अस्पताल ने नहीं दी एंबुलेंस तो बेटी का शव गोद में लेकर लाचार बाप बाइक से चला गया
Father deadbody daughter Shahdol: मध्य प्रदेश में एक अस्तपाल ने जब एंबुलेंस देने से मना किया तो एक मजबूर बाप अपनी बेटी का शव गोद में लेकर बाइक से चला गया।
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Father deadbody daughter : दुनिया में एक कहावत कही गई है कि पिता के कंधे पर अपनी ही औलाद का जनाजा दुनिया का सबसे बड़ा बोझ होता है, इस बोझ के कंधे पर पड़ते ही मजबूत से मजबूत और ताकतवर से ताकतवर कंधा भी झुक जाता है। ऐसे भार से झुके कंधे को आमतौर पर आस पास के लोग अपने हाथों का सहारा देकर कुछ राहत दे देते हैं मगर मध्य प्रदेश के शहडोल में जो कुछ नज़र आया उसने सूबे के पूरे निजाम पर एक करारा तमाचा रसीद किया है।
बाइक पर बाप और बाप की गोद में बेटी का शव
यहां एक मजबूर, लाचार और गरीब पिता को अपनी बेटी का शव अस्पताल (Hospital) से घर तक ले जाने के लिए एक मोटरसाइकिल (Bike) का सहारा इसलिए लेना पड़ा क्योंकि जहां उस मजबूर पिता की बेटी का इलाज चल रहा था उस अस्पताल ने शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस (Ambulence) देने से इनकार कर दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
ये घटना मध्य प्रदेश के शहडोल से सामने आई और इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके वीडियो में इसे बड़ी ही आसानी से देखा भी जा सकता है कि आंसुओं में भीगा एक बाप अपनी बेटी का शव मोटरसाइकिल में लेकर बैठा है और मोटरसाइकिल सड़क को रौंदते हुए आगे बढ़ती जा रही है।
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आखिर किसका कसूर
सच कहा जाए तो इस एक तस्वीर ने सामने आकर पूरे मध्य प्रदेश और वहां के बंदोबस्त की न सिर्फ पोल खोल दी, बल्कि तमाम सरकारी दावों को भी सरेआम ठेंगा दिखा दिया। सवाल उठता है कि आखिर इस वाकये के लिए किसे कसूरवार माना जाए। क्या वो बाप इसका कसूरवार है जिसकी बेटी की मौत हो गई। क्या वो बेटी कसूरवार है जिसका इलाज पूरा होने से पहले ही दम टूट गया, या फिर वो अस्पताल दोषी है जिसने अपने मुनाफे के चक्कर में बहानों की आड़ लेकर एक मजबूर पिता को अपनी बेटी का शव ले जाने के लिए एंबुलेंस देना मुनासिब नहीं समझा। और या फिर वो पूरा निजाम कसूरवार है जिसने ऐसे जल्लादों की तरफ से पूरी तरह से आंखें मूंद ली हैं और उन्हें मनमानी करने की सरकारी छूट दे रखी है।
मजबूर बाप की मजबूरी
ऐसे अनगिनत सवाल हैं जिनके जवाब हर हाल में राज्य के शासन और प्रशासन को देने ही पड़ेंगे...ये और बात है कि अभी इन सवालों के जवाब किसी को नहीं मिल रहे। और अभी इन सवालों के पीछे कोई भाग भी नहीं पा रहा क्योंकि अभी तक बस किसी तरह वो मजबूर बाप अपने किसी रिश्तेदार की मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर अपनी बच्ची के शव को अपनी ही गोद में लेकर चला जा रहा है गुमसुम...और निढाल सा...
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