नाटो के लॉलीपॉप ने फ़िनलैंड और स्वीडन को ललचाया, रूस के रुख से थमी यूरोप की सांसें
रूस के रुख से थमने लगी हैं यूरोप की सांसें, यूरोप में गड़बड़ी फैलाने के लिए नाटो जिम्मेदार, रूस ने दिया अल्टीमेटम Finland, Sweden expect rapid domestic debate on NATO membership latest war report
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यूरोप के तमाम देशों की थम गई सांसें
Russia Ukrain War: पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ तस्वीरें ने सामने आकर दुनिया को जिस आहट का अहसास करवाया है उसे सुनकर दुनिया के तमाम ताक़तवर देशों की नींद उड़ गई है। खासतौर पर यूरोप के तमाम देश इस वक़्त सांस रोककर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कदमों के निशानों को देख रहे हैं।
क्योंकि तस्वीरों से ये साफ होने लगा है कि अब जंग का मैदान और उसका रंग रूप सब कुछ बदलने वाला है। बल्कि ये भी कहा जा सकता है कि अगले कुछ घंटे शायद दुनिया के नज़रिये से भी काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
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असल में रूस के डर से फिनलैंड (FINLAND) भी अब नाटो की शरण में जाता दिखाई देने लगा है जिसकी वजह से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने जंगी प्लान में ज़बरदस्त तब्दीली करके अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों को घबराहट की गहरी खाई में धकेल दिया है।
असल में कहा जा रहा है कि व्लादिमीर पुतिन ने फिनलैंड को आगाह किया है कि अगर उसने यूक्रेन की तर्ज पर कोई फैसला किया तो उसके लिए और यूरोप के लिए ये अच्छा नहीं होगा।
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फिनलैंड की संसद में नाटो की सदस्यता पर चर्चा होगी
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Russia Ukrain War फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन (SANNA MARINE) ने जबसे इस बात के संकेत दिए हैं कि फिनलैंड की संसद में इस बात की चर्चा होगी कि उनके देश को नाटो की सदस्यता लेनी चाहिए या नहीं। ये चर्चा मुमकिन है कि अगले हफ्ते शुरू हो सकती है। फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन का कहना है कि हालात अच्छे नहीं हैं।
रूस का रुख भी डरावना है ऐसे में उन्हें अपने देश की हिफाज़त की चिंता सताने लगी है। इन मौजूदा स्थितियों में कोई भी फैसला बड़े ही एहतियात के साथ लेना होगा। जाहिर है उसके लिए हर तरह का आंकलन करना ज़रूरी हो जाता है।
सना मरीन ने जिस वक़्त ये बात मीडिया के सामने कही उस वक्त वहां स्वीडन के नेता भी मौजूद थे। ज़ाहिर है इस बात को हवा मिल गई है कि फिनलैंड और स्वीडन दोनों ही इस वक़्त रूस के डर की वजह से नाटो की सदस्यता लेने की फिराक में हैं।
रूस ने धमकाया यूरोप को
Russia Ukrain War ऐसा माना जा रहा है कि फिनलैंड और स्वीडन दोनों ही नाटो की सदस्यता लेने पर विचार कर रहे हैं और जून में मड्रिड में होने वाले नाटो के सम्मेलन से पहले इन दोनों ही देशों के फैसले का ऐलान भी कर दिया जाएगा। नाटो ने कुछ अरसा पहले ही इस बात के संकेत दिए थे कि ये दोनों देश भी नाटो के सदस्य बनने को तैयार है. ऐसे में अगर ये लोग सदस्य बनने का फैसला कर लेते हैं तो इसकी प्रक्रिया जल्दी पूरी कर ली जाएगी।
जिस लम्हा ये बात सामने आई बस तभी से रूस ने फिनलैंड और स्वीडन दोनों को आगाह करना शुरू कर दिया है। रूस की तरफ से कहा गया है कि यूरोप अब लड़ाई के मूड में है और संघर्ष की राह में आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है।
नाटो की आड़ में ये सब कुछ अमेरिका करवा रहा है। ऐसे में ये एक तरह से यूरोप में अस्थिरता फैलाने की गहरी साज़िश है। ये बात बेहद ग़ौरतलब है कि रूस के साथ फिनलैंड और स्वीडन ने एक समझौता किया था। उस समझौते के मुताबिक फिनलैंड और स्वीडन हर स्थिति में तटस्थ ही बने रहेंगे।
अभी तक दोनों इसी नीति के पक्षधर रहे। लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद हालात काफी बदल से गए हैं। उधर स्वीडन की तरफ से कहा गया है कि अगर फिनलैंड नाटो में जाने का फैसला करता है तो स्वीडन भी इस दिशा पर विचार कर सकता है।
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