पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी का निधन, हाता में जुटा समर्थकों का सैलाब
brahmin leader harishankar tiwari : गोरखपुर में पूर्वांचल के बाहुबलि और ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनते ही गोरखपुर के हाता में उनके समर्थकों का सैलाब जुट गया है।
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brahmin leader harishankar tiwari Dead: उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी का निधन हो गया। हरिशंकर तिवारी के निधन की खबर मिलते ही गोरखपुर में उनके समर्थकों का तांता लग गया। बताया जा रहा है कि हरिशंकर तिवारी पिछले काफी अरसे से बीमार चल रहे थे। हरिशंकर तिवारी का शुमार उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में किया जाता था। उनकी उम्र 86 साल की थी। गोरखपुर का हाता हरिशंकर तिवारी के नाम से ही जाना जाता है और जैसे ही उनके निधन की खबर शहर में आम हुई तो तमाम जान पहचान वाले उनके हाता में इकट्ठा होने लगे।
पूर्वांचल के बाहुबलि थे हरिशंकर तिवारी
यूपी में कई सरकारों में मंत्री तक रहे हरिशंकर तिवारी असल में गुजरे जमाने में पूर्वांचल के बाहुबली कहे जाते थे। उनके साथ साथ उनके बेटे भी राजनीति में रहे और सांसद और विधायक तक बने। बाहुबली हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा सीट से लगातार 22 सालों तक विधायक रहे। पूर्वांचल के ब्राह्मणों में उनकी अच्छी पैठ थी और उनके इसी रुतबे की वजह से यूपी में वो करीब पांच बार कैबिनेट मंत्री भी रहे। वो 6 बार विधायक बने। हरिशंकर तिवारी ने पहली बार 1985 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था और जीता भी था। उसके बाद वो अलग अलग राजनीति दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीतते रहे। कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधायक बने और फिर यूपी में कैबिनेट मंत्री तक बने।
ऐसा था हरिशंकर तिवारी का रुतबा
ये किस्सा साल 1986 का है जब हरिशंकर तिवारी गोरखपुर से निर्दलीय विधायक बने थे और वो भी जेल में रहते हुए। तब ब्राह्मणों के बड़े नेता कमलापति त्रिपाठी एक डिग्री कॉलेज के एक कार्यक्रम में आए थे। और इस कार्यक्रम का आयोजन किया था हरिशंकर तिवारी ने। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे वीर बहादुर सिंह। जब कार्यक्रम खत्म हो गया तो कमलापति त्रिपाठी के काफिले को छोड़ने के लिए हरिशंकर तिवारी 3 किलोमीटर दूर दोहरीघाट तक गए थे और दोहरीघाट मऊ जिले में आता है। बाद में लौटत वक़्त पुलिस ने गोरखपुर की हद में हरिशंकर तिवारी को गिरफ्तार कर लिया। और ये खबर उड़ गई कि गोरखपुर पुलिस के जरिए वीर बहादुर सिंह पंडित हरिशंकर तिवारी का एनकाउंटर करवाना चाहते हैं। देखते ही देखते ये खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। मोबाइल के जमाना न होते हुए भी गोरखपुर मुख्यालय पहुँचते पहुँचते गाड़ियों का काफिला कई किलोमीटर तक पहुँच गया और करीब 5000 लोगों ने थाना घेर लिया।
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और आखिर पुलिस को छोड़ना ही पड़ा
खबर उड़ती उड़ती कमलापति त्रिपाठी के पास पहुँची कि हरिशंकर तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। कमलापति त्रिपाठी ने फौरन मुख्यमंत्री से बात की। उधर गोरखपुर में हाय तौबा मच चुकी थी लोग मरने मारने पर उतारू थे और पूरा शहर जय जय शंकर और जय हरिशंकर के नारों से गूंज रहा था। पुलिस शहर की हालत देखकर पसीना पसीना हो गई और आखिरकार हरिशंकर तिवारी को छोड़ना ही पड़ा। और बस यहीं से हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल में ब्राह्मणों के नेता हो गए।
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