ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आया कोर्ट का बड़ा फैसला, आकृति की कार्बन डेटिंग नहीं होगी
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मौजूद शिवलिंग के आकार की आकृति की अब कार्बन डेटिंग नहीं होगी, ये फैसला वाराणसी कोर्ट ने शुक्रवार को सुनाया।
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Gyanvapi Case: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग है या फव्वारा अब इसका फैसला फिलहाल नहीं हो सकता, क्योंकि वाराणसी की अदालत ने उस पत्थर की कार्बन डेटिंग कराने से इनकार कर दिया है जिसे हिन्दू पक्ष ने शिवलिंग होने का दावा किया था लेकिन मुस्लिम पक्ष उसे वजूखाने का पत्थर बता रहा था।
शुक्रवार को जिस वक़्त ये फैसला सुनाया जाने वाला था उस वक्त कोर्ट में सिर्फ 58 लोगों के ही रहने की इजाजत दी गई थी। वाराणसी जिला अदालत में फैसले के वक्त कार्बन डेटिंग की मांग करने वाली हिन्दू पक्ष की तरफ से चारो याचिकाकर्ता महिलाएं भी मौजूद थीं।
असल में ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने से मिले शिवलिंग के विवाद को लेकर वाराणसी की ज़िला अदालत ने ये तय किया है। पहले ये फैसला 11 अक्टूबर को ही आने वाला था लेकिन अदालत ने हालात के मद्देनजर अपना फैसला सुरक्षित रखा और उसे 14 अक्टूबर को सुनाने का ऐलान किया था। असल में इस अदालत में इस बात को लेकर बहस और दलीलें हुई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद वजूखाने में जो मिला वो असल में शिवलिंग है या फिर फव्वारा। क्योंकि इसी बात को लेकर दोनों पक्ष आमने सामने आकर खड़े हो गए थे।
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हिन्दू पक्ष की दलील थी कि जिस मस्जिद के वजू खाने में कथित शिवलिंग मौजूद है उसकी वैज्ञानिक तरीके से पहचान हो जानी चाहिए। लिहाजा हिन्दू पक्ष ने ज़िला अदालत में कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की थी। ताकि उस जांच से ये बात पता चल सके कि जो पत्थर है वो असल में कितना पुराना है।
Gyanvapi Case: इसके अलावा हिन्दू पक्ष की तीन मांगे भी थीं जिस पर भी अदालत को फैसला करना है। असल में हिन्दू पक्ष ने पूजा का अधिकार पाने, पूजा वाले हिस्से में मुसलमानों के प्रवेश पर मनाही करने और पूरा परिसर ही हिन्दुओँ को सौंपने की मांग की थी।
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दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में लंबा और गोल आकार के पत्थर को फव्वारा बताया था। मस्जिद इंतजामिया कमेटी की दलील थी कि वो पत्थर शिवलिंग नहीं है बल्कि वो वजूखाने का फव्वारा है। इंतजामिया कमेटी का कहना है कि मुगलकाल में बनी तमाम मस्जिदों के अलावा कई और इमारतों में इसी तरह के वजूखाने और फव्वारे लगाए गए थे।
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असल में इसी साल मई के महीने में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करवाया गया था। और उस सर्वे के दौरान वीडियोग्राफी भी करवाई गई थी। और उसी वीडियोग्राफी में मस्जिद परिसर में जो पत्थर नज़र आया, उसे हिन्दू पक्ष ने शिवलिंग करार दिया जबकि मुस्लिम पक्ष उसे वजूखाने का फव्वारा ही बता रहा है।
Gyanvapi Case: हिन्दू पक्ष उस पत्थर की कार्बन डेटिंग कराने के पक्ष में है जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि परिसर में मिली आकृति की कार्बन डेटिंग करवाई ही नहीं जा सकती। मुस्लिम पक्ष ये दलील दे रहा है कि इस जांच की प्रक्रिया में उस आकृति को नुकसान भी हो सकता है और वो टूट भी सकती है जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि उसे हर हाल में संरक्षित रखी जाए।
इसके अलावा मुस्लिम पक्ष इस बात की भी दलील दे रहा है कि पत्थर की कार्बन डेटिंग की भी नहीं जा सकती । क्योंकि पत्थर किसी भी तरह का जीवाश्म नहीं है। जबकि कार्बन डेटिंग से जीवश्मों की ही उम्र का पता लगाया जा सकता है, जैसे सीप, घोंघा, कोयला वगैराह। जिस शिवलिंग को लेकर ये सारा झंझट चल रहा है उसको लेकर अदालत में कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण को लेकर बहस 11 अक्टूबर तक पूरी हो चुकी थी।
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