दिल्ली पुणे से बच्चों की चोरी करने वाले गैंग का भंडाफोड़, गरीब घरों के बच्चों की खरीद फरोख्त,11 बच्चे बरामद

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दिल्ली पुणे से बच्चों की चोरी करने वाले गैंग का भंडाफोड़, गरीब घरों के बच्चों की खरीद फरोख्त,11 बच्चे बरामद
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Hyderabad: तेलंगाना की राचकोंडा पुलिस ने एक अंतर-राज्यीय Child Trafficking Racket  का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने तस्करों के कब्जे से 16 बच्चों को बरामद किया है। हैरानी की बात ये है कि ये गैंग बच्चों को दिल्ली और पुणे में गरीबों और बेघरों से खरीदा करता था। दिल्ली पुणे के बच्चों को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में निःसंतान दंपत्तियों को बेच दिया जाता था।

मासूमों की तस्करी का जाल

पुलिस ने बच्चों की तस्करी गैंग के तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है, जबकि गैंग के बाकी आठ शातिरों की गिरफ्तारी की कोशिशें जारी हैं। राचकोंडा कमिश्नर डॉ. तरुण जोशी ने बताया कि 22 मई को उन्हें हैदराबाद के बाहरी इलाके में मे दिल्ली पुलिस से एक बच्ची की खरीद फरोख्त का टिप ऑफ मिला था। पुलिस तेजी से जांच शुरु की तो दो महिलाओं, शोभा रानी और एम स्वप्ना के साथ शेख सलीम नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया।

दिल्ली से हैदराबाद तक फैला है नेटवर्क

ये तीनों मासूम बच्चों को बेचने के लिए सौदा करने की कोशिश में थे। पूछताछ में, उन्होंने पुलिस को बताया कि दिल्ली और पुणे से खरीद कर लाए गए बच्चों को साऊथ में बेचने का एक नेटवर्क चल रहा है। गैंग के सरगना की पहचान 34 साल के बंदारी चेतन के रूप में हुई है, जो हैदराबाद के बाहरी इलाके में घाटकेसर में काम करने वाला एक सुरक्षा गार्ड है।

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बच्चों की कीमत साढ़े पांच लाख

ये गिरोह दिल्ली के दो लोगों किरण और प्रीति और पुणे के कन्नैया से बच्चों की खरीद फरोख्त कर रहा था। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि इन दोनों शहरों से करीब 50 बच्चों को लाकर यहां बेचा गया है। बच्चों को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में निःसंतान जोड़ों को दिए गए हैं। गैंग के तस्करों का खुलासा है कि बच्चों की कीमत 1.8 लाख रुपये से 5.5 लाख रुपये प्रति बच्चा तक थी।

सामान की तरह बच्चों की बिक्री 

गिरोह के सदस्यों को एजेंटों और बिचौलियों को भुगतान करने के बाद 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये का फायदा मिलता था। पुलिस ने 11 बच्चों को बरामद करके बाल कल्याण गृहों में भेज दिया है। जांच में सामने आया है कि ये बच्चे गरीब, बेघर लोगों से खरीदे गए। बच्चों की उम्र एक महीने से दो साल की है। पुलिस अफसरों का कहना है कि पुलिस की टीमें उन परिवारों की पहचान करने की कोशिश में जुटी हैं जहां से बच्चों को खरीदा गया है। 

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