Mumbai Underworld Story: 70 साल की उम्र पार कर चुका ये डॉन क़ानून से मांग रहा है रहम की भीख, इसलिए खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

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Mumbai Underworld Story: 70 साल की उम्र पार कर चुका ये डॉन क़ानून से मांग रहा है रहम की भीख, इसलिए ...
बॉम्बे हाईकोर्ट से सज़ा में रियायत देने की अपील की अरुण गवली ने
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उम्रकैद की सज़ा काट रहा दगड़ी चाल का डैडी और मुंबई का बेखौफ डॉन अरुण गवली अब जेल से बाहर आने के लिए छटपटा रहा है। रंगबाजी के दिनों में किसी पर रहम न करने वाला अंडरवर्ल्ड का ये सरगना अब अपनी बीमारी का हवाला देकर अदालत के रहम की भीख मांग रहा है। अरुण गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर की है और अपनी फेफड़े और पेट की तमाम बीमारियों का ज़िक्र करते हुए सज़ा को माफ किए जाने की अपील की है। अंडरवर्ल्ड डॉन की याचिका का असर ये हुआ कि हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मीकि मनेजेस की खंडपीठ ने सरकार को एक नोटिस जारी कर दिया है। 

अरुण गवली इन दिनों कत्ल के एक केस में उम्रकैद की सज़ा काट रहा है। अंडरवर्ल्ड सरगना अरुण गवली ने महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग की तरफ से 2006 में जारी एक सर्कुलर का हवाला देकर बॉम्बे हाईकोर्ट में अपनी सज़ा माफी की याचिका दायर की। उस सरकारी ऑर्डर में साफ साफ लिखा था कि जिन अपराधियों की उम्र 65 साल की हो चुकी है और वो 14 साल की सजा काट चुके हैं तो उन्हें जेल से रिहा किया जा सकता है। इसी ऑर्डर की आड़ लेकर अरुण गवली ने हाईकोर्ट से अपनी उम्र कैद की सजा में रियायत देने की गुजारिश की है। 

मुंबई की दगड़ी चॉल जहां अडंरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली का सिक्का चलता है

अंडरवर्ल्ड का डॉन अरुण गवली साल 2008 के मई महीने से जेल में बंद है। अदालत में दायर अपनी याचिका में अरुण गवली ने गुहार लगाई है कि उसकी उम्र 70 पार की हो गई है और साल 2006 में महाराष्ट्र सरकार ने जो सर्कुलर जारी किया था उसके मुताबिक वो उस रियायत का हकदार बनता है क्योंकि उम्र का पैमाना पूरा करने का साथ साथ उसने 14 साल की कैद भी पूरी कर ली है। और अब वो बहुत बीमार रहने लगा है। लिहाजा उसकी सेहत के मद्देनज़र क़ानून उसके साथ नरमी का रुख बरते। 

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हाईकोर्ट में दायर की गई रिट याचिका में अरुण गवली ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने 2015 में भी एक सर्कुलर जारी किया था जिसके तहत संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम यानी मकोका  के तहत बुक किए गए अपराधी इसके हक़दार नहीं हैं। अरुण गवली ने महाराष्ट्र कारागार नियम 1972 के नियम 6 के उपनियम (4) को भी चुनौती दी है। ये नियम 1 दिसंबर 2015 में एक अधिसूचना के जरिए जोड़ा गया था। इसके नियम 6 में साफ साफ लिखा है कि 20 जनवरी 2006 को मकोका अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गये अपराधियों को अधिसूचना का लाभ लेने के लिए संशोधित किया गया था। अपनी रिट याचिका में अरुण गवली ने इन तमाम नियमों का उल्लेख करते हुए कहा है कि उसे 2012 में कोर्ट ने दोषी ठहराया था इसलिए साल 2015 की अधिसूचना उस पर लागू नहीं होती। 

अरुण गवली ने रिट याचिका में अपने फेफड़ों और पेट की बीमारी का हवाला देते हुए अपनी सज़ा माफ किए जाने की अपील की है। इसी बीच न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्कीकि मेनेजेस की दो जजों की खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया और 15 मार्च तक इसका जवाब देने को कहा गया है। 

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असल में साल 2007 में शिवसेना के पार्षद कमलाकर जमसांडेकर को विजय गिरि नाम के एक बदमाश ने साकीनाका में उनके आवास पर गोली मार दी थी जिससे उनकी मौत हो गई थी। पुलिस की तफ्तीश में ये बात साफ हुई थी कि जमसांडेकर को गोली मारने के लिए अरुण गवली ने ही भेजा था। बताया जा रहा है कि जामसांडेकर के दुश्मनों ने 30 लाख रुपये की सुपारी दी थी क्योंकि ये झगड़ा एक ज़मीन के सौदे को लेकर हुआ था। बाद में साल 2008 में इस मामले में गिरफ्तारी के बाद ये बात साफ हुई थी। पुलिस ने भी 2008 में ही अरुण गवली को इस हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। जिस वक़्त अरुण गवली को गिरफ्तार किया गया था वो तब महाराष्ट्र विधान सभा का सदस्य भी था यानी विधायक था। 

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निचली अदालत ने चार साल तक चले मुकदमें के बाद 2012 में अरुण गवली को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी जिसे बाद में हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। पिछले तीस सालों से मुंबई पर अरुण गवली राज कर रहा था। असल में मुंबई में सीरियल धमाके के बाद मुंबई छोड़कर फरार हो चुके दाऊद इब्राहिम और उसके गैंग के भाग निकलने के बाद पूरा मुंबई खाली हो गया था। सिर्फ दो ही डॉन मुंबई पर अपना सिक्का जमाने की फिराक में लगे हुए थे। असल में मुंबई पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए अरुण गवली और अमर नाइक के बीच 1994 में गैंगवॉर शुरू हो गया था। उस वक्त अरुण गवली के शार्प शूटर रवींद्र सावंत ने अमर नाइक के भाई अश्विनी नाइक पर जानलेवा हमला किया था लेकिन वो बच गया था। उसके बाद दोनों ने एक दूसरे पर कई हमले करवाए। इसी बीच 10 अगस्त 1996 को पुलिस ने ही अमर नाइक को मार गिराया जबकि उसका भाई अश्विनी नाइक गिरफ्तार हो गया। बस तभी से मुंबई पर अरुण गवली की हुकूमत चल रही थी। 

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