बाबा की 52 कलाएं और स्पेशल मालिश का राज़, बाबा के लिए महिलाओं ने पल्लू से सुखाया था मैदान
भोले बाबा की कई खूबसूरत महिलाएं शिष्या थीं. इनके आश्रमों में बाबा के कमरों में महिलाओं के अलावा सिर्फ खास लोग ही एंट्री करते हैं. बाकी लोगों को भोले बाबा के कमरे के अंदर जाने की इजाजत नहीं है. बाहरी लोगों को तो उनके कमरे के आसपास जाने की कतई अनुमति नहीं है.
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HATHRAS: हाथरस के धार्मिक आयोजन के प्रवचनकर्ता को लोग भोले बाबा और विश्व हरि के नाम से पुकारते है. इन्होंनें आज से करीब 15 साल पहले प्रवचन शुरू किया था. इन भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है. प्रवचन शुरू करने के बाद सूरजपाल ने अपना नाम नारायण साकार हरि रख लिया था. बाद में लोगों ने इन्हें भोले बाबा का तमगा दे दिया. परंपरागत कथावाचकों से अलग ये भोले बाबा थ्री पीस सूट में प्रवचन देते हैं. आज 121 लोगों की मौत के बाद बाबा की कई कहानियां सामने आ रही हैं।
महिलाओं ने पल्लू से सुखाया था मैदान
आज से करीब 12 साल पहले इन भोले बाबा ने आगरा की कोठी मीनाबाजार मैदान में अपने सत्संग का आयोजन करवाया था. इस प्रवचन में एक बेहद चौंकानेवाली घटना घटी. इस आयोजन के तहत जिस मैदान में इन भोले बाबा का प्रवचन चल रहा था उस मैदान में भारी बारिश होने की वजह से पानी भर गया. अब अचानक हुई इस बारिश का अंदेशा आयोजकों को था नहीं. मैदान में पानी भर जाने की वजह से प्रवचन को रोकना पड़ा तब इस प्रवचन में शामिल हुई महिलाओं ने अपनी साड़ियों के पल्लुओं से मैदान का पानी सुखाया था. इस काम को करने वाली महिलाों की संख्या करीब 20 हजार थी.
अनपढ़ महिलाओं को भोले बाबा की कमेटी बनाती है शिष्य
जब इन भोले बाबा के प्रवचन में काफी लोग आने लगे, भीड़ जमा होने लगी तब इन्होने अपनी एक कमेटी बनाई और इस कमेटी का नाम "नारायन साकार हरि" कमेटी रखा. इस कमेटी के लोग गरीब बस्तियों और मोहल्लों की औरतों को कमेटी में शामिल करते हैं. यहां तक की भोले बाबा के सत्संग में शामिल होने के लिए इन गरीब महिलाओं को किराए पर लेकर जाते है. इन भोले बाबा का सत्संग कहीं भी कम से कम 10-12 दिनों के लिए होता है. इस सत्संग में ये महिलाएं अपनी सेवा देती हैं.
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महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा
यहां सेवा देने का मतलब है सत्संग में VOLUNTEER की तौर पर काम करना है. ये महिलाएं इन 10-12 दिनों तक अपने घर परिवार को छोड़कर भोले बाबा के सत्संग में सेवादार की भूमिका निभाते हुए दिखाई देती हैं. भोले बाबा की सेवा में दिन रात मग्न हो जाती हैं. फिर जब ये सत्संग समाप्त होता है तो इन महिलाओं को कमेटी के लोग बसों से इनके घर छोड़ देते हैं. अपने घरों में लौटने के बाद ये महिलाएं भोले बाबा की तस्वीर लगाकर उनकी हर दिन पूजा करती हैं. साथ ही इन भोले बाबा की बुराई करने वाले लोगों से खुद को हमेशा हमेशा के लिए दूर कर लेती हैं चाहे वो उनके घर के ही लोग क्यों ना हो. इन सब में सबसे मुख्य बात ये कि इन भोले बाबा की कमेटी ये सब सुविधा सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को प्रदान करती है.
भोले बाबा के कमरों में सिर्फ खूबसूरत महिलाओं की एंट्री
इन भोले बाबा की कई खूबसूरत महिलाएं शिष्या थीं. इनके आश्रमों में बाबा के कमरों में महिलाओं के अलावा सिर्फ खास लोग ही एंट्री करते हैं. बाकी लोगों को भोले बाबा के कमरे के अंदर जाने की इजाजत नहीं है. बाहरी लोगों को तो उनके कमरे के आसपास जाने की कतई अनुमति नहीं है.साथ ही भोले बाबा के फेसबुक पेज पर भी सबसे ज्यादा फोलोअर्स महिलाएं ही हैं.
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महिलाओं के साथ छेड़खानी की वजह से जा चुके हैं जेल
उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी के शुरुआती दिनों में भोले बाबा पर करीब 28 साल पहले छेड़खानी के आरोप लगे थे. इस मामले में अभियुक्त होने के कारण इन्हें सस्पेंड तक कर दिया गया था. बाद में इस केस की जब जांच के दौरान इन्हें पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. छेड़खानी के इस मामले में भोलेबाबा एटा जेल में काफी लंबे समय तक कैद भी रहे और जेल से रिहाई के बाद ही ये लोगों के सामने बाबा की शक्ल में सामने आए.
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नारायणी सेना करती थी बाबा की रखवाली
भोले बाबा अपनी सुरक्षा के लिए महिला और पुरुष गार्ड रखते थे. इन गार्ड्स को नारायणी सेना नाम दिया गया था. ये लोग आश्रम से लेकर प्रवचन स्थल तक बाबा की सेवा करते थे. इस नारायणी सेना में भी महिलाओं की काफी संख्या थी. बाबा ने इस नारयणी सेना में अपने सेवादारों को ही रखा था. सुरक्षा में लगे ये सभी सेवादार एक तरह का ड्रेस कोड में रहते थे.
भोले बाबा के साथ हमेशा प्रवचन के दौरान साथ रहती हैं इनकी पत्नी
भोले बाबा हर सत्संग और समागम में अपनी पत्नी के साथ कार्यक्रम करते थे. मंच पर दोनो की बराबरी से सिंहासन लगाती थी. इनकी पत्नी भी बाबा के साथ प्रवचन देती हैं. लेकिन पिछले तीन महिनों से इनकी पत्नी की तबीयत खराब चल रही इसी वजह से ये मंच पर दिखाई नहीं दे रही थी और पिछले 90 दिनों से बाबा को अकेले ही सत्संग में जाना पड़ता था. इनकी पत्नी का नाम कटोरी देवी है. बाबा के गांव बहादुरपुर में एक भक्त ने मीडिया को बताया, 'मुझे ऐसी मर्ज थी जो ठीक नहीं हो रही थी. फिर मैं बाबा के पास आगरा गया. वहां मेरा मर्ज खत्म हो गया. बाबा जी को मैं यहीं लेकर आया. बाबा के पास 52 कलाएं हैं.
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