तीन लेयर में होती है पार्लियामेंट की सुरक्षा व्यवस्था, 12 गेटों में हर दस सेकंड में अपडेट होता है सिक्योरिटी सिस्टम

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तीन लेयर में होती है पार्लियामेंट की सुरक्षा व्यवस्था, 12 गेटों में हर दस सेकंड में अपडेट होता है स...
संसद में हुई सुरक्षा की चूक हुआ हंगामा
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India Parliament Security System : 13 दिसंबर 2023 का दिन भारतीय संसद भवन के लिए एक बार फिर काला दिवस बन गया। क्योंकि यहां नए संसद भवन में शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा की दर्शक दीर्घा से दो लोगों के छलांग लगाने की घटना के बाद पूरे हिन्दुस्तान में हड़कंप मच गया है। लोकसभा की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए इन दो लोगों ने न सिर्फ दर्शक दीर्घा से छलांग लगाई बल्कि संसद भवन के भीतर स्मोक कैंडल भी जला दी। हालांकि सुरक्षा कर्मियों ने इन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया मगर उठते हुए सवालों को रोकने में नाकाम रहे। 

संसद भवन में दर्शक दीर्घा से कूदे दो लोगों के बाद अंदर मची अफरा तफरी

इतनी बड़ी चूक हुई तो कैसे?

अब सवाल उठता है कि आखिर संसद की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हुई तो कैसे हुई। ऐसे में ये समझना जरूरी है कि आखिर किन लोगों के जिम्मे होती है संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी और साथ ही साथ ये सुरक्षा बंदोबस्त कितने लेयर का होता है। 

तीन लेयर की होती है सुरक्षा व्यवस्था

संसद की सुरक्षा इंतजाम तीन लेयर तक होता है। जिसमें एक सुरक्षा इंतजाम बाहरी हिस्से का होता है जिसकी जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की होती है। यानी अगर कोई भी संसद भवन में जाता है या संसद भवन के भीतर जबरन घुसने की कोशिश करता है तो सबसे पहले उसे दिल्ली पुलिस के मुस्तैद सिपाहियों की नज़रों से या उनका सामना करना पड़ता है। 

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तीन लेयर में होती है संसद की सुरक्षा व्यवस्था

दूसरी लेयर पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप

इसके बाद आती है दूसरी लेयर। इस लेयर के लिए पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप जिम्मेदार होता है। जबकि तीसरी लेयर की जिम्मेदारी पार्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस की होती है। पर्लियामेंट्री सिक्योरिटी सर्विस के पास राज्यसभा और लोकसभा के लिए अलग अलग जिम्मेदारी होती है। 

संसद भवन में कुल 12 गेट

संसद भवन में कुल 12 गेट हैं लेकिन सुरक्षा के लिहाज से ज्यादातर गेट बंद ही रखे जाते हैं। लेकिन सभी गेट पर सुरक्षा का भारी बंदोबस्त होता है…और हर दस सेकंड में यहां का सिक्योरिटी सिस्टम अपडेट किजा जाता है। आमतौर पर संसद के परिसर में जिन गेटों से आवाजाही होती है उस गेट पर सुरक्षा का बंदोबस्त सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस का मिला जुला इंतजाम और अमला होता है। इन गेट से गुज़रने वाले हरेक शख्स की तलाशी ली जाती है। जबकि सांसदों, मंत्रियों और अफसरों की गाड़ियों पर सुरक्षा स्टीकर होते हैं जिन्हें कैमरे देखकर स्कैन करते हैं और उसके बाद बूम गेट खुद ब खुद खुल जाते हैं। 

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पहली लेयर में दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात होते हैं

पर्सनल पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस

वैसे राज्य सभा और लोकसभा दोनों की अलग अलग पर्सनल पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस होती है। पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस साल 2009 में गठित हुई थी। इस सर्विस के अस्तित्व में आने से पहले इसे वॉच एंड वॉर्ड के नाम से पहचाना जाता था। इस सिक्योरिटी सर्विस की जिम्मेदारी संसद में किसी के भी आने जाने पर नजर रखना और किसी भी हालात से निपटने के साथ साथ स्पीकर, सभापति, उपसभापति और सांसदों को सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी होती है।  जबकि पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस का काम आम लोगों के साथ साथ पत्रकारों और ऐसे लोगों के बीच क्राउड कंट्रोल करना होता है जो या तो सांसद है या फिर संवैधानिक पदों पर आसीन होते हैं। इस सिक्योरिटी का काम है संसद पहुंचने वाले लोगों के सामान की जांच करना और स्पीकर, राज्यसभा के सभापति और उपसभापति, राष्ट्रपति की सिक्योरिटी डिटेल के साथ लायजनिंग करना होता है। 

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