तिहाड़ जेल में ऐसे हुई थी अंकित गुर्जर की मौत हरि नगर थाने की पुलिस ने बताई कोर्ट को पूरी बात
Hari Nagar police file action taken report in the death of tihar inmate Ankit gurjar
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कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में हरिनगर थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर विकास फगेरिया ने बताया है कि 4 अगस्त की सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर पीसीआर कॉल की गई थी। कॉल करने वाले ने कहा था कि उसका भाई तिहाड़ की जेल नंबर तीन में बंद था।
वहां के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने नरेन्द्र मीणा ने तीन-चार जेल कर्मचारियों के साथ मिलकर उससे मारपीट की जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। अब नरेन्द्र मीणा उसके साथ बंद दूसरे कैदियों पर उसकी हत्या कबूल करने का दबाव बना रहा है।
इस सूचना पर हरि नगर थाने में तैनात असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर राम अवतार दूसरे पुलिसकर्मियों के साथ तिहाड़ की जेल नंबर 3 पहुंचे। वहां मौजूद स्टाफ ने रामअवतार को बताया कि 3 अगस्त को जेल वार्ड नंबर 5 A के सेल नंबर 16 में छानबीन के दौरान मोबाइल फोन बरामद हुए थे। इस सेल में दिल्ली के ही रहने वाले विचारधीन कैदी गुरप्रीत और गुरजीत बंद थे। दोनों सगे भाई हैं और दोनों कत्ल के मामले में तिहाड़ जेल में साल 2018 से बंद हैं।
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इन्हीं के साथ अंकित गुर्जर नाम का विचारधीन कैदी भी बंद था। साकेत में साल 2019 में हुई एक कत्ल की वारदात के आरोप में अंकित को गिरफ्तार किया गया था। सेल में छानबीन के दौरान पुलिस को एक मोबाइल फोन, एक डाटा केबल और हाथ से बना एक चाकू मिला था। जिसके बाद इस सेल में बंद सभी कैदियों को शिफ्ट किया जाने लगा। इन्हें जेल के वार्ड नंबर 1 में शिफ्ट किया जाना था लेकिन अंकित ने अपनी जेल बदलने से इंकार कर दिया।
इस को लेकर अंकित और डिप्टी सुपरिटेंडेंट नरेन्द्र मीणा के बीच हाथापाई हो गई। नरेन्द्र मीणा ने जेल स्टाफ के साथ अंकित पर कम से कम बल प्रयोग कर उसे काबू मे किया। इसके बाद गुरजीत और गुरप्रीत को वार्ड नंबर 1 की सेल 19 में शिफ्ट किया गया जबकि अंकित को वार्ड 1 के सेल नंबर 9 में शिफ्ट किया गया।
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इस मामले में जेल प्रशासन की तरफ से हरि नगर पुलिस थाने को भी सूचना दी गई थी जिसके बाद अंकित के खिलाफ FIR NO. 434/2021 आईपीसी की धाराओं 186/332/35334 IPC दर्ज की गई।
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4 अगस्त की सुबह 7 बजे अंकित गुर्जर अपनी सेल में बेहोशी की हालत में मिली जिसे तिहाड़ के ही सेंट्रल जेल अस्पताल में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर मृत घोषित कर दिया।
अंकित की मौत की इत्तिला सीनियर अधिकारियों को दी गई। बाद में परिवार की मांग पर अंकित का पोस्टमॉर्टम एम्स में करा उसकी लाश को परिवार को सौंप दिया गया।
दिल्ली के हरि नगर थाने की इस रिपोर्ट में कई झोल नजर आते हैं । इस रिपोर्ट में पुलिस ने ये बात नहीं बताई है कि मोबाइल फोन, डाटा केबल और हाथ से बना चाकू किस कैदी से बरामद किया था।
अंकित को काबू करने के लिए जो बल प्रयोग किया गया वो किस तरीके का था। क्या अंकित को हाथ-पांवों से जेल कर्मचारी और डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने रोका या फिर उस पर किसी तरह के डंडे या अन्य हथियार का प्रयोग किया गया।
अंकित आखिर क्यों अपनी सेल को छोड़कर नहीं जाना चाहता था इसके पीछे की वजह क्या थी। अगर अंकित पर बल प्रयोग किया गया था तो क्या उसके बाद उसे जेल के ही डॉक्टर के पास नहीं ले जाना चाहिए था। ये तमाम सवाल हैं जिनका जवाब कोर्ट में दाखिल की गई हरि नगर थाने की पुलिस रिपोर्ट में नहीं है।
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