दिल्ली में फर्जी नियुक्ति पत्र वाले गैंग का खुलासा, मंत्रालयों के फर्जी नियुक्ति पत्र देकर करते थे ठगी
Delhi Crime News: केंद्रीय मंत्रालयों सहित सरकारी निकायों के फर्जी नियुक्ति पत्र देकर लोगों को ठगने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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Delhi Big Crime News: केंद्रीय मंत्रालयों सहित सरकारी निकायों के फर्जी नियुक्ति पत्र देकर लोगों को ठगने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गुजरात के नर्मदा जिले के निवासी खत्री इकबाल अहमद (50) और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के निवासी हिमांशु पाण्डेय (35) ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के बोर्ड में नियुक्ति के बहाने नामी लोगों से ठगी की।
पुलिस के अनुसार, मामला तब सामने आया जब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में अवर सचिव चंदन कुमार ने मंत्रालय के नाम पर किसी के फर्जी नियुक्ति पत्र की शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने अपनी शिकायत में मंत्रालय द्वारा कथित रूप से जारी एक नियुक्ति पत्र की प्रति भी लगाई। पुलिस ने बताया कि पत्र में कहा गया कि एनएमसी के अध्यक्ष सुरेश चंद्र शर्मा का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो गया और गुजरात आयुर्विज्ञान परिषद के सदस्य डॉ सुरेश के. पटेल को एनएमसी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है तथा वह तीन अप्रैल से 10 अप्रैल तक अपना पदभार ग्रहण कर सकते हैं।
क्राइम ब्रांच ने किया खुलासा
कुमार ने पुलिस को बताया कि उपरोक्त पत्र में उल्लिखित ऐसा कोई आदेश मंत्रालय द्वारा जारी नहीं किया गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नियुक्ति पत्र फर्जी था। विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने बताया कि जांच के बाद पुलिस ने अहमद को गुजरात के वड़ोदरा से गिरफ्तार किया।
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यादव ने बताया कि पूछताछ के दौरान अहमद ने खुलासा किया कि वह पाण्डेय के लिए काम करता था। उन्होंने कहा कि अहमद के साथ एक टीम लखनऊ गई और पाण्डेय को चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से पकड़ लिया। पुलिस ने बताया कि पाण्डेय ने कबूल किया कि वह अहमद और अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर फर्जी सरकारी नौकरी का गिरोह चलाता था तथा 2021 में, गुजरात की राजकोट पुलिस की जिला अपराध शाखा द्वारा सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर धोखाधड़ी और फर्जी नियुक्ति पत्र के मामले में इन लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
फर्जी नियुक्ति पत्र के मामले में दो गिरफ्तार
पुलिस ने बताया कि पाण्डेय पिछले साल जेल से जमानत पर बाहर आया। अधिकारियों ने कहा कि जेल से बाहर निकलने के बाद उसने बड़े लक्ष्यों को अंजाम देने का फैसला किया और अपने सहयोगियों के साथ नामी लोगों को विभिन्न आयोगों में उच्च पदों पर नियुक्त करने के प्रस्तावों के साथ ठगने की साजिश रची।
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पुलिस के अनुसार, कानून में स्नातक पाण्डेय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली आया था। दिल्ली में रहने के दौरान उसकी मुलाकात कोलकाता के एक व्यक्ति राजू से हुई, जिसने उसे बताया कि वह फर्जी नौकरी दिलाने का एक गिरोह चलाता है और पाण्डेय को अपने साथ काम करने के लिए राजी किया।
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कई राज्यों में फैला है जाल
अधिकारियों ने कहा कि पाण्डेय ने उसके साथ काम करना शुरू किया और कुछ समय बाद जब राजू की मौत हो गई तो उसने अपना खुद का फर्जी नौकरी गिरोह शुरू किया। पुलिस ने बताया कि वड़ोदरा का कपड़ा विक्रेता अहमद अकसर दिल्ली के करोल बाग आया करता था और एक बार जब वह दिल्ली में पाण्डेय से मिला तो उसके गिरोह में शामिल हो गया।
(PTI)
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