Delhi : जिस पुलिसवाले ने शराबी पुलिसवालों को पकड़ा, डीसीपी ने उसे ही ठिकाने लगा दिया! अभी तक मुकदमा क्यों नहीं दर्ज?

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Delhi : जिस पुलिसवाले ने शराबी पुलिसवालों को पकड़ा, डीसीपी ने उसे ही ठिकाने लगा दिया! अभी तक मुकदमा...
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Delhi Police South DCP Chandan Chowdhary Order: दिल्ली पुलिस के जिस कांस्टेबल ने शराबी पुलिसवालों की वीडियो बनाई, उसी के खिलाफ दिल्ली की एक महिला डीसीपी ने विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं। डीसीपी साउथ चंदन चौधरी ने आदेश दिया है कि कांस्टेबल ने सीनियर अधिकारियों को वीडियो देने के बजाय साउथ दिल्ली के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मंजीत सिंह चुग नाम को दे दी। लिहाजा ये गैरकानूनी है। डीसीपी ने हालांकि इस सिलसिले में दो पुलिस वालों के खिलाफ पहले ही विभागीय जांच शुरू कर दी है। उन्हें सस्पेंड तक कर दिया गया है, लेकिन अभी तक इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है।

ये वाक्या इसी साल अप्रैल महीने का है। दरअसल, दो पुलिस कर्मी कोटला मुबारक पुर थाने के रेकॉर्ड रूम में शराब पी रहे थे। इसका वीडियो एक कांस्टेबल माली राम ने बना लिया। जो पुलिस वाले शराब पी रहे थे, उनके नाम हेड कांस्टेबल कुलदीप यादव और एएसआई भजन लाल हैं।

dcp chandan chaudhary

Delhi Police South DCP Chandan Chowdhary Order: इनके साथ एक बाहरी व्यक्ति भी थाने के अंदर शराब पी रहा था। इस वीडियो को कांस्टेबल माली राम ने  साउथ दिल्ली के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मंजीत सिंह चुग को भेज दिया, जिसके बाद ये वीडियो वायरल हो गया था। पुलिस ने एक्शन लिया, लेकिन अब इसमें डीसीपी ने उस पुलिसवाले के खिलाफ ही जांच के आदेश दे दिए, जिसने ये अच्छा काम किया। सवाल ये उठता है कि उस पुलिस वाले की गलती सिर्फ इतनी है कि उसने वीडियो को महकमे के सीनियर अधिकारियों को न देकर किसी और को दे दिया। दरअसल, मंजीत सिंह चुग साउथ दिल्ली में रहते हैं। वो अक्सर पुलिस के खिलाफ कंपलेंट करते रहते हैं। यही वजह है वो चर्चा में रहते हैं।

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हालांकि कानूनी रूप से बेशक आदेश सही है, लेकिन प्रैक्टिकली इसका अच्छा संदेश नहीं जाता।

क्या मंजीत चुग पुलिस कर्मियों के पीछे पड़े रहते हैं, इसलिए दिल्ली पुलिस उसके पीछे पड़ी हुई है?

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मंजीत सिंह चुग क्यों पुलिस के पीछे पड़े रहते हैं?

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क्या पुलिसकर्मी को इस वीडियो को पहले सीनियर अधिकारी को नहीं देना चाहिए था?

Delhi Police: हालांकि ये बात भी सही है कि विभाग की बातें बाहर नहीं जानी चाहिए, लेकिन सवाल ये भी है कि अगर बाहर नहीं जाएगी तो कई बार ऐसे मामले दबा दिए जाते हैं। अगर कोई अच्छा काम करे तो उसे बढ़ावा देना चाहिए, लेकिन इस आदेश से कई सवाल जरूर खड़े हो रहे हैं। दूसरा, किसी भी पक्ष को ये नहीं समझ लेना चाहिए कि वो कानून से ऊपर है।  सिस्टम में अगर कोई खामियां बता रहा है तो उसे दूर करने की जरूरत है। 

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