International Women’s Day : जंग के 12वें दिन भी रूस की नाकामी की ये है खूबसूरत वजह

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International Women’s Day : जंग के 12वें दिन भी रूस की नाकामी की ये है खूबसूरत वजह
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रूस का रास्ता रोकने वाली यूक्रेन की ख़ूबसूरत दीवार

INTERNATIONAL WOMEN'S DAY 2022: यूक्रेन के भीतर रुकावट बनकर जिस ताक़त ने आगे बढ़कर रूसी सेना का रास्ता रोकने की सबसे बड़ी हिम्मत दिखाई है तो वो यूक्रेन की ख़ूबसूरत महिलाएं हैं जो हथियार उठाकर रूसी टैंकों के सामने किसी दीवार की तरह खड़ी हो गईं।

इनमें से कोई पत्रकार है, कोई कवि कोई वकील कोई समाजसेवी और कोई गृहिणी। सबके सब एक ही मक़सद के लिए मोर्चे पर डट गए हैं। इन सभी का एक ही दुश्मन है रूसी सेना और सभी का एक ही इरादा है दुश्मन का ख़ात्मा।

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मोर्चे पर डटी आधी आबादी

WOMEN'S ON WAR: 24 फरवरी को जिस वक़्त रूस ने कमज़ोर समझकर यूक्रेन पर बमबारी शुरू की थी तो उस वक़्त किसी को भी गुमान नहीं था कि यूक्रेन चार दिन भी जंग के मैदान पर टिक पाएगा। दुनिया भर के लोगों के लिए ये किसी अचम्भे से कम नहीं है कि यूक्रेन की कमज़ोर सेना ने इतने दिनों तक रूस की मज़बूत सेना को न सिर्फ ठिठकने को मजबूर कर दिया।

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बल्कि अपने हौसले और मनोबल से रूस और उसके अरमानों को ज़बरदस्त चोट पहुँचाई है। आलम ये है कि यूक्रेन के जिन शहरों में रूसी सेना घुसने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है वहां रूसी सेना के सामने यूक्रेन की सेना पूरे हौसले के साथ मुकाबला कर रही है।

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मर्दों पर भारी यूक्रेन की नारी

UKRAINE RUSSIA WAR : शायद यूक्रेन दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जहां महिलाओं की आबादी पुरुषों के मुकाबले सबसे ज़्यादा है। यहां हर 100 महिला पर सिर्फ 86 पुरुषों का आंकड़ा है। अपनी आज़ादी के पूरे 104 साल के इतिहास में यूक्रेन की महिलाओं ने हमेशा ही यहां आगे बढ़कर कंधे से कंधा मिलाकर अपने देश को तरक्की के रास्ते पर आगे ले जाने का काम किया है।

यूक्रेन में फिर चाहे पढ़ाई का काम हो या फिर सामाजिक स्तर का, या फिर देश की रक्षा का ही सवाल क्यों न हो, यूक्रेन की नारी शक्ति ने कभी अपने कदम पीछे नहीं किए बल्कि आगे बढ़कर और हथियार उठाकर दुनिया को दिखा दिया कि वो किसी से कम नहीं हैं।

इस वक़्त जब यूक्रेन पर रूसी आफ़त आई हुई है। आसमान पर मुसीबतों की मिसाइलें गश्त कर रही हैं, शहर में रूसी सेना की संगीनों का साया है। मुसीबत के इस दौर में यूक्रेन की महिलाओं ने आगे बढ़कर हथियार उठाए और अपने देश की रक्षा के लिए घरों और दफ़्तरों से निकलकर सड़कों पर मोर्चा लेकर खड़ी हो गईं।

सेना की कमांड संभाल रही हैं महिलाएं

INTERNATIONAL WOMEN'S DAY: हालांकि 1993 से ही यूक्रेन की सेना में महिलाओं को शामिल किया जाने लगा था, मगर उस वक़्त उनके काम सीमित कर दिए गए थे। उन्हें सेना के किसी ऑपरेशन का हिस्सा नहीं बनाया जाता था। मगर 2014 में क्रीमिया में रूस के हमले के वक़्त यूक्रेन को जब लड़ाई लड़ने वालों की ज़रूरत पड़ी तो यूक्रेन की महिलाओं ने खुद को पेश किया और मोर्चे पर जाने के सवाल पर जवाब बनकर सामने आ कर खड़ी हो गईं। इसी वजह से 2016 में यूक्रेन ने पहली बार महिला टुकड़ी को भी सैन्य ऑपरेशन में जाने की इजाजत दे दी।

सिर्फ दो साल के भीतर ही साल 2018 में यूक्रेन की महिला सैनिकों ने खुद को पूरी तरह से वहां के पुरुषों के बराबर ला खड़ा कर दिया। सेना के गनर हों या फिर तोपखाने की कमांडर, यहां तक कि स्नाइपर जैसे ख़ास रोल में भी महिलाओं ने खुद को साबित ही नहीं बल्कि बेहतर साबित करके दिखा दिया।

यूक्रेन में दुनिया में सबसे ज़्यादा महिला सैनिक

WOMEN IN UKRAINE RUSSIA WAR: दो साल पुराने यानी साल 2020 के आंकड़ों के मुताबिक इस वक़्त यूक्रेन की सेना में क़रीब 31 हज़ार से ज़्यादा महिलाएं हथियार के साथ मोर्चे पर तैनात हैं। पिछले साल ही यहां सेना की सक्रिय टुकड़ियों में महिलाओं की तादाद 22.5 फीसदी हो गई जो पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा है। अमेरिका जैसे ताक़तवर देशों में भी महिला सैनिकों की संख्या महज 14.4 फीसदी ही है।

इससे ये अंदाज़ा लगाना आसान है कि यूक्रेन की महिलाएँ इस वक़्त पूरी दुनिया को क्या संदेश दे रही हैं और पुरुषों के इस समाज के सामने किस भूमिका में आकर खड़ी हो गई हैं। सच कहा जाए तो यूक्रेन के समाज में महिलाएं समाज की धूरी हैं।

क्यों कि यहां समाज के साथ साथ राजनीति और लोकतंत्र का आधार भी यही महिलाएं ही हैं। पिछली बार यूक्रेन के चुनाव में यहां 21 फीसदी सांसद महिलाएं चुनी गईं जबकि जिस ताक़तवर रूस ने यूक्रेन को अपने कब्ज़े में करने के लिए चढ़ाई की है वहां खुद सियासत में सिर्फ 16 फीसदी महिलाएं ही किसी हैसियत तक पहुँच सकी हैं।

यूक्रेन के हौसले की ज़बरदस्त मिसाल

WOMEN'S DAY: रूस के ख़िलाफ़ चल रही इस लड़ाई में भी यूक्रेन महिलाओं ने अपनी ताक़त और अपने नाज़ुक दिल की अनेक तस्वीरें दुनिया को दिखाई हैं। वो तस्वीर कोई कैसे भूल सकता है कि जब एक छोटी सी बच्ची ने रूसी सेना के एक कमांडो को आगे बढ़कर न सिर्फ डपटा बल्कि उसे अपने कदम वापस खींचने को मजबूर कर दिया।

इस जंग में दुनिया ने देखा है कि कैसे यूक्रेन की सड़क पर एक बुजुर्ग महिला ने आगे बढ़कर रूसी सैनिक को झाड़ पिलाई सिर्फ इतना ही नहीं महिला ने एक रूसी फौजी को सूरजमुखी का बीज देकर दुनिया में एक अलग तरह की मिसाल पेश की है।

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