Aryan khan Drug Case: NCB की ये इनसाइड स्टोरी आप नहीं जानते होंगे...

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Aryan khan Drug Case: NCB की ये इनसाइड स्टोरी आप नहीं जानते होंगे...
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Aryan khan Drug Case: छह दिन के इंतज़ार और 18 दिन की क़ैद के बाद रिहाई नहीं मिली। छह दिन पहले 14 अक्टूबर की शाम जब स्पेशल जज वीवी पाटिल ने अपना फैसला सुरक्षित रखा, तब आम लोगों के साथ-साथ क़ानून के जानकारों को भी उम्मीद थी कि छह दिन बाद बीस अक्तूबर को शायद आर्यन ख़ान कि कैद ख़त्म हो जाए।

क़ैद खत्म हो जाए और 18 दिन बाद ज़मानत पर वो वापस मन्नत पहुंच जाए। मगर ऐसा हुआ नहीं। बुधवार को दोपहर ठीक पौने तीन बजे स्पेशल जज वीवी पाटिल अपनी कुर्सी पर बैठे और बैठते ही एक लाइन में अपना फैसला सुना दिया। फैसला... आर्यन ख़ान और बाक़ी दो लोगों की ज़मानत अर्जी खारिज करने का।

तो सेशन कोर्ट ने तो आर्यन की रिहाई का दरवाज़ा बंद कर दिया। अब आगे क्या? तो अब आगे हाई कोर्ट का दरवाज़ा बचता है। अब ये हाई कोर्ट के ऊपर है कि वो ज़मानत की अर्ज़ी पर गुरुवार को सुनवाई करे या बाद में। मिलने को तो हाई कोर्ट से गुरुवार को भी ज़मानत मिल सकती है। वरना तारीख आगे भी टल सकती है।

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वैसे यहां पर सलमान खान की हिट एंड रन केस पर एक नज़र दौड़ाई जा सकती है। मुंबई सेशन कोर्ट ने सलमान ख़ान को हिट एंड रन केस में सज़ा सुना दी थी। सज़ा का ऐलान दोपहर 3 बजे के बाद हुआ था। लेकिन सलमान के वकील शाम होने से पहले ही हाई कोर्ट पहुंच गए। सबको यही लग रहा था कि भले ही एक रात के लिए पर सलमान को जेल जाना होगा।

लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट उस शाम देर तक बैठी और देर शाम ही ज़मानत पर अपना फैसला भी सुना दिया। सलमान को ज़मानत मिल गई थी। सेशन कोर्ट के फैसले के महज़ चार घंटे के बाद।

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अब बात आर्यन के केस की। एनसीबी ने आर्यन के खिलाफ़ NDPS एक्ट के तहत जितनी भी धाराएं लगाईं उसे देखते हुए हरेक को यही लग रहा था कि आर्यन बड़ी आसानी से ज़मानत पर बाहर आ जाएंगे। पर इंतज़ार इंतज़ार में 18 दिन बीत गए।

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पर जमानत के फैसले का परवाना ऑर्थर रोड जेल तक नहीं पहुंच पाई। आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्यों आर्यन की ज़मानत खारिज हो गई? कौन सी धाराएं या कौन सा क़ानून आर्यन की जमानत के बीच आ रहा है? तो चलिए आर्यन केस की आज गहराई से पड़ताल करते हैं।

लेकिन केस को समझने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि आर्यन खान आख़िर है क्या? एक ड्रग एडिक्ट, पार्टी में मस्ती के लिए ड्रग लेनेवाला, ड्रग्स के धंधे को फाइनेंस करनेवाला या फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का ड्रग कारोबारी?

एनसीबी ने आर्यन ख़ान पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल छह धाराएं लगाई हैं।

8 (सी),20 (बी),27, 28,29,35

अब पहले इन धाराओं के मतलब समझिए। इनमें से वो एक और इकलौती धारा कौन सी है, जिसकी वजह से आर्यन को ज़मानत नहीं मिल रही है।

क्या कहती हैं धाराएं?

8(c) : इसके तहत, नारकोटिक ड्रग का सेवन, बिक्री, खरीद, ड्रग्स को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, कहीं स्टोर करना, बनाना, अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट करना। इसके लिए अधिकतम एक साल तक की सज़ा है।

धारा 20 : ये धारा गांजे और चरस के पौधे के संबंध में है. इसके तहत अगर कोई शख्स लाइसेंस के बिना गांजे और चरस के पौधे यानी कैनाबिस को उगाता है और उसका ट्रांसपोर्ट करता है या फिर सेवन करता है, तो उसे छह महीने की सजा हो सकती है। सजा के साथ-साथ उसे 10 हजार रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है.

धारा 27 : गैर कानून करार दिए गए किसी भी ड्रग्स के सेवन को लेकर ये धारा है। इस धारा के लगाए जाने का मतलब है कि सामनेवाला ड्रग्स का सेवन करता है। इस धारा के तहत अधिकतम एक साल कैद की सजा है।

धारा 28 : NDPS एक्ट की धारा-28 ड्रग्स के एक्सपोर्ट से जुड़ा है। जो एक अपराध है। इसमें भी अधिकतम सज़ा एक साल की है।

धारा 29 - ये धारा एक तरह से IPC की धारा 120बी जैसी है। यानी साज़िश में शामिल होना। मिसाल के तौर पर अगर कोई ड्रग पेडलर गिरफ्तार होता है और उसे सज़ा होती है तो फिर ऐसी सूरत में उस ड्रग्स पेडलर के साथ साज़िश में शामिल बाकी लोगों को भी उसी हिसाब से सज़ा मिलेगी।

एनसीबी ने आर्यन पर ये धारा इसलिए लगाई क्योंकि एनसीबी की दलील है कि अचिंत नाम का एक ड्रग पेडलर आर्यन के बयान के बाद ही पकड़ा गया। इसके लिए एनसीबी आर्यन और ड्रग पेडलर के बीच साज़िश की बात कह रही है। और बस यही इकलौती वो धारा है जिसकी वजह से आर्यन को शायद अब तक ज़मानत नहीं मिली।

धारा-35 : इस धारा के मुताबिक आरोपी को तब तक दोषी माना जाता है, जब तक वो निर्दोष ना साबित हो जाए। इसके मुताबिक आरोपी पर ही ये जवाबदेही है कि वो ये साबित करे कि ऐसा जुर्म करने का उसका कोई इरादा नहीं था और ना ही ऐसी कोई जानकारी थी। हालांकि, खराब मानसिक स्थिति होने पर आरोपी को छूट मिल सकती है.

अब इन छह धाराओं की सच्चाई पर बात करें उससे पहले केस के एक दूसरे पहलू पर भी नज़र डालते हैं। खुद एनसीबी ने अदालत में माना कि आर्यन के पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुआ। आर्यन ने क्रूज़ पर कोई ड्रग्स नहीं ली थी। आर्यन के दोस्त अरबाज़ मर्चेंट के पास से बेशक 5 ग्राम चरस मिला था।

इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद एनसीबी ने अगले कुछ दिनों में कई और लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार लोगों की तादाद बीस तक पहुंच गई। इनमें से पांच ड्रग पेडलर थे। और यहीं से कहानी पलटती है। एनसीबी का कहना था कि सभी गिरफ्तार लोगों और ड्रग पेडलर के साथ आर्यन और उसके दोस्त के लिंक को साबित करने के लिए आर्यन की क़ैद ज़रूरी है।

क्योंकि बाहर निकल कर वो सबूत नष्ट कर सकता है। एनसीबी ने आर्यन के एक व्हाट्स एप चैट का भी हवाला दिया और कहा कि इस चैट से इंटरनेशनल ड्रग डीलर के साथ आर्यन के रिश्ते के सबूत मिल रहे हैं।

चैट में बाकायदा बड़ी मात्रा में ड्रग्स खरीदने और बेचने की बात हो रही है। और इसी इंटरनेशनल सिंडिकेट की वजह से एनसीबी ने आर्यन पर एनडीपीएस एक्ट की धारा 29 लगा दी। हालांकि इसे साबित किया जाना अभी बाक़ी है। एनसीबी ने ये भी कहा कि आर्यन पिछले करीब चार साल से ड्रग्स ले रहा है।

मुंबई के बाहर एनसीबी के ही एक बड़े अफ़सर ने बताया कि ये पूरा केस बस एक धारणा पर आधारित है। यानी PRESUMPTION पर। इस अफसर का कहना था कि ना तो आर्यन ड्रग्स के साथ पकड़ा गया, ना ड्रग्स लेते हुए पकड़ा गया, ना ड्रग्स बेचने का कोई सबूत मिला है, ना खरीदने के लिए क्रूज़ पर उसके पास से पैसे मिले। इसलिए ये पूरा केस सिर्फ़ और सिर्फ़ PRESUMPTION पर है। यानी इस धारणा पर कि आर्यन ड्रग्स लेता है।

क्रूज पर ड्रग्स लेनेवाला था। और ड्रग डीलरों के साथ भी उसके संबंध हैं। एनसीबी के इस अफसर के मुताबिक उनका डिपार्टमेंट और खुद क़ानून ये कहता है कि अगर कोई ड्रग एडिक्ट है, तो उसके साथ खुद क़ानून दूसरे तरह से निपटने को कहता है। अगर एनसीबी खुद ये कह रही है कि आर्यन चार साल से ड्रग्स ले रहा है, तो इसका मतलब है कि वो ड्रग एडिक्ट है और ऐसे केस में क़ानून के हिसाब से उसे जेल की बजाय रिहैब सेंटर में भेजना चाहिए।

ऐसा पहले कई मामलों में हो चुका है। क़ानून के मुताबिक ड्रग एडिक्ट को पीड़ित की निगाह से देखा जाना चाहिए। साथ ही ये भी देखा जाना चाहिए कि रिहैब सेंटर में ड्रग्स की लत से उबरने के लिए वो कोर्स पूरा करता है कि नहीं? अगर वो कोर्स पूरा नहीं करता, तो क़ानून उसे वापस जेल भेजने को कहता है।

एनसीबी ने आर्यन पर NDPS एक्ट के तहत जो छह धाराएं लगाई हैं, उनमें धारा 27 भी है। धारा 27 लगा कर एनसीबी खुद ये कह रही है कि आर्यन ड्रग एडिक्ट है। क्योंकि धारा 27 ड्रग्स इस्तेमाल करनेवालों पर लगाया जाता है। ड्रग्स बेचनेवालों पर नहीं। ड्रग्स बेचनेवाले या ड्रग्स के धंधे में पैसे लगानेवालों पर एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 (ए) लगाया जाता है। जो कि ग़ैर ज़मानती है।एनसीबी ने आर्यन पर 27 (ए) नहीं लगाया है।

यानी खुद एनसीबी मानती है कि आर्यन का ड्रग्स के कारोबार से कोई लेना-देना नहीं है। पर फिर इसके उलट वही एनसीबी ये भी कहती है कि ड्रग्स पेलडर और ड्रग्स के इंटरनेशनल सिंडिकेट के साथ आर्यन के रिश्तों की पड़ताल कर रही है।

यानी यहां भी मामला प्रिसंप्शन का है। यानी सिर्फ़ और सिर्फ़ धारणा का कि ऐसा भी हो सकता है और वैसे भी हो सकता है। पर क़ानून धारणाओं पर नहीं चलता। सबूतों से चलता है। एनसीबी ये अच्छी तरह जानती है और बस इसीलिए सबूतों की तलाश के नाम पर उसने आर्यन के रिहाई का दरवाज़ा 18 दिनों से बंद कर रखा है।

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