढ़ाया गया बल्कि जांच करने वाला अफसर इस मामले से सीधे तौर पर जुड़ा था यानी उसका केस से 'कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' था।

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आईपीएस ने कहा साजिश के तहत लगाए आरोप

2020 में, भाईचंद हीराचंद रायसोनी क्रेडिट सोसाइटी घोटाले में आलंदी, डेक्कन और शिक्रापुर पुलिस स्टेशन में तीन मामले दर्ज किए गए थे लेकिन आरोपियों ने उल्टा आरोप लगाया कि नवटेक ने पिंपरी चिंचवड़ और पुणे ग्रामीण पुलिस के अफसरों पर दबाव डाल कर उनसे ये मामले दर्ज करवाए। भाग्यश्री नवक ने कोर्ट में दायर याचिका में आशंका जताई है कि उनके खिलाफ एफआईआर आरोपी के इशारे पर दर्ज कराई गई है। साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि ट्रिब्यूनल जाए बिन सीआईडी की जांच शुरु की गई है जो कि प्रक्रिया के मुताबिक सही तरीका नहीं है। नवटेक की इस याचिका को तुरंत सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है और अब इसे 25 सितंबर को जस्टिस एएस गडकरी और नीला गोखले की पीठ द्वारा सुना जाएगा।

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घोटाले को लेकर 80 से ज्यादा केस दर्ज

दरअसल 2020 में बीएचआर स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी बड़े स्तर पर फिक्स्ड डिपॉजिट समेत पैसों को दोगुना करने के कई लुभावने प्लन शुरु किये। सोसाइटी के दावों से भ्रमित होकर पूरे महाराष्ट्र से हजारों निवेशकों ने लाखों रुपये जमा किये मगर तय समय सीमा के बाद कंपनी वादे के मुताबिक रिटर्न नहीं दे पाईतब बीएचआर राज्य सहकारी क्रेडिट सोसायटी घोटाले को लेकर महाराष्ट्र भर में 80 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज किए गए इस घोटाले के तहत आम लोगों को ठग कर लगभग 1,200 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया था। उस समय पुणे पुलिस के हाथों गिरफ्तार हुए लोगों में बीएचआर स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी के डायरेक्टर भी शामिल थे।

 

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