पहाड़गंज थाने का सब- इंस्पेक्टर और हेड-कांस्टेबल गिरफ्तार, मध्य जिला में मचा हड़कंप
Delhi Police Sub-Inspector Arrested by CBI: दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल को दो लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। दोनों पुलिस वाले पहाड़गंज थाने में तैनात थे।
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Delhi Police Corruption: सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के एक सब- इंस्पेक्टर और हेड-कांस्टेबल राजेंद्र मील को लाख रुपए रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। सीबीआई के मुताबिक, व्यवसायी कमल दीप बंसल की पत्नी सीमा बंसल के नाम से पहाड़ गंज, चूना मंडी में पैतृक संपत्ति/ प्लाट है। कमल दीप उस पर निर्माण कार्य करवा रहे हैं। सब- इंस्पेक्टर रवि उर्फ़ रवि चौधरी और हवलदार राजेन्द्र मील ने इस प्लाट पर अवैध बोरवेल के मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने और निर्माण कार्य सुचारू रुप से करने देने के लिए कमल दीप बंसल से तीन लाख रुपए रिश्वत मांगी। इस बात से दीप बंसल परेशान हो गए। उन्होंने इसकी शिकायत सीबीआई में की।
Delhi Police Sub-Inspector Arrested by CBI: कमल दीप के अनुसार, उसके बार बार अनुरोध करने पर सब- इंस्पेक्टर रवि ने रिश्वत की रकम घटा कर ढाई लाख रुपए कर दी। रिश्वत न देने पर निर्माण कार्य रोक देने और कानूनी कार्रवाई करने की धमकी सब- इंस्पेक्टर रवि ने दी। हवलदार राजेन्द्र मील ने रिश्वत की रकम दो लाख बीस/तीस हज़ार कर दी। इसके बाद कमल दीप ने इस मामले की तीन जुलाई को सीबीआई में शिकायत कर दी। सीबीआई ने उपरोक्त आरोपों को वैरीफाई करने के बाद सब- इंस्पेक्टर रवि और हवलदार राजेन्द्र मील के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत आपराधिक साज़िश और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया।
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CBI VS DELHI POLICE
सीबीआई ने चार जुलाई को जाल बिछाया और दो लाख रुपए रिश्वत लेते हुए सब- इंस्पेक्टर रवि चौधरी और हवलदार राजेन्द्र मील को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना से थाने में हड़ंकप मचा हुआ है। दोनों आरोपियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है। ये भी पता किया जा रहा है कि दोनों पुलिसवाले क्या इससे पहले भी किसी केस में रिश्वत ले चुके है या नहीं।
यहां कई सवाल खडे़ हो रहे हैं, मसलन
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पीड़ित ने क्या दिल्ली पुलिस के आलाधिकारियों से इसकी शिकायत की थी?
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पीड़ित क्या अवैध निर्माण करना चाह रहा था और बोरवेल लगवाना चाह था?
कैसे पीड़ित सीधे शिकायत करने के लिए सीबीआई पहुंच गया?
कब से पीड़ित और पुलिसवालों के बीच डील चल रही थी?
क्या इस केस में थाने के दूसरे अधिकारियों की भी मिलीभगत थी?
पता चला है कि पीड़ित ने इस सिलसिले में सीबीआई को मोबाइल रिकार्डिंग के अलावा कुछ और अहम सबूत दिए हैं। सीबीआई इस मामले में अन्य सबूत भी बटोर रही हैं। ये बात भी सच है कि हरेक शिकायतकर्ता सीधे सीबीआई जाकर शिकायत दर्ज नहीं कराता, क्योंकि ये एक तो बहुत मुश्किल होता है, दूसरा जिस पीड़ित की जान-पहचान सीबीआई में होती है, उसी मामले को सीबीआई सीरियसली लेती है। हालांकि कई बार पर्सनल दिलचस्पी की वजह से सीबीआई कार्रवाई करती है, लेकिन कई बार केस की मेरिट के आधार पर भी कार्रवाई की जाती है।
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