गैंग्स्टर संदीप को ऐसे मिला 'काला जठेड़ी' नाम, मोबाइल झपटमारी से लेकर लॉरेंस का गुर्गा बनने तक का दिलचस्प किस्सा
Sandeep Become Kala Jathedi: काला जठेड़ी शुरू में एक मोबाइल चोर था लेकिन लॉरेंस का गर्गा बनने और संदीप से काला जठेड़ी बनने का किस्सा दिलचस्प है
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Gangster Kala Jathedi: बीते कुछ दिनों से हर कोई बस एक ही नाम का जिक्र कर रहा है और वो नाम है काला जठेड़ी का। सुर्खियों में भी बस यही नाम सुनाई और दिखाई पड़ रहा है। क्योंकि मंगलवार को उसकी शादी हो रही है।दुल्हन का नाम है लेडी डॉन अनुराधा चौधरी। गैंग्स्टर लॉरेंस बिश्नोई का बेहद सगे इस गुर्गे काला जठेड़ी का असली नाम संदीप है। जो हरियाणा के सोनीपत जिले के जठेड़ी गांव का रहने वाला है।
संदीप बना अपराध की दुनिया का काला जठेड़ी
लेकिन तमाम सुर्खियों के बावजूद एक बात हरेक के जेहन में तो सवाल बनकर उठती ही होगी कि आखिर जिसका नाम संदीप है वो अपराध की दुनिया में काला जठेड़ी के नाम से क्यों जाना जाता है। इसके पीछे क्या कहानी है। आखिर संदीप को काला जठेड़ी नाम कब कहां और कैसे मिला।
गांव का नाम जुड़ गया नाम में
तो ये किस्सा भी कम दिलचस्प नहीं है। संदीप उर्फ काला हरियाणा के सोनीपत के गांव जठेड़ी का रहने वाला है। ऐसे में ये अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है कि उसके गांव का नाम ही उसके नाम के साथ जोड़ दिया गया। लेकिन ये किया किसने और क्यों? गैंग्स्टर और जेल से जुड़े सूत्रों ने जो कहानी बताई उसके मुताबिक संदीप उर्फ काला जठेड़ी किसी जमाने में दुबई और मलेशिया में बैठकर हिन्दुस्तान में अपना गैंग ऑपरेट करता है। पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज डिटेल के मुताबिक कुछ अरसा पहले काला जठेड़ी की दोस्ती कुछ नामी गैंग्स्टरों के साथ हो गई। अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने और मौज मस्ती करने के चक्कर में संदीप के खर्चे जरूरत से ज्यादा बढ़ गए।
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बढ़े खर्चों ने बनाया दिया झपटमार
अपने खर्चे पूरे करने के लिए संदीप ने तब अपने माता पिता से पैसे लेने शुरू कर दिए। लेकिन खर्चे कम होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। तब उसने झपटमारी करने का इरादा किया। दौड़ने भागने में संदीप काफी तेज था। भीड़ के बीच गुम होने में उसे महारत हासिल थी। लंबा कद होने से उसके डग भी लंबे पड़ते थे और दुबला पतला होने की वजह से वो आसानी से किसी की पकड़ में भी नहीं आता था। उसके इसी हुनर को देखते हुए उसके बदमाश दोस्तों ने उसे झपटमारी के लिए उकसाया। वो भी अपने बदमाश दोस्तों के बहकावे में आ गया। काला जठेड़ी उस दिन अपने दोस्तों के साथ सिरसपुर इलाके में एक शख्स का मोबाइल छीन कर भाग रहा था मगर पहले भीड़ ने और फिर पुलिस ने उसे दबोच लिया। काला जठेड़ी के खिलाफ दिल्ली में पहला मुकदमा 29 सितंबर 2004 को दर्ज हुआ। पुलिस ने पकड़ा और उसे जेल भेज दिया।
जेल में हुआ नामकरण
तिहाड़ जेल का एक आघोषित नियम है। वहां कोई भी कैदी आता है तो उसे उसके असली नाम से कोई नहीं पुकारता। बल्कि जो उसने गुनाह किया है या तो उसे उस नाम से जान पहचान मिलती है। या फिर उसके प्रोफेशन या फिर उसके गांव देहात के नाम की वजह से उसे एक अलग पहचान मिल जाती है। संदीप ने यूं तो कोई बड़ा तीर तो मारा नहीं था। और अपने पहले ही गुनाह को करते समय वो पकड़ लिया गया था। जेल में उसे बड़े बड़े तुर्रम खां मिलें। जो उसे उसके रंग रूप और उसके गांव के नाम से जोड़कर बुलाने लगे। संदीप रंग रूप से काला है लिहाजा जब जेल के भीतर के गुंडों के उस्तादों को उसके गांव के नाम का पता चला तो उन्होंने उसे नाम दे दिया काला जठेड़ी। तो यहां से तो वो काला जठेड़ी के नाम से पुकारा जाने लगा। हालांकि शुरू शुरू में काला जठेड़ी को अपना ये नाम पसंद नहीं था। बल्कि इससे वो चिढ़ता भी था। लेकिन जेल से बाहर आने के बाद उसे इस नाम से बड़ा फायदा हुआ। वो अब लूटपाट और झपटमारी की वारदात करने लगा और देखते ही देखते उसने अपना एक छोटा सा गैंग बना लिया।
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वो भागता रहा और इनाम बढ़ता रहा
उसे शुरू शुरू में ये फायदा हुआ कि उसके इस नाम की वजह से पुलिस गफलत में रही और वो पुलिस की आंख में धूल झोंककर मौके से आसानी से फरार हो जाता था। देखते ही देखते जठेड़ी ने अपना गैंग बड़ा कर लिया और जबरन उगाही करने के साथ-साथ विवादित संपत्तियों में दखल देने लगा। उसकी और गैंग की वारदात को देखते हुए पुलिस ने अब पहली बार काला जठेड़ी पर इनाम रखा और जल्दी ही ये इनाम बढ़कर एक लाख तक जा पहुंचा। अब उसका जेल आने जाने का एक सिलसिला बन गया। इसी बीच उसने कई लोगों से रंगदारी वसूली और हरियाणा के कई इलाकों में उसने हत्या की कोशिश की वारदात को अंजाम दिया। जिसकी वजह से उसका नाम उससे पहले जेल पहुँचने लगा।
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गैंगस्टर्स के बीच 'आपराधिक दोस्ती'
काला जठेड़ी के ताबड़तोड़ वारदात करने की वजह से पुलिस को उसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने को मजबूर होना पड़ा। उसके सिर पर इनाम बढ़ने का सिलसिला आगे बढ़ता ही रहा। इसी बीच साल 2020 में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में पहलवान सुशील कुमार पर हत्या का इल्जाम लगा। पहलवान सागर धनखड़ की हत्या के मामले में दो नामी-गिरामी गैंगस्टर के नाम सामने आए हैं। एक नाम है नीरज बवाना का जिसका नाम सुशील कुमार के साथ जुड़ा है। दूसरा नाम है काला जठेड़ी का जिसका नाम सागर धनखड़ से जुड़ा है। इस हत्याकांड ने पहलवानों और गैंगस्टर्स के बीच की 'आपराधिक दोस्ती' को उजागर कर दिया।
लॉरेंस के ऐसे जीता भरोसा
4 और 5 मई की रात काला जठेड़ी का भांजा सोनू महाल सागर धनखड़ के साथ मौजूद था। मारपीट में सोनू महाल भी घायल हुआ था। जानकारी के मुताबिक उसी दौरान नजफगढ़ के रहने वाले एक शख्स ने काला जठेड़ी की मुलाकात लॉरेंस बिश्नोई से कराई। लॉरेंस ने उसे आजमाने के लिए कई टास्क दिए जिसे उसने बड़ी ही अच्छे तरह से पूरे किए। जिसकी वजह से वो लॉरेंस गैंग का सबसे भरोसेमंद गुर्गा बन चुका था। काला जठेड़ी दिल्ली का एकमात्र गैंगस्टर है जो पुलिस की पकड़ से दूर देश के बाहर बैठकर अपनी गैंग को ऑपरेट कर रहा है और गैंग को लगातार बड़ा भी बनाता रहा और दिल्ली के अलावा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने काले कारनामों को अंजाम दे रहा था।
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