ताला-चाबी बनाते-बनाते बनाने लगा हथियार और गोला-बारूद, मलखान सिंह की 'जंगल कहानी' चौंका देगी

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ताला-चाबी बनाते-बनाते बनाने लगा हथियार और गोला-बारूद, मलखान सिंह की 'जंगल कहानी' चौंका देगी
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Delhi Special Cell Arrested Malkhan Singh: कहानी मलखान सिंह की, जो ताला चाबी बनाते-बनाते बनाने लगा बंदूक और गोलियां। एक वक्त ऐसा आया, जब उसकी जिंदगी में पैसा बरसने लगा। कौन था मलखान सिंह ?

जंगल में बनता था हथियार और बारूद

बात मध्य प्रदेश के धार जिले की है। 83-84 में एक गरीब परिवार में एक बच्चा पैदा हुआ, जिसका नाम रखा गया मलखान सिंह। मलखान बहुत गरीब परिवार से था। लिहाजा उसने बहुत छोटी उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया। जब वो सातवीं क्लास में था तो उसने पढ़ाई छोड़ दी और काम करने लगा। उसने ताला-चाबी बनाने और ठीक करने का काम शुरू किया।

वक्त बीतता गया और इस दौरान उसकी शादी भी हो गई। अब घर का खर्चा पूरा नहीं हो पा रहा था। इच्छाएं बढ़ती जा रही थी। वो मेहनत तो करता, लेकिन उसकी आमदनी बढ़ नहीं पा रही थी। पढ़ा-लिखा नहीं होने की वजह से वो ज्यादा कमा नहीं पा रहा था।

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एक वक्त ऐसा आया जब मलखान के परिवार में रोटी के लाले पढ़ने लगे। वो परेशान रहने लगा। अब वो कुछ और काम करना चाहता था, जिसमें उसकी आमदनी ज्यादा हो। उसने दूसरा काम करने की खूब कोशिशें की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाया। इसी दौरान उसकी अपने एक दोस्त से मुलाकात हुई, जो गैर कानूनी हथियार बनाने का काम करता था। यानी वो हथियार बनाता था और उसे बेचता था। उसके दोस्त ने उसे हथियार बनाना सिखाया।

ऐसे बनाए मलखान ने हथियार!

जंगल में छिप कर बनाता था हथियार-बारूद

साल 2009-10 की बात है, मलखान ने हथियार बनाना सीखा। मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे जिले हैं, जहां न केवल हथियार और गोला-बारूद बनाए जाते हैं, बल्कि बेचे भी जाते हैं। ये जिले हैं धार, खरगोन, बुरहानपुर और बड़वानी। यहां अवैध हथियारों का निर्माण बड़े पैमाने पर होता है। बंदूक बनाने वाले लोहे की चादरें, ड्रिल, ग्राइंडर, हथौड़े और स्क्रूड्राइवर जैसे उपकरण बाजार से खरीदते हैं। सभी कच्चे माल और उपकरणों की व्यवस्था करने के बाद वे या तो घर पर या जंगल के दूरदराज के इलाकों में अवैध हथियार तैयार करते हैं। मलखान ऐसे लोगों के गैंग में शामिल हुआ और उसने हथियार बनाना सीखा।

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ऐसे बनाई जाती है गोलियां

इसके बाद मलखान ने गोलियां बनानी सीखी। गोलियां बनाने के लिए इंदौर से पीतल की पतली चादरें खरीदी जाती थी। पतली शीट का प्रयोग करके औज़ारों की सहायता से गोली का खोल तैयार किया जाता था। उस खोल में माचिस की तीलियाँ तथा अन्य सामग्री भरी जाती थी। इसके बाद गोली चलाने के लिए पीछे की ओर एक पीतल का पेंच लगाया जाता है, जिस पर पिन ठोकी जाती थी। एक पिस्तौल बनाने में 2 से 3 दिन का समय लगता था।

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2 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपए तक का हथियार

अवैध हथियार निर्माता स्थानीय डीलरों को एक .30 बोर पिस्तौल 18 से 20 हजार में, एक .32 बोर पिस्तौल 6 से 8 हजार में, एक .315 बोर पिस्तौल 1500 से 2 हजार में और एक 9 एमएम पिस्तौल 45 से 50 हजार में बेचते थे। ये स्थानीय डीलर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में अपने संपर्कों को अवैध हथियार काफी ऊंचे दामों पर बेचते हैं।

मलखान ने अवैध हथियार और गोलियां बेचनी शुरू की

इसके बाद उसने गोलियां और हथियार बेचना शुरू किया। वो आसपास के बदमाशों को हथियार और गोलियां बेचता था। एक वक्त ऐसा आया, जब उसने हथियार और बारूद बनना बंद कर दिया। इसके पीछे भी कई वजहें थी।

बिजनेस का तरीका बदला

अब वो दूसरे बदमाशों से हथियार खरीदता था। इसके बाद मलखान ने हथियार और गोलियां मध्य प्रदेश के धार, बड़वानी और बुरहानपुर जिलों में स्थानीय निर्माताओं से खरीदना शुरू किया। वह विभिन्न बंदूकधारियों को अवैध हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करता था, जो आगे चलकर कई राज्यों में फैले आपराधिक गिरोहों को हथियारों की आपूर्ति करते थे। दरअसल, हथियार की खरीद-फरोख्त के दौरान उसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हुए थे। वो कई बार जेल गया था। जेल में उसकी दोस्ती कई दूसरे बदमाशों से हुई, जो इस धंधे में शामिल थे। इस वजह से उसका नेटवर्क बढ़ चुका था और वो हथियारों को कई ग्राहकों को बेचता था। उसके ऊपर 2008 से लेकर 18 तक 8 मामले दर्ज हुए। ज्यादातर मामले एमपी के इंदौर में दर्ज हुए।  

अब कैसे पकड़ा गया मलखान ?

साल 2022 और 23 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तीन मुकदमे दर्ज किए थे। इसमें चार लोगों को पकड़ा था। इसने पूछताछ में मलखान का नाम सामने आया था। पता चला था कि मलखान ने इन्हें अवैध हथियार मुहैया कराए थे। स्पेशल सीपी एच जी एस धालीवाल के मुताबिक, स्पेशल सेल की टीम मलखान सिंह के पीछे 2022 से पड़ी थी। उसका पता लगाने के लिए काफी प्रयास किये गये, लेकिन वह गिरफ्तारी से बच रहा था। इसके अलावा यह पता चला कि वह बार-बार अपने ठिकाने और मोबाइल नंबर बदल रहा था और अवैध हथियारों और गोला-बारूद की खरीद और आपूर्ति का उसका गठजोड़ राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित कई राज्यों में फैलता जा रहा  है। उस पर पुलिस ने 50 हजार का इनाम भी घोषित किया था।

साउथ वेस्टर्न रेंज स्पेशल सेल की टीम, जिसका नेतृत्व खुद डीसीपी इंगित प्रताप सिंह कर रहे थे, इस केस की बारीकी से जांच कर रहे थे। टीम में एसीपी संजय दत्त, इंस्पेक्टर सुनील कुमार, मनेंद्र सिंह, नीरज और अन्य पुलिस कर्मी शामिल थे। 26 जुलाई को आरोपी के बारे में पुख्ता जानकारी मिली, जिसके बाद उसे मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया गया। उसके पास से 10 सेमी-ऑटोमैटिक पिस्तौलें बरामद की। 

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