Crime : दरोगा मोना यादव की 2 साल पहले ही हुई थी दिल्ली में हत्या, कंकाल का DNA मैच, दिल्ली पुलिस का सिपाही ही मास्टरमाइंड
Delhi Crime : दिल्ली पुलिस के सिपाही सुरेंद्र राणा कत्ल का मास्टरमाइंड. मोना यादव का किया था मर्डर. अब DNA से मौत की पुष्टि.
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![Crime : दरोगा मोना यादव की 2 साल पहले ही हुई थी दिल्ली में हत्या, कंकाल का DNA मैच, दिल्ली पुलिस का सिपाही ही मास्टरमाइंड Delhi Mona Murder Mystery Story : दिल्ली में लेडी पुलिस मोना की मर्डर की पूरी कहानी](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/crtak/images/story/202312/1703597782660_wfergtrh_converted_16x9.jpg?size=948:533)
Delhi Murder : दिल्ली पुलिस को वो क्रिमिनल जिसने मर्डर के बाद भी एक महिला दरोगा को 2 साल तक जिंदा रखा था. अब उसमें नया खुलासा हुआ है. वाकई उस महिला दरोगा की 2 साल पहले ही मौत हो गई थी. अब इसकी पुष्टि डीएनए रिपोर्ट से हुई थी. बता दें कि दिल्ली के बुराड़ी थाना क्षेत्र के नाले से महिला का कंकाल मिला था. ये कंकाल उत्तर प्रदेश पुलिस की महिला सब-इंस्पेक्टर मोनिका उर्फ मोना यादव का था. अब इस कंकाल के मोनिका यादव के ही होने की पुष्टि हुई है क्योंकि इसका डीएनए मोनिका की मां से मैच कर गया है. दिल्ली पुलिस ने मोनिका यादव का डीएनए केंद्रीय जांच ब्यूरो की लोधी कॉलोनी स्थित स्पेशल फोरेंसिक लैब (सीएफएसएल) को भेजा था. क्या है मोना यादव की मर्डर मिस्ट्री, आइए जानते हैं.
दिल्ली में लेडी पुलिस मोना की मर्डर मिस्ट्री की पूरी कहानी
Delhi Women Police Murder Story : दिल्ली में एक महिला सिपाही मोना की मर्डर मिस्ट्री. कातिल खुद दिल्ली पुलिस का हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र राणा निकला. कत्ल के बाद बनाई ऐसी कहानी की जांच करने वाली पुलिस खुद ही उसमें उलझ गई. आखिर क्यों एक पुलिसवाले ने महिला पुलिस का कत्ल किया. एक पुलिसवाला दो साल तक एक मुर्दा को जिंदा बनाने के लिए गजब की कहानी बनाता रहा. वो महिला सिपाही मर चुकी थी लेकिन उसकी आवाज में ऑडियो कहानी अब भी उसके घरवालों को पहुंचाई जाती थी. वो मर चुकी थी लेकिन फिर भी उसे कोरोना की वैक्सीन भी लगाई गई. वो मर चुकी थी लेकिन पहाड़ों की वादियों में घूमती मिलती थी और होटल में रुकती थी. आखिर ये सब कैसे होता था. इसके पीछे आखिर कौन सी रियल कहानी बनाई जाती थी. पूरी कहानी जानेंगे तो बड़ी से बड़ी फिल्मी मर्डर मिस्ट्री की कहानी भी इसके सामने फेल नजर आएगी. मगर इस मिस्ट्री में एक फोटो कैसे कातिल का सुराग दे दिया. आइए जानते हैं दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल के कातिल बनने की पूरी कहानी.
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वो मुर्दा लेडी पुलिस को 2 साल तक जिंदा रखा
Delhi Mona Murder Mystery : अमूमन जब किसी का कत्ल होता है, तो कातिल को पकड़ने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। लेकिन जब एक पुलिस वाला ही कत्ल कर दे, तो फिर उसे कौन पकड़े? ये दिल्ली के उसी चर्चित बुराड़ी इलाके का एक गंदा नाला है, जिस बुराड़ी में एक ही घर के अंदर 11 लोगों ने खुदकुशी कर ली थी। इस वक्त इस नाले में एक तलाश चल रही है। एक ऐसी तलाश, जो दो साल पहले हुए एक सनसनीखेज कत्ल का राज उगलने वाली है।
कत्ल... दिल्ली पुलिस की एक लेडी कांस्टेबल का जिसके राज को दिल्ली पुलिस के ही एक हेड कांस्टेबल ने पूरे दो साल तक अपनी पुलिसिया दिमाग के सहारे पूरी दुनिया से छुपाए रखा। इस कत्ल को छुपाने के लिए उसने वो सबकुछ किया, जो किसी कत्ल को उजागर करने के लिए पुलिस करती है। ये पुलिसिया दिमाग ही था, जिसने इस एक कत्ल पर पूरे दो सालों तक पर्दा डाले रखा। इन दो सालों में एक पुलिस वाले ने मुर्दा लेडी कांस्टेबल को जिंदा साबित करने की हर मुमकिन कोशिश की। दो साल तक अपनी कोशिश में एक तरह से वो कामयाब भी रहा। लेकिन अब दो साल बाद दिल्ली के बुराड़ी इलाके के जिस नाले से ये कहानी शुरू हुई थी, उसी नाले पर आकर खत्म हुई।
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बुलंदशहर की रहने वाली मोना यादव बनना चाहती थी IPS
Mona Delhi Crime Story : ये कहानी है दिल्ली पुलिस की लेडी कांस्टेबल मोना यादव और दिल्ली पुलिस के ही हेड कांस्टेबल सुरेंद्र राणा की। बुलंदशहर की मोना यादव ने 2014 में दिल्ली पुलिस ज्वाइन किया था। बतौर कांस्टेबल। इससे दो साल पहले 2012 में सुरेंद्र सिंह राणा ने दिल्ली पुलिस ज्वाइन किया था। सुरेंद्र पीसीआर वैन का डाइवर हुआ करता था। बाद में सुरेंद्र और मोना की तैनाती पुलिस कंटोल रूम में हो गई। और यहीं दोनों की पहली मुलाकात हुई। धीरे-धीरे मुलाकात दोस्ती में बदल गई।
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मोना पढ़ने लिखने में बेहद तेज थी। उसका सपना आईपीएस अफसर बनने का था। ड्यूटी के बाद वो लगातार यूपीएससी की तैयारी भी किया करती थी। इसी तैयारी के दौरान उसने यूपी पुलिस की भी परीक्षा दी। परीक्षा में पास कर वो सीधे सब इंस्पेक्टर बन गई। सब इंस्पेक्टर बनते ही मोना ने दिल्ली पुलिस से इस्तीफा दे दिया। लेेकिन उसने यूपी पुलिस ज्वाइन करने की बजाय यूपीएससी की तैयारी करने का फैसला किया। इसी तैयारी के लिए अब मुखर्जी नगर में एक पीजी में रहने लगी। तैयारी की वजह से अब सुरेंद्र और मोना में कम मुलाकात हुआ करती थी। मोना अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगा रही थी।
उधर, मोना के सब इंस्पेक्टर बनने और फिर उसकी यूपीएससी की तैयारी के चलते अब परेशान रहने लगा था। मोना की तैयारी को देखते हुए उसे लगने लगा था कि वो पक्का IPS अफसर बनेगी। इसीलिए अब मोना पर शादी के लिए दबाव डालने लगा। हालांकि वो खुद पहले से शादीशुदा था। मोना लगातार शादी से इनकार कर रही थी। उसका पूरा लक्ष्य UPSC के इम्तेहान पर था।
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2021 में शादी की बात पर झगड़ा, फिर हुआ कत्ल
8 सितंबर 2021 को सुरेंद्र और मोना में शादी की बात को लेकर एक बार फिर झगडा हुआ। तब दोनों सुरेंद्र की कार में थे। झगडे के दौरान सुरेंद्र अपनी कार बुराडी की तरफ ले गया। वो खुद अलीपुर रहता था। बुराडी में पुश्ते के करीब एक सुसनसान जगह पर गाडी रोक कर उसने गुस्से में मोना का गला दबा दिया। कार में ही मोना की मौत हो गई। कत्ल के बाद उसने उसी पुश्ता इलाके की इसी गंदे नाले में मोना की लाश डाल दी। तब इस नाले में इतना पानी नहीं था। उसने लाश डालने के बाद उस पर मिट्टी डाली और फिर वजनी पत्थर रख दिए। मगर इससे पहले वो मोना के मोबाइल उसका आधार कार्ड उसका एटीएम सबकुछ अपने पास रख लिया।
इधर वारदात के कई दिनों बाद तक जब घरवालों की मोना से बात नहीं हुई, तो उन्होंने मोना को ढूंढना शुरू किया। चूंकि हेड कांन्स्टेबल सुरेंद्र कई बार मोना के घर भी जा चुका था। इसलिए उसके घरवाले उसे जानते थे। ऊपर से वो पुलिस वाला था। तो मोना के घरवालों ने सुरेंद्र से ही मोना को ढूंढने की गुजारिश की। इसके बाद खुद सुरेंद्र मोना के घरवालों के साथ मुखर्जी नगर थाने गया। वहां उसने मोना की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई। इतना ही नहीं, घरवालों को यकीन दिलाने के लिए वो दिल्ली पुलिस के आला अफसरों के पास भी मोना के घरवालों को लेकर गया। लेकिन मोना का कोई पता नहीं चल रहा था। फिर एक रोज अचानक सुरेंद्र ने मोना के घरवालों को बताया कि वो किसी अरविंद नाम के लडके के साथ चली गई है। शायद दोनों ने शादी भी कर ली है।
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फर्जी नंबर से मोना के घरवालों को फोन कर कहता था वो जिंदा है
मोना के घरवालों को यकीन दिलाने के लिए सुरेंद्र कई बार दूसरे नंबर से मोना के घर फोन करता। पर फोन पर आवाज मोना की होती। वो कहती, मैं ठीक हूं। परेशान ना हों। घरवाले बेफिक्र हो जाते। पर असल में होता ये कि सुरेंद्र के पास मोबाइल में मोना के कई ऑडियो मौजूद थे। इन्हीं ऑडियो को वो एडिट कर रिकॉर्डेड बातचीत मोना के घरवालों को सुना देता। तब मोना के घरवालों को तसल्ली हो जाती और वो यही सोचते कि वो जहां भी है, ठीक है। पर दो चार ऑडियो मैसेज ही सुरेंद्र कितनी बार घरवालों को सुनाता? लिहाजा मोना को जिंदा रखने के लिए उसने दूसरा तरीका अपनाया।
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सुरेंद्र ने अब अपने साले रविन को भी इस साजिश में शामिल कर लिया। मोना के अरविंद के साथ भाग कर शादी करने की बात, सुरेंद्र पहले ही मोना के घरवालों को बता चुका था। अब उसने अपने साले को अरविंद बना कर मोना के घरवालों से फोन पर बात करवानी शुरू कर दी। फर्जी अरविंद हमेशा फोन पर मोना के घरवालों को यही कहता कि दोनों ने शादी कर ली है, लेकिन उसके घरवाले उसे धमकी दे रहे हैं। इसीलिए वो अलग-अलग शहरों में भटक रहा है। लेकिन जब घरवाले मोना से बात कराने की बात कहते, तो वो कहता कि अभी वो डरी हुई है। बाद में बात करेगी। ये सिलसिला भी काफी दिनों तक चला।
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लेकिन सुरेंद्र दिल्ली पुलिस में था। पुलिसिया दिमाग को वो अच्छे सा जानता था। उसे लगा कि इस फर्जी अरविंद वाली कहानी से भी बहुत दिनों तक मोना के घरवालों को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। 2021-22 में देश कोरोना से जूझ रहा था। लोगों ने एक दूसरे से दूरी बना रखी थी। इस दूरी का फायदा भी सुरेंद्र ने उठाया। मोना के जिंदा होने का यकीन दिलाने के लिए सुरेंद्र ने अब एक नया पैंतरा अपनाया। मोना के आधार कार्ड पर किसी और लडकी को ले जाकर उसने कोरोना का वैक्सीन लगवा दिया। इस वैक्सीन के सर्टिफिकेट को भी उसने मोना के घर भिजवा दिया। सर्टिफिकेट पर साल और महीना दर्ज था। घरवालों को लगा कि चलो बेशक मोना गुम है, लेकिन जिंदा है। लेकिन सुरेंद्र का पुलिसिया दिमाग अब भी काम कर रहा था।
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उसे मालूम था कि हर थोडे दिनों में मोना के जिंदा होने का सबूत घरवालों को देते रहना जरूरी है। इसके लिए भी उसने एक नया तरीका अपनाया। मोना का आधार कार्ड पहले से ही उसके पास था। 2021-22 में कोरोना का कहर जारी था। दो गज की दूरी और मास्क जरूरी था। सुरेंद्र ने इस मास्क का भी फायदा उठाया। उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब के कई होटलों में उसने अलग-अलग कॉल गर्ल को रुकने के लिए भेजा। होटल में एंट्री के लिए आईडी कार्ड के तौर पर हर जगह उन लड़कियों ने मोना का आधार कार्ड ही दिया। अलग-अलग होटलों में मोना के नाम पर दूसरी लड़कियों को ठहराने के बाद सुरेंद्र खुद इस बात की जानकारी मोना के घरवालों को देता। वो बताता कि उसके मुखबिरों के पता चला है कि मोना इन इन शहरों के होटलों में रुकी थी।
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फिर वो मोना के घरवालों को लेकर खुद भी उन होटलों में जाता। वहां रजिस्टर चेक करता। नाम और शिनाख्ती कार्ड चेक करता। घरवाले भी देखते कि आधार कार्ड तो मोना का ही है। पर इस अफसोस के साथ लौट आते कि यहां पहुंचने में जरा सी देरी हो गई। वरना मोना मिल जाती। लेकिन ऐसा करके सुरेंद्र अब भी लगातार मोना को जिंदा रखे हुए था।
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पुलिस कमिश्नर के आदेश पर दिल्ली क्राइम ब्रांच ने शुरू की जांच
Delhi Crime Story : मोना के गायब हुए 2 साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका था। अब 2023 आ चुका था। आधा साल बीत चुका था। और मोना को गायब हुए पूरे दो साल। मोना के घरवालों, खास कर उसकी बहन को अब शक होने लगा। उसे लगा कि अगर उसने अपनी मर्जी से भाग कर शादी भी कर ली। तो अब तो दो साल हो गए। सब कुछ सेटल हो गया होगा। फिर वो क्यों सामने नहीं आ रही है? बहन को लगा कि कुछ ना कुछ गडबड है। और इसी के बाद मोना के घरवालों ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से मिलने का फैसला किया। पुलिस कमिश्नर ने पूरी कहानी सुनने के बाद क्राइम ब्रांच को मोना को तलाशने की जिम्मेदारी सौंपी। दो महीने पहले क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच शुरू की।
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लेडी पुलिस मोना के मर्डर का एक फोटो ने ऐसे खोला राज
Mona Murder Mystery : क्राइम ब्रांच ने सबसे पहले मोना के घरवालों से ही पूछताछ की। तब पता चला कि मोना की गुमशुदगी के बाद कई बार अलग-अलग नंबरों से अरविंद नाम के एक शख्स का फोन आता था। और वो ये बताता था कि उसने मोना से शादी कर ली है और दोनों को ठीक हैं। पुलिस ने अब उन नंबरों को खंगालने का फैसला किया। जांच के दौरान पता चला कि जिन नंबरों से कॉल किए गए थे, वो सभी सिम फर्जी आईडी कार्ड पर लिए गए थे। ऐसी ही एक फर्जी आईडी वाले सिम कार्ड के फॉर्म पर एक तस्वीर चिपकी थी। इस फॉर्म पर नाम तो किसी और का था, लेकिन फोटो राजपाल नाम के एक शख्स की चिपकी थी। पुलिस ने जब फॉर्म पे चिपकी इस तस्वीर को मोना के घरवालों को दिखाया, तो उन्होंने उसकी पहचान राजपाल के तौर पर की। मोना के घरवालों ने बताया कि राजपाल एक दो बार हवलदार सुरेंद्र राणा के साले रविन के साथ उनके घर आया था। और वो रविन का दोस्त है। ये पता चलते ही पुलिस ने सबसे पहले राजपाल को दबोचा। फिर राजपाल के बाद सुरेंद्र के साले रविन को।
अब इन दोनों से जब पूछताछ हुई, तो थोडी ही देर में दोनों टूट गए। दोनों ने कहा कि उनकी कोई गलती नहीं है। उन्होंने कोई कत्ल नहीं किया है। ये सबकुछ सुरेंद्र ने किया है। पहली बार इन दोनों ने ही बताया कि जिस मोना को दो साल से खुद सुरेंद्र और दिल्ली पुलिस ढूंढ रही है वो तो दो साल पहले ही मर चुकी है। उसका कत्ल किसी और ने नहीं बल्कि खुद सुरेंद्र ने किया है। इन दोनों के खुलासे के बाद अब दिल्ली पलिस अपने ही महकमे के हेड कांस्टेबल यानी हवलदार सुरेंद्र सिंह राणा को गिरफ्तार करती है। सुरेंद्र का साला और साले का दोस्त राजपाल पहले ही कहानी उगल चुके थे। अब सुरेंद्र की बारी थी।
सुरेंद्र सबसे पहले दिल्ली पुलिस को अपने साथ बुराडी के पुश्ता इलाके में मौजूद इस नाले के करीब ले जाता है। पुलिस वाले अपने साथ कुछ सफाई कर्मचारी भी ले कर आए थे। अब नाले में तलाश शुरू होती है। थोड़ी ही देर की मशक्कत के बाद अचानक नाले की गहराई से एक वजनी पत्थर के नीचे दबा एक कंकाल बाहर निकलता है। कंकाल ठीक उसी जगह से बाहर निकलता है, जिस जगह पर सुरेंद्र ने इशारा किया था। कंकाल को अस्पताल भेज दिया जाता है। इसके बाद मोना के घरवालों से डीएनए सैंपल लिए जाते हैं। अब नाले से बरामद कंकाल और मोना के घरवालों के डीएनए सैंपल की जांच होनी है। और ये जांच ये साफ कर देगी कि नाले से बरामद कंकाल मोना की ही है।
8 सितंबर 2021 को सुरेंद्र ने मोना का कत्ल किया था। और इतेफाक देखिए कि ठीक दो साल बाद 30 सितंबर 2023 को दिल्ली पुलिस ने मोना के कत्ल की पहेली को सुलझा लिया। हालांकि, मोना का कत्ल बेशक 8 सितंबर 2021 को हुआ था, लेकिन उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट 20 अक्टूबर 2021 को मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन में लिखाई गई थी। अगर मुखर्जी नगर पुलिस उसी वक्त इस मामले को गंभीरता से लेती, तो मुर्दा मोना अगले दो साल तक जिंदा ना रहती। वो भी तब जबकि मोना खुद दिल्ली पुलिस की एक कांस्टेबल थी। अपने ही महकमे की एक पुलिस वाली की गुमशुदगी पर दिल्ली पुलिस का ये रवैया सवाल खड़े करते है। सवाल ये कि कि जब अपनों के साथ ये हाल है, तो फिर आम लोगों की शिकायत गलत नहीं है।
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