झूठा है शीना बोरा के ज़िंदा होने का दावा? तफ्सील से समझिए पूरी कहानी

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झूठा है शीना बोरा के ज़िंदा होने का दावा? तफ्सील से समझिए पूरी कहानी
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23 मई 2012

साल 2012 में वो मई के महीने की 23 तारीख थी, रायगढ़ के जंगल में घूमते हुए एक शख्स को ज़मीन के अंदर और बाहर एक अधजली लाश के बचे खुचे टुकड़े मिले। उसने इस बात की जानकारी बाकी गांववालों को दी और फिर गांववालों ने इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और उसने ज़मीन से लाश निकालने का काम किया। लाश तो जमीन से बाहर निकाल आई लेकिन उनकी पहचान कर पाना एक मुश्किल काम था।

इंद्राणी मुखर्जी का सनसनीखेज दावा- जिंदा है शीना बोरा!

जून 2012

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रायगढ़ के जंगलों से मिली लाश के बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा था, आसपास भी किसी मिसिंग कंप्लेन से ये साफ नहीं हो रहा था कि ये लाश किसकी है। लिहाज़ा लाश का परीक्षण किया गया और उस कुछ सैंपल का रिकॉर्ड रख कर उसे वापस दफ्ना दिया गया।

21 अगस्त 2015

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साल 2015 में ये मामला चर्चा में तब आया जब पुलिस ने टिप के आधार पर श्याम मनोहर राय को अवैध हथियार रखने के नाम पर हिरासत में लिया। इसी मामले में पुलिस जब उससे पूछताछ करती है तो राय अचानक बताता है कि वो पहले भी कई जुर्म कर चुका है, इनमें 2012 में एक मर्डर भी शामिल है। राय ही वो शख्स था जो पहली बार खुलासा करता है कि मर्डर करने के बाद उसने लाश को रायगढ़ के जंगलों में जला और दफना दिया था। इस सूचना पर मुंबई पुलिस जब रायगढ़ पुलिस से संपर्क करती है तो पता चलता है कि मई 2102 में सचमुच एक महिला की जली हुई लाश के कुछ हिस्से मिले थे।

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सितंबर 2015

इस सूचना के बाद मुंबई पुलिस की एक टीम फौरन रायगढ़ रवाना हो जाती है, वहां राय के बताए जगह पर खुदाई की जाती है तो पता चलता है कि राय सच बोल रहा है। खुदाई में एक महिला की लाश के कुछ हिस्से मिलते हैं, इसके बाद मुंबई पुलिस राय से जब और सख्ती से पूछताछ करती है तब वो पहली बार बताता है कि वो कुछ वक्त पहले पीटर मुखर्जी की पत्नी इंद्राणी मुखर्जी का ड्राइवर था, और इंद्राणी के कहने पर ही उसने शीना बोरा नाम की महिला का कत्ल कर लाश रायगढ़ के जंगल में दफना दी थी। अब कहानी फ्लैशबैक में जाना शुरु होती है।

24 अप्रैल 2012 (फ्लैश बैक)

इंद्राणी का ड्राइवर श्याम मनोहर राय ने पुलिस को बताया कि वो, उसका एक साथी और इंद्राणी शीना के साथ मुंबई के बांद्रा इलाके से रायगढ़ कार में गए थे। कार में ही उन्होंने पहले शीना की गला दबा कर हत्या कर दी और फिर रायगढ़ कें सुनसान जंगल में पेट्रोल डाल कर लाश जलाने के बाद बाकी हिस्सा दफना दिया। राय के खुलासे और शुरूआती सबूत हाथ आते ही पुलिस ने मंगलवार शाम को इंद्राणी मुखर्जी को मुंबई में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। पहले तो इंद्राणी न सिर्फ राय के इल्‍जामों से इंकार करती रहीं बल्कि यही कहती रहीं कि शीना उनकी बहन है और तीन साल से अमेरिका में रह रही है। मगर जब राय और उनका सामना कराया गया तो आखिरकार वो टूट गईं और कत्ल की बात कबूल कर ली। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इंद्राणी ने माना कि शीना के साथ उसके रिश्ते अच्छे नहीं थे। 2012 में एक रोज इंद्राणी ने दोनों के बीच जारी विवाद को सुलझाने के बहाने शीना को बांद्रा में मिलने के लिए बुलाया, फिर उसे कार में बैठा लिया। कार में ड्राइवर श्याम राय के अलावा एक शख्स और था, इसके बाद कार में ही शीना की गला दबा कर हत्या कर दी गई।

7 सितंबर 2015

शीना बोरा हत्याकांड की छानबीन में पुलिस ने बताया कि फोरेंसिक जांच में ये पुष्टि हो गई कि रायगढ़ जंगलों से बरामद किए गए कंकाल के अवशेष के डीएनए नमूने इंद्राणी मुखर्जी और मिखाइल बोरा से मेल खाते हैं। इस बात की पुष्टि तीन अलग अलग तरह से करने के बाद एम्स की फोरेंसिक रिपोर्ट ने भी की थी, ये रिपोर्ट सीबीआई को सौंप दी गई थी। आपको बता दें कि तब विशेषज्ञों ने सबसे पहले हड्डी का डीएनए परीक्षण किया था, उसके बाद दूसरे चरण में खोपड़ी के अवशेषों का परीक्षण किया गया और तीसरे चरण में मौका-ए-वारदात पर मौजूद सबूतों की जांच और परीक्षण किया गया था। सभी नमूने शीना बोरा की लाश से मेल खा रहे थे, और सबसे अहम था शीना बोरा के शरीर से लिया गया डीएनए का नमूना। जिसकी जांच करने पर पता चला कि वो हत्या की मुख्य आरोपी इंद्राणी के डीएनए से मैच कर रहा था।

इसलिए झूठा है इंद्राणी का दावा

इन तमाम सबूतों से ये तो साफ है कि इंद्राणी के दावे झूठे हैं और तथ्यों के आधार पर भी ये जावे कमज़ोर नज़र आते हैं लेकिन अगर इनमें कोई बदलाव होता है या अगर इन जांच रिपोर्ट में कोई झोल नज़र आता है तो यकीनन इंद्राणी के दावे ने सीबीआई और इस केस से जुड़ी तमाम एजेंसियों की जांच को ही कटघरे में खड़ा कर देगी। हालांकि इसकी उम्मीद कम ही नज़र आती है।

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