Bilkis Bano case: बिल्कीस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अपराध की गंभीरता पर सरकार विचार कर सकती थी

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Delhi SC News: केंद्र और गुजरात सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वे बिल्कीस बानो मामले में दोषियों को सजा में छूट देने पर मूल फाइल के साथ तैयार रहने के उसके 27 मार्च के आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर कर सकते हैं। न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने 11 दोषियों को उनकी कैद की अवधि के दौरान दी गई पैरोल पर सवाल उठाया और कहा कि अपराध की गंभीरता पर राज्य द्वारा विचार किया जा सकता था।

न्यायालय ने कहा, “एक गर्भवती महिला से सामूहिक दुष्कर्म किया गया और कई लोगों की हत्या कर दी गई। आप पीड़िता के मामले की तुलना धारा 302 (हत्या) के सामान्य मामले से नहीं कर सकते। जैसे सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती। अपराध आम तौर पर समाज और समुदाय के खिलाफ किए जाते हैं। असमानों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा सकता है।”

पीठ ने कहा, “सवाल यह है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया और किस सामग्री के आधार पर सजा में छूट देने का फैसला किया।” न्यायालय ने कहा, “आज बिल्कीस है, कल कोई भी हो सकता है। यह मैं या आप या भी हो सकते हैं। यदि आप सजा में छूट प्रदान करने के अपने कारण नहीं बताते हैं, तो हम अपने निष्कर्ष निकालेंगे।” न्यायालय ने बिल्कीस बानो मामले में दोषियों को सजा में छूट देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अंतिम निस्तारण के लिये दो मई की तारीख निर्धारित की। अदालत ने उन सभी दोषियों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा, जिन्हें नोटिस जारी नहीं किया गया है।

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न्यायालय ने केंद्र और राज्य से समीक्षा याचिका दाखिल करने के बारे में उनका रुख स्पष्ट करने को कहा। न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिल्कीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या को ‘‘भयावह’’ कृत्य करार देते हुए 27 मार्च को गुजरात सरकार से पूछा था कि क्या मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देते समय हत्या के अन्य मामलों में अपनाए गए समान मानक लागू किए गए।

गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। बानो ने इस मामले में दोषी ठहराए गए 11 अपराधियों की बाकी सजा माफ करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है।

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सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा में छूट दी थी और उन्हें पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था। घटना के वक्त बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती भी थीं। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी, जिनमें तीन साल की एक बच्ची भी शामिल थी।

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2014 में नई संशोधित छूट नीति हुई थी लागू

गृह विभाग के सीनियर अधिकारी ने बताया कि गुजरात ने 2014 में कैदियों के लिए एक और नई संशोधित छूट नीति अपनाई। यही नीति वर्तमान में प्रभावी है। इसमें दोषियों की श्रेणियों के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश हैं कि किसे राहत दी जा सकती है और किसे नहीं ?

गुजरात सरकार ने लिया था 2014 की नीति के तहत फैसला

गृह विभाग के अधिकारी के मुताबिक, चूंकि बिलकिस बानो केस के आरोपियों के खिलाफ 2008 में दोष साबित हुआ था और सुप्रीम कोर्ट ने हमें 1992 की रेमिशन पॉलिसी के तहत इस मामले पर विचार करने का निर्देश दिया था, जो 2008 में प्रभावी थी, उस नीति में विशेष स्पष्टता नहीं थी कि किसे छूट दी जा सकती है और किसे नहीं? लिहाजा 2014 की संशोधित नीति के तहत फैसला लिया गया।

18 साल से ज्यादा काट ली सजा

गोधरा के बिलकिस बानो मामले मामले में 21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 11 आरोपियों को दोषी पाया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा। इन दोषियों ने 18 साल से ज्यादा सजा काट ली थी, जिसके बाद राधेश्याम शाही ने धारा 432 और 433 के तहत सजा को माफ करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

क्या था गोधरा कांड ?

27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे। इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया। भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया। उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं। उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी।

(PTI)

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