अब अफगानिस्तान के क्रिकेटरों का क्या होगा?

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अब अफगानिस्तान के क्रिकेटरों का क्या होगा?
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अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबानी शासन ने दस्तक दे दी है, तालिबान के आगे अफगान सेना ने हथियार डाल दिये और बहुत जल्द वहां तालिबानी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दिख सकता है। लेकिन अब अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम और उसके खिलाड़ियों का क्या होगा, देश की क्रिकेट टीम के लिए क्या है तालिबान का प्लान?

मौजूदा वक्त में क्रिकेट की दुनिया में अफगानिस्तान सबसे तेजी से उभरता देश है, अफगान क्रिकेट टीम देसी-विदेशी धरती पर शानदार खेल दिखा रही है, लिमिटेड ओवर क्रिकेट में राशिद खान जैसे तमाम शानदार क्रिकेटरों की एक बड़ी फौज अफगानिस्तान के पास है।

कैसा होगा अफगान क्रिकेट टीम का भविष्य?

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मगर अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि नये नवेले क्रिकेट प्रेमी देश में क्रिकेटरों का भविष्य कैसा होगा? राशिद खान ने हाल ही में ट्वीट करके अपनी आशंका जाहिर की थी, उन्होंने कहा था कि हमें इस संकट के समय में दुनिया अकेले न छोड़े। हमारा देश जल रहा है और चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है।

क्या अफगानिस्तान में क्रिकेट को खतरा है? हालांकि तालिबानियों ने पहले ही क्रिकेट को मनोरंजक खेल करारा दिया था और इसे देखने पर से पाबंदी हटा दी थी। आधुनिक तालिबानी आतंकियों में क्रिकेट को लेकर बहुत सकारात्मक रवैया है लेकिन चिंता की बात ये है कि सत्ता में आने के बाद वो वर्तमान खिलाड़ियों को मुख्य धारा वाला बताकर उन पर अत्याचार कर सकते हैं, पूरी दुनिया को इस बात का सबसे अधिक डर सता रहा है।

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तालिबान ने क्रिकेट पर लगाया था प्रतिबंध

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पहले कट्टरपंथी संगठन तालिबान ने अफगानिस्तान में सभी तरह के खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया था, हालांकि 2000 में तालिबान ने जब क्रिकेट से बैन उठाते हुए उसे मनोरंजक करार दिया तो उसके बाद से वहां क्रिकेट खूब फला फूला। दरअसल युवा तालिबानी आतंकियों में क्रिकेट की दिलचस्पी बढ़ी रही है, जब भी अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम कोई बड़ा टूर्नामेंट या मैच खेलती है तो उसके लिए शुभकामना जाहिर करने वालों में तालिबानी सबसे आगे होते हैं।

क्रिकेट को खूब एन्जॉय करता है तालिबान!

अमूमन तालिबानी अफगानिस्तान की जीत पर आसमान की तरफ बंदूक करके गोलियां दागते हैं और अपनी खुशी का इतहार करते हैं, सबसे ज्यादा क्रिकेट मैच अफगानिस्तान के उन इलाकों में देखे और सुने जाते हैं जो तालिबान के कब्जे में रहा है। यहां तक कि नेशनल टीम में भी कई खिलाड़ी इन्हीं इलाकों से आते हैं, जब अफगानिस्तान की टीम ने क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 के लिए क्वालीफाई किया, उस दिन आसमान की तरफ मुंह करके पूरे अफगानिस्तान में बंदूकों से गोलियां दागी गईं।

कैसे बनी थी अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम?

80 के दशक में ताज मलूक खान ने पेशावर के काचा गारी शरणार्थी कैंप के बाहर ही अफगान क्रिकेट क्लब बनाया, 90 के दशक में छोटे-छोटे झुंड में जब लोगों की अफगानिस्तान में वापसी हुई तो क्रिकेट भी उनके साथ गया। मौजूदा अफगानिस्तान की राष्ट्रीय टीम में कई क्रिकेटर ऐसे हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के गृहयुद्ध के दिनों में माता-पिता के साथ पाकिस्तान में शरणार्थी कैंपों की शरण ली थी। जब उन्होंने पाकिस्तानियों को क्रिकेट खेलते देखा तो खुद इस खेल में आगे बढ़ते चले गये, तालिबानी शिविरों में रहकर असगर अफगान समेत तमाम खिलाड़ियों ने अपने क्रिकेट के जूनून को निखारा।

अफगानिस्तान से घबराती हैं दुनिया की बड़ी टीमें

अब तक के क्रिकेट का इतिहास देखें तो अच्छी-अच्छी टीमें बनने में कई-कई दशक लग जाते हैं, भारत को भी अपना पहला टेस्ट मैच जीतने में कई साल लगे थे। अफगानिस्तान में तो हालात भी सामान्य नहीं हैं और ये देश बीते कई सालों से युद्धभूमि बना हुआ है, जहां तालिबान के साथ संघर्ष चल रहा है। इस टीम के खिलाड़ियों ने रिफ्यूजी कैंपों में रहकर क्रिकेट से नाता जोड़ा और बड़ी बड़ी टीमों को पटखनी दी।

अफगानिस्तान ने दुनिया की बड़ी टीमों को हराया

वर्ल्ड कप 2019 में क्वॉलीफाई करने के लिए वेस्ट इंडीज जैसी मजबूत टीम को भी हार का मजा चखा चुकी है, भारतीय टीम भी अफगान टीम से 2018 एशिया कप में हारते हारते बची थी और मैच ड्रॉ रहा था। बहुत कम वक्त में ही अफगानिस्तानी क्रिकेट टीम ने टेस्ट, वनडे और टी-20 तीनों फॉर्मेट का दर्जा प्राप्त कर लिया है।

अफगान टीम एकजुट होकर खेलना जानती है और यही बात उसे दुनिया की सफल टीमों में शुमार कर रही है। राशिद खान भले उसके स्टार खिलाड़ी हैं लेकिन उसके अलावा भी अफगान टीम में कई शानदार खिलाड़ी हैं। खासकर अफगान टीम का बॉलिंग अटैक सबसे शानदार है।

अफ़गान में तालिबान, अब भारत का क्या होगा प्लान?

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