कराची के थट्टा फार्म हाउस में आतंक की फैक्ट्री, यहीं मिली थी कसाब को ट्रेनिंग

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कराची के थट्टा फार्म हाउस में आतंक की फैक्ट्री, यहीं मिली थी कसाब को ट्रेनिंग
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देश को दहलाने वाले ISI और डी कंपनी के टेरर प्लान का पर्दाफाश हुआ तो तार सीधे पाकिस्तान से जुड़ते नज़र आए. पाकिस्तान में कराची के थट्टा फार्म हाउस से. वही थट्टा जहां मुंबई के हमलावर अजमल आमिर कसाब को ट्रेनिंग मिली थी.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के द्वारा पकड़े गए आतंकी ओसामा और जीशान दोनों को ही पाकिस्तान के टेरर फार्म हाउस में ही 15 दिनों तक आर्मी के दो अफसरों ने ट्रेनिंग दी थी.

दोनों ने वहां आतंक का कौन-कौन सा पाठ पढ़ा ये जानने पहले आप इनके टेरर फार्म हाउस तक पहुंचने का रूट समझ लीजिए

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मुंबई हमले में बेनकाब हो चुके पाकिस्तान ने इस बार टेरर का रूट थोड़ा बदल दिया. उसने ओसामा को लखनऊ से विमान के जरिए ओमान के मस्कट बुलाया. यहां जीशान पहले से ही मौजूद था. मस्कट में ही दोनों के पासपोर्ट रख लिए गए ताकि पकड़े जाने पर कोई सबूत ना मिले.

फिर दोनों को बोट के ज़रिए समंदर के रास्ते पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के पास जियोनी टाउन लाया गया. यहां से दोनों को कराची के उसी थट्टा ट्रेनिंग कैंप में ले जाया गया जहां कसाब ने ट्रेनिंग ली थी.

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कराची पहुंचने पर इन्हें एक सादी वर्दी वाले पाकिस्तानी सेना के अफसर ने रिसीव किया. पूछताछ में जीशान और ओसामा ने बताया कि उसका नाम आसिफ था और उसे वर्दी वाले सलाम कर रहे थे. जिससे ऐसा लग रहा था कि वो कोई बड़ा अफसर है. आसिफ ही दोनों को लेकर थट्टा के आतंकी ट्रेनिंग कैंप में लेकर आया.

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फार्महाउस पर ही दोनों की मुलाकात हमजा और जब्बार से हुई. दोनों पाकिस्तानी सेना के अफसर थे. इन दोनों ने ही जीशान और ओसामा को IED बनाने, रोजमर्रा के काम आने वाली चीजों से दहशत और आगजनी का सामान बनाने की ट्रेनिंग दी थी.

ये दोनों हथियार चलाना नहीं जानते थे, लिहाजा इन्हें एके-47 चलाने की ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद दोनों के पासपोर्ट लौटा दिए गए और दोनों को मस्कट के रास्ते आतंकी मिशन पर वापस भारत भेज दिया गया.

सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के टेरर फार्म हाउस में जीशान और ओसामा को भीड-भाड़ वाली जगहों पर IED रखने और शक होने पर लोगों की जान लेने तक की ट्रेनिंग दी गई. इसके लिए उन्हें चीनी पिस्टल को खोलना, जोड़ना और चलाना सिखाया गया.

दोनों ने बताया कि उन्हें ये सिखाया गया है कि आईईडी रखने के दौरान किसी के शक होने पर उन्हें कैसे छोटे हथियार से लोगों को घायल कर भागना है. कैसे मौका लगने पर टारगेट की हत्या बिना हथियार के करनी है. यहां तक की अगर भीड़ भाड़ वाले बाजार में कोई पीछा कर रहा है तो कैसे किसी रेस्टोरेंट या होटल में अचानक छुप जाना है.

इन दोनों ने कहा कि उन्हें पैसे का लालच नहीं था मगर ये कबूल किया कि जिहाद की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान गए थे.

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