उडुपी में कॉलेज की लड़कियों ने वॉशरुम में वीडियो बनाए, खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैली
Udupi Girls College Washroom Film: उडुपी के एक प्राइवेट पैरामेडिकल कॉलेज की छात्राओं के वॉशरूम में वीडियो बनाने की खबर सोशल मीडिया पर आग की तरफ फैल गई, लेकिन पुलिस ने जब जांच की तो सच कुछ और ही निकला।
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Udupi Girls College Washroom Film: कर्नाटक के उडुपी के एक सनसनीखेज मामले ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर रखा है। असल में खबर निकलकर सामने आई थी कि 20 जुलाई को उडुपी के एक प्राइवेट पैरामेडिकल कॉलेज की तीन छात्राओं को सस्पेंड कर दिया गया। इल्ज़ाम ये था कि उन लोगों ने वॉशरूम के अंदर मोबाइल छुपाकर दूसरी छात्राओं के वीडियो बनाए। मगर जैसे ही ये बात संस्थान के अधिकारियों को लगी तो फौरन कार्रवाई की गई और उसी दिन इस मामले की इत्तेला पुलिस को भी दे दी गई।
देखते ही देखते सांप्रदायिक हो गया
लेकिन इससे पहले पुलिस अपनी जांच के बाद किसी नतीजे पर पहुँच पाती, ये मामला सांप्रदायिक रंग में रंग गया और देखते ही देखते इस बात को लेकर तूफान खड़ा हो गया। कुछ संगठनों के आरोप के बाद छात्राओं को जिहादी साज़िश का हिस्सा करार दिया जाने लगा। इल्जाम यहां तक लगाए जाने लगे कि सस्पेंड हुई लड़कियां इत्तेफाक से मुस्लिम छात्राएं थी तो इल्जाम ये लगे कि मुस्लिम लड़कियों ने हिन्दू लड़कियों के प्राइवेट वीडियो शूट करने के लिए छुपे हुए कैमरों का इस्तेमाल किया। इल्जाम ये तक लगाए जाने लगे कि आरोपी लड़कियों ने वो प्राइवेट शूट मुस्लिम लड़कों के बीच फैला दिए।
पुलिस अफसर ने साफ की तस्वीर
लेकिन उडुपी के पुलिस कप्तान अक्षय मच्छिन्द्र ने इन तमाम आरोपों को अफवाह करार देते हुए ये बात साफ कर दी कि ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि सोशल मीडिया पर इस बात को बहुत गलत तरीके से वायरल करवाया गया है, और गलत और आधी अधूरी सूचना को ही लोग आपस में शेयर कर रहे हैं। पुलिस अफसर के मुताबिक हमें भी रिपोर्ट मिली थी कि छुपे हुए कैमरे से ऐसा कुछ किया गया लेकिन हमारी जानकारी और जांच से ये बात सामने आई है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ
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डायरेक्टर का दावा कोई वीडियो लीक नहीं
द क्विंट में छपी खबरों के मुताबिक संस्थान के डायरेक्टर रश्मी कृष्ण प्रसाद ने ये बात साफ की है कि किसी भी तरह का कोई वीडियो लीक नहीं हुआ है। ये सही है कि लड़कियों ने आपस में कुछ वीडियो बनाए थे, लेकिन उन्हें उसी समय और वहीं डिलीट कर दिए गए। संस्थान के डायरेक्टर के मुताबिक जो कुछ सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा है वैसा कुछ भी नहीं हुआ है। किसी भी तरह का कोई वीडियो सर्कुलेट नहीं किया गया। जो कहा जा रहा है और जो इल्जाम लगाए जा रहे हैं वो सब के सब झूठ हैं और संस्थान की छवि के साथ साथ छात्रों के भविष्य को खराब करके कुछ लोग अपनी सियासत चमकाना चाहते हैं।
ये है पूरी मामला
अब सवाल उठता है कि आखिर असल में हुआ क्या। जिसको लेकर इस कदर बवाल मचा। असल में 18 जुलाई को तीन छात्राओं ने कथित तौर पर संस्थान के वॉशरूम के भीतर तीन छात्राओं ने आपस में कोई वीडियो शूट किया था। लेकिन इसका पता प्रशासनिक अधिकारियों को तुरंत ही लग गया जिसकी वजह से छात्राओं को बुलाकर पूछताछ की गई और तुरंत वहीं के वहीं वीडियो डिलीट कर दिए गए।
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लड़की की शिकायत पर कार्रवाई
डायरेक्टर का कहना है कि जिस छात्रा की शिकायत पर ये सब कुछ हुआ असल में वो खुद भी यही चाहती थी कि सिर्फ लड़कियों को डांट कर और वार्निंग देकर छोड़ देना चाहिए क्योंकि कोई ऐसा वीडियो भी नहीं शूट किया गया था जो आपत्तिजनक हो, इसीलिए वो लिखित शिकायत भी नहीं देना चाहती थी।
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इसलिए लिया गया एक्शन
डायरेक्टर के मुताबिक चूंकि लड़कियों के खिलाफ एक्शन इसलिए भी लिया गया क्योंकि संस्थान में मोबाइल लाना और इस्तेमाल करना दोनों ही मना है। ऐसे में लड़कियों के मोबाइल ले लिए गए और उन्हें इस मामले की जांच पूरी होने तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया साथ ही लड़कियों के माता पिता को बुलाकर पुलिस की मौजूदगी में लड़कियों से पूछताछ हुई जिसमें उन लड़कियों ने ये बात मानीं कि उन लोगों ने आपसी मौज मस्ती के लिए वीडियो शूट किया लेकिन पकड़े जाने और बात के बेवजह फैलने की वजह से लड़कियों ने फौरन ही वीडियो डिलीट भी कर दिए। इसकी तस्दीक खुद पुलिस अफसरों ने की है।
पुलिस की जांच में साफ हुई बात
पुलिस की शुरुआती जांच में भी ये बात साफ हो गई है कि लड़कियों के मोबाइल से किसी तरह की कोई वीडियो कहीं शेयर नहीं की गई और न ही कोई वीडियो कहीं से लीक हुआ है। लिहाजा सोशल मीडिया पर जो कुछ कहा सुना जा रहा है और जो इल्ज़ाम को तूल दिया जा रहा है वो बेबुनियाद है।
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