Gwalior Sarpanch Murder Case: इंदौर का पीएफ कमिश्नर विदेश भागने की फिराक में मुंबई एयरपोर्ट में धरा गया
Gwalior Sarpanch Murder Case: सरपंच विक्रम रावत हत्याकांड में 10 हजार का इनामी आरोपी पीएफ कमिश्नर मुंबई एयरपोर्ट से उस वक़्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वो विदेश भागने की फिराक में था।
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Sarpanch Murder Case: सुर्खियों में रहे ग्वालियर के सरपंच हत्याकांड के आरोपी और सरकारी अफसर पीएफ अधिकारी मुकेश रावत को मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया। ग्वालियर में सरपंच विक्रम रावत की हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के पीछे इंदौर के पीएफ कमिश्नर रहे मुकेश रावत का नाम उजागर हुआ था।
मुंबई एयरपोर्ट पर धरा गया कमिश्नर
मुंबई एयरपोर्ट पर सीएसएफ ने एयरपोर्ट से हिरासत में लेकर सहार पुलिस स्टेशन के हवाले किया गया जिसके बाद मध्य प्रदेश की पुलिस मुकेश रावत को गिरफ्तार करके बाकायदा एमपी ले गई है। खुलासा यही हुआ है कि मुकेश रावत विदेश भागने की फिराक में था।
आरोपी के सिर पर दस हजार का इनाम
सरपंच विक्रम रावत के मर्डर के आरोपी रहे मुकेश रावत पर 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। इसी साल 9 अक्टूबर को ग्वालियर में विक्रम रावत की सरेराह हत्या कर दी गई थी। ग्वालियरके पड़ाव थाना इलाके में दिन दहाड़े बनहेरी गांव के सरपंच विक्रम रावत को उस वक़्त गोलियों से भून दिया गया था जब वो अपने गाड़ी से उतरे। चश्मदीदों के मुताबिक जहां पर विक्रम रावत अपनी गाड़ी से उतरी वहीं पहले से ही कुछ बाइक पर सवार लड़के मौजूद थे। विक्रम रावत के गाड़ी से उतरते ही उन्हें घेर लिया और उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया। विक्रम की मौके पर ही मौत हो गई थी।
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हत्याकांड सीसीटीवी में
सबसे चौंकानें वाला पहलू ये है कि दिन दहाड़े हुआ ये हत्याकांड सीसीटीवी में कैद भी हो गया था। पुलिस ने उसी सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल के आधार पर 13 लोगों को हत्याकांड में आरोपी बनाया था । पुलिस की तफ्तीश में ये बात साफ हो गई थी कि इस हत्याकांड की साजिश रचने में इंदौर के कमिश्नर मुकेश रावत भी शामिल थे। लिहाजा मुकेश रावत को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने उनके खिलाफ 10 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया था।
20 दिनों में 20 ठिकाने बदले
खुलासा हुआ है कि ग्वालियर की पड़ाव पुलिस और क्राइम ब्रांच को ये खबर मिल गई थी कि इंदौर का वांटेड पीएफ कमिश्नर महाराष्ट्र में ही छुपा है और किसी भी तरह वो विदेश भागने की फिराक में है। लिहाजा ग्वालियर की पुलिस ने 20 दिनों से महाराष्ट्र के तमाम एयरपोर्ट और बस अड्डों के अलावा रेलवे स्टेशन पर अपना पहरा बढ़ा दिया था। इसके अलावा महाराष्ट्र में अलग अलग जगहों पर भी पुलिस मुकेश रावत की तलाश कर रही थी। खुलासा हुआ है कि पुलिस की चौकन्नी निगाहों में आने से बचने के लिए मुकेश रावत ने 20 दिनों में करीब 20 ठिकाने बदले। लेकिन खुद को कानून के सिपाहियों की नज़र में आने से बचा नहीं सका। मंगलवार को मुंबई एयरपोर्ट पर पहुँचते ही वो फौरन पुलिस के हत्थे चढ़ गया। एयरपोर्ट पर ग्वालियर पुलिस की मदद से मुंबई पुलिस के एसीपी डॉक्टर मनोज शर्मा और उनकी टीम ने पीएफ कमिश्नर मुकेश रावत को गिरफ्तार कर ही लिया। असल में एसीपी डॉक्टर मनोज शर्मा खुद मुरैना के रहने वाले हैं लिहाजा वो इस पूरे किस्से से अच्छी तरह वाकिफ भी थे। लिहाजा वो ग्वालियर पुलिस के साथ मुकेश रावत को पकड़ने में लग गए। अब गिरफ्तारी के बाद मुकेश रावत से ग्वालियर पुलिस पूछताछ करेगी।
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वकील से मिलने गए थे सरपंच
9 अक्टूबरको जिस रोज ये वारदात अंजाम दी गई उस दिन विक्रम रावत अपने वकील से मिलने के लिए ही गए थे। लेकिन गाड़ी से उतरते ही बाइक पर सवार दो लोग उनके नजदीक पहुँचे। दोनों ने अपने मुंह ढक रखे थे। इसी बीच दो और लोग उनके नज़दीक आ गए और चारो हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दी। गोलियों की आवाज सुनकर लोग आस पास इकट्ठा हो गए लेकिन गोली लगने से विक्रम रावत बुरी तरह से घायल होकर वहीं कार के पास गिर गए और हमलावर वहां से भाग गए। लोग और मौके पर पहुँची पुलिस जब तक उन्हें अस्पताल पहुँचा पाती तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
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हत्या केस के चश्मदीद थे सरपंच
बताया जा रहा है कि विक्रम की अपने ही गाव के लोगों से रंजिश चल रही थी। करीब डेढ़ साल पहले ही एक झगड़े में विक्रम के चचेरे भाई की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और विक्रम उस केस के गवाह थे। और जिस रोज सरपंच की हत्या हुई उसके अगले रोज ही केस की सुनवाई में उनकी गवाही होनी थी।
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