चाचा नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू थे दिल्ली के कोतवाल ! आजादी के बाद संभली दिल्ली पुलिस अब दे रही है लंदन और न्यूयॉर्क पुलिस को टक्कर

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चाचा नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू थे दिल्ली के कोतवाल ! आजादी के बाद संभली दिल्ली पुलिस अब दे रही है लंदन और न्यूयॉर्क पुलिस को टक्कर
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दिल्ली पुलिस का इतिहास

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आजादी से पहले और बाद में

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दिल्ली के अंतिम कोतवाल थे पंडित नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू

दिल्ली पुलिस की दिलचस्प कहानी, आजादी से पहले और बाद कैसे बदली पुलिस?

Delhi News: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का इतिहास स्वर्णिम रहा है। कभी दिल्ली में कोतवाल हुआ करता था तो आज दिल्ली में पुलिस कमिश्नर है। उस वक्त दिल्ली की आबादी न बराबर थी, लेकिन आज दिल्ली की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। अब समस्याएं और परिस्थितियां भी बदल चुकी है। आइये आपको दिल्ली पुलिस के इतिहास से रू-ब-रू करवाते हैं।

जब दिल्ली को मिला पहला कोतवाल

1237 ई. - 1237 ई. में मलिकुल उमरा फ़क़रुद्दीन दिल्ली के पहले कोतवाल बने। उस वक्त उनकी उम्र 40 साल थी। उन्हें नाइबे-ग़िबत (अनुपस्थिति में रीजेंट) भी नियुक्त किया गया। वो तीन सुल्तानों बलबन, कैकोबाद और कैखुसरो के शासनकाल में इस पद पर बने रहे। कोतवाल या पुलिस मुख्यालय उस समय किला रायपिथौरा या आज के महरौली में स्थित था।

खिलजी ने दिल्ली के कोतवाल को प्रधानमंत्री पद का हकदार बताया था

Delhi Police History: 1297 ई. में सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने अपने कार्याकाल के दौरान एक कोतवाल नियुक्त किया था। उनका नाम मलिक अलाउल मुल्क था। सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने उनके बारे में कहा था, "वह वजीरत (प्रधानमंत्री पद) का हकदार है, लेकिन मैंने उसे उसकी दुर्बलता के कारण केवल दिल्ली का कोतवाल नियुक्त किया है।"

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1648 में शाहजहां ने नया कोतवाल बनाया

जब शाहजहाँ ने 1648 में अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की तो उसने ग़ज़नफ़र खान को नए शहर का पहला कोतवाल नियुक्त किया। उसे मीर-ए-आतिश (तोपखाने का प्रमुख) का महत्वपूर्ण पद भी प्रदान किया।

दिल्ली के अंतिम कोतवाल पंडित नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू थे!

1857 आते-आते कोतवाल की संस्था समाप्त हो गई।1857 के विद्रोह को कुचल दिया गया। ये अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्रता का पहला युद्ध था। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली के अंतिम कोतवाल, जिन्हें स्वतंत्रता के पहले युद्ध के भड़कने से ठीक पहले नियुक्त किया गया था, भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू थे। गंगाधर नेहरू (1827 से 1861) तक दिल्ली के कोतवाल रहे।

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1861 में पहली बार शुरू हुई दिल्ली में पुलिस व्यवस्था

1861 के भारतीय पुलिस अधिनियम को अपनाने के साथ ही अंग्रेजों द्वारा पुलिस व्यवस्था का एक संगठित स्वरूप स्थापित किया गया था। ये पहली बार था, जब पुलिस व्यवस्था को संगठित स्वरूप दिया जा रहा था। इससे पहले ऐसा नहीं था। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा था, क्योंकि अब इसकी जरूरत महसूस होनी लगी थी। 

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1912 में दिल्ली में बना पहला मुख्य आयुक्त

उस वक्त दिल्ली पंजाब का एक हिस्सा था। इस कारण 1912 में भारत की राजधानी बनने के बाद भी पंजाब पुलिस की एक इकाई बनी रही। उसी साल दिल्ली के पहले मुख्य आयुक्त की नियुक्ति की गई और उन्हें पुलिस महानिरीक्षक की शक्तियां और कार्य सौंपे गए।

DIG के नियंत्रण में थी दिल्ली पुलिस, अंबाला में था मुख्यालय

1912 के गजट के अनुसार, दिल्ली जिला पुलिस एक डीआईजी के नियंत्रण में था, जिसका मुख्यालय अंबाला में था। हालाँकि, दिल्ली जिले में पुलिस बल की कमान एक अधीक्षक और एक उप-अधीक्षक के हाथों में थी। उस समय पुलिस बल में दो निरीक्षक, 27 उप-निरीक्षक, 110 हेड कांस्टेबल, 985 पैदल कांस्टेबल और 28 सवार शामिल थे। शहर में ग्रामीण पुलिस दो निरीक्षकों के अधीन थी। उसका मुख्यालय क्रमशः सोनीपत और बल्लभगढ़ में था और उसमें 10 पुलिस स्टेशन थे। इसके अतिरिक्त वहां 7 चौकियां और चार 'सड़क चौकियां' भी थीं।

ये थे शहर के बड़े पुलिस स्टेशन

उस वक्त शहर में तीन बड़े पुलिस स्टेशन थे। ये थे कोतवाली, सब्जी मंडी और पहाड़गंज। सिविल लाइंस में विशाल पुलिस बैरक थे, जहाँ रिजर्व, सशस्त्र रिजर्व और रंगरूटों को रखा जाता था। ये आजादी से पहले का दौर था। जब देश आजाद हुआ तो दिल्ली पुलिस को भी पुनर्गठित करने की जरूरत महसूस हुई, क्योंकि बड़ी संख्या में शरणार्थी आए और लोगों की समस्याएं और परिस्थितियां बदली। ऐसे में क्राइम का ग्राफ भी बढ़ा। 

आजादी के बाद (1947) दिल्ली पुलिस का पुनर्गठन हुआ

1946 में दिल्ली पुलिस का पुनर्गठन किया गया, तब इसकी संख्या लगभग दोगुनी हो गई थी। विभाजन के बाद बड़ी संख्या में शरणार्थी आए और 1948 में अपराध में बहुत तेज़ी से वृद्धि हुई। 16 फ़रवरी 1948 को दिल्ली के पहले IGP की नियुक्ति की गई और 1951 तक दिल्ली पुलिस की कुल संख्या बढ़कर लगभग 8,000 हो गई, जिसमें एक पुलिस महानिरीक्षक और आठ पुलिस अधीक्षक शामिल थे। 1956 में पुलिस उप महानिरीक्षक का पद बनाया गया। दिल्ली की आबादी बढ़ने के साथ-साथ दिल्ली पुलिस की संख्या भी बढ़ती गई और वर्ष 1961 में यह संख्या 12,000 से अधिक हो गई।

1966 में दिल्ली पुलिस आयोग का गठन हुआ

करीब 20 सालों के बाद दिल्ली पुलिस को फिर पुनर्गठित किया गया। 1966 में सरकार ने दिल्ली पुलिस के समक्ष आने वाली समस्याओं पर विचार करने के लिए न्यायमूर्ति जी.डी. खोसला की अध्यक्षता में दिल्ली पुलिस आयोग का गठन किया। ऐसा तीसरी बार हुआ, जब दिल्ली पुलिस का पुनर्गठन किया गया। 1 जनवरी 1976 में नए साल के पहले दिन दिल्ली पुलिस मुख्यालय आईटीओ शिफ्ट हुआ था। इस बहुमंजिला इमारत में करीब 45 साल से पुलिस हेडक्वॉर्टर था।

 

1978 में कमिश्नरेट की शुरुआत 

तब चार पुलिस जिले उत्तर, मध्य, दक्षिण और नई दिल्ली का गठन किया गया। दिल्ली पुलिस आयोग ने पुलिस आयुक्त प्रणाली की शुरुआत की भी सिफारिश की, जिसे 1 जुलाई, 1978 से अपनाया गया। दिल्ली की जनसंख्या और पुलिस व्यवस्था की समस्याएं लगातार बढ़ती रहीं और श्रीवास्तव समिति की सिफारिशों के बाद, दिल्ली पुलिस की संख्या बढ़ाकर वर्तमान 76000 से अधिक कर दी गई। वर्तमान में दिल्ली में 6 रेंज, 15 जिले और 209 पुलिस स्टेशन हैं।आज दिल्ली पुलिस शायद दुनिया की सबसे बड़ी महानगरीय पुलिस है, जो लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क और टोक्यो से भी बड़ी है। इस वक्त दिल्ली पुलिस का मुख्यालय जय सिंह रोड पर है, जब कि दिल्ली पुलिस का पहला हेडक्वॉर्टर कश्मीरी गेट में एक छोटी सी इमारत में बनाया गया। इसकी स्थापना 16 फरवरी 1948 को हुई। इसके बाद दिल्ली पुलिस का मुख्यालय अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट हुआ। इस वक्त दिल्ली पुलिस की स्वीकृत संख्या करीब 83,762 है।

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