घर-घर झाड़ू-पोंछा कर जिस बच्चे को पाला उसी की हुई मौत, मोरबी पुल हादसे का एक साल पूरा, इंसाफ अधूरा

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घर-घर झाड़ू-पोंछा कर जिस बच्चे को पाला उसी की हुई मौत, मोरबी पुल हादसे का एक साल पूरा, इंसाफ अधूरा
gujarat Morbi bridge accident completes one year
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Morbi Bridge Accident (PTI News) : गुजरात में हुए मोरबी पुल हादसे के एक साल पूरे होने के अवसर पर घटना में मारे गए लोगों के परिजन सोमवार को यहां स्थित साबरमती आश्रम के सामने एकत्रित हुए और मृतकों के लिए ‘न्याय’ और इस घटना के जिम्मेदार लोगों को कठोर सजा देने की मांग की। हादसे में अपनी 10 वर्षीय बेटी को खोने वाले पिता ने कहा कि मामले में अब तक जिन 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनके अलावा विशेष जांच टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट में जिन्हें लापरवाही का दोषी पाया गया है, उन्हें भी गिरफ्तार कर दंडित किया जाना चाहिए।

morbi bridge accident in gujarat (File Photo)

हादसे में बेटे भांजे को गंवाने वाले ने क्या कहा

Morbi News : मोरबी में पुल गिरने से अपने बेटे और भांजे को खो चुके व्यक्ति ने दावा किया कि पिछले साल 30 अक्टूबर को पुल पर कोई भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था नहीं थी जिससे हादसा हुआ और 50 बच्चों सहित 135 लोगों की जान चली गई। घटना में अपना बेटा खो चुकी महिला ने कहा कि उसने घर-घर झाड़ू-पोंछा कर अपने बच्चे को बड़ा किया था और मुआवजे की कोई भी राशि उसके घाव को भर नहीं सकती। यह घटना पिछले साल तब हुई जब मोरबी में मच्छु नदी पर बने ब्रिटिश कालीन झूलते पुल पर एक ही समय में बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए। ‘हादसा पीड़ित संघ-मोरबी’ के बैनर तले घटना में अपने परिजनों को खो चुके करीब 40 लोग सोमवार सुबह तीन घंटे तक साबरमती आश्रम के सामने बैठे और मारे गए पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

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श्रद्धांजलि यात्रा को नहीं मिली अनुमति

Morbi Accident 1 year : संघ के अध्यक्ष नरेंद्र परमार ने ‘PTI’ को बताया कि उन्होंने और पीड़ितों के परिवारों ने शुरुआत में मोरबी पुल हादसे की बरसी पर साबरमती आश्रम से गांधीनगर स्थित मुख्यमंत्री आवास तक ‘श्रद्धांजलि यात्रा’ निकालने की योजना बनाई थी। लेकिन प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने पर संघ ने सुबह आश्रम रोड पर ‘श्रद्धांजलि सभा’ आयोजित करने का फैसला किया। मोरबी पुल हादसे में परमार की 10 वर्ष की बेटी की भी मौत हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘इस सभा में हम सभी ने मामले की तेज सुनवाई और दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की। अब तक गिरफ्तार आरोपियों के अलावा एसआईटी की रिपोर्ट में लापरवाही के दोषी ठहराए लोगों को भी गिरफ्तार कर उनके खिलाफ अदालत में मुकदमा चलाया जाना चाहिए ताकि बाकी लोग ऐसी लापरवाही करने से पहले दो बार सोचें।’’

morbi bridge accident in gujarat (File Photo)

गुजरात उच्च न्यायालय में जमा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक हादसे में 20 बच्चे अनाथ हुए जिनमें से 13 ने माता-पिता में से एक को खोया जबकि सात बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता दोनों की मौत हो गई। परमार के मुताबिक हादसे में मारे गए अधिकतर लोग अनुसूचित जाति (एससी) या मुस्लिम समुदाय के हैं। पुल हादसे में 19 वर्षीय बेटे को खो चुकी विधवा शबाना पठान ने संकल्प लिया है कि उन्हें जबतक ‘न्याय’ नहीं मिल जाता वह नंगे पैर रहेंगी। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अब तक मामले में न्याय नहीं मिला है।’’ पठान ने दावा किया, ‘‘ सुनवाई (मामले में चल रही अदालती प्रक्रिया) लंबी खींची जा रही है। या तो लोक अभियोजक बदल दिया जाता या न्यायाधीश का स्थानांतरण कर दिया जाता।’’

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शबाना ने रोते हुए कहा, ‘‘मैंने 14 घरों में झाड़ू-पोंछा का काम कर अपने बेटे को पाला था। कोई भी मुआवजा मेरे घावों को नहीं भर सकता। अगर अदालतें एक हत्या के मामले में मौत की सजा दे सकती हैं तो यह तो 135 हत्याओं का मामला है। मैं तबतक चप्पल नहीं पहनूंगी जबतक मुझे न्याय नहीं मिल जाता।’’ हादसे में अपने 18 वर्ष के बेटे निसार को खो चुकी हमीदा इकबाल ने भी ‘न्याय’ की मांग की।

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