Delhi Jal Board Corruption: दिल्ली जल बोर्ड का सबसे बड़ा घोटाला! और होंगी गिरफ्तारियां - एसीबी चीफ

ADVERTISEMENT

Delhi Jal Board Corruption: दिल्ली जल बोर्ड का सबसे बड़ा घोटाला! और होंगी गिरफ्तारियां - एसीबी चीफ
Delhi Jal Board Corruption
social share
google news

Delhi Jal Board Corruption: कैसे हुआ दिल्ली जल बोर्ड में घोटाला?  जिम्मेदार अधिकारियों और दूसरे लोगों को कब किया जाएगा गिरफ्तार?  क्या होगी और गिरफ्तारियां? क्या नेताओं को नहीं पता था घोटाला का? ये ऐसे सवाल है, जिनका जवाब आने वाले वक्त में मिलेगा या नहीं, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। ACB के चीफ मधुर वर्मा ने बताया कि जैसे जैसे सबूत सामने आएंगे, वैसे-वैसे कार्रवाई होगी। आने वाले वक्त में कुछ और गिरफ्तारियां संभव है। दिल्ली जल बोर्ड में हुआ घोटाला अब चर्चा का विषय बना हुआ है। आपको बताते है क्या है जल बोर्ड  का घोटाला?

दिल्ली जल बोर्ड दिल्ली सरकार के अधीन है। किसके कार्याकाल में घोटाला हुआ ?, इसकी जांच जारी है, लेकिन अभी इस पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। ये भ्रष्टाचार शीला दीक्षित सरकार के समय का है.

दिल्ली की 2 करोड़ जनता को पानी दिल्ली जल बोर्ड के मार्फत मिलता है। कई ऐसे भी घर है, जहां टैंकरों के मार्फत पानी पहुंचता है तो कहीं जगहों पर पाइप लाइन के जरिए पानी मिलता है। ज्यादातर जगहों पर पानी की पाइप लाइनें हैं, जिसके जरिए राजधानी वासियों को पानी मिलता है। कई ट्रीटमेंट प्लांट्स के जरिए ये पानी शुद्ध होकर राजधानी वासी पीते हैं। जल बोर्ड इसके लिए पैसे लेता है।

ADVERTISEMENT

अब आपको बताते है कि आखिर ये घोटाला है क्या ?  ये घोटाला है पानी के बिल को लेकर। ये घोटाला करीब 20 करोड़ रुपए का है। दिल्ली जल बोर्ड में पानी के बिल के भुगतान में हुई 20 करोड़ की हेराफेरी के मामले की एसीबी ANTI CORRUPTION BRANCH कर रही है।

गिरफ्तार आरोपी नरेश सिंह

पिछले साल दर्ज हुआ था मुकदमा

ADVERTISEMENT

इस मामले में एसीबी ने पिछले साल दिसंबर में केस दर्ज किया था। एसीबी ने जल बोर्ड के ज्वॉइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को घोटाले में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उनसे पहले एसीबी ने तीन और लोगों को गिरफ्तार किया था।

ADVERTISEMENT

बीते हफ्ते एसीबी ने जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, उनमें राजेंद्र नायर (ऑरम ई-पेमेंट का मालिक और डायरेक्टर), गोपी कुमार केडिया (ऑरम ई-पेमेंट का सीएफओ) और अभिलाष पिल्लई (फ्रेश पे सॉल्यूशन का डायरेक्टर और ऑरम ई-पेमेंट का अथॉराइज सिग्नेटरी) शामिल थे।

एसीबी ने तीन दिन तक रिमांड में लेकर इन तीनों आरोपियों से पूछताछ की थी। इसके बाद ही दिल्ली जल बोर्ड के ज्वॉइंट डायरेक्टर नरेश सिंह को गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तार बाकी आरोपी

ये है जल बोर्ड का घोटाला!

ये पूरा मामला पानी के बिल के भुगतान से जुड़ा है। दरअसल, लोग आसानी से पानी के बिल को जमा कर सकें, इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) को बिल कलेक्शन का जिम्मा सौंपा। कॉर्पोरेशन बैंक ने 2012 में तीन साल के लिए फ्रेश पे सॉल्यूशन के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट किया। कॉन्ट्रैक्ट के तहत दिल्ली जल बोर्ड के सभी दफ्तरों में ई-कियोस्क मशीनें लगनी थीं, ताकि लोग चेक या कैश के जरिए पानी का बिल जमा कर सकें। 2015 तक फ्रेश पे सॉल्यूशन का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया था।

एसीबी चीफ मधुर वर्मा 

फ्रेश पे सॉल्यूशन ने ये ठेका ऑरम ई-पेमेंट को दे दिया। ऑरम ई-पेमेंट के पास ठेका 2016 से लेकर 2019 तक रहा। अक्टूबर 2019 में ये कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया था, लेकिन इसके बावजूद मार्च 2020 तक ऑरम ई-पेमेंट पैसा वसूलती रही। आखिर क्यों?

यहां कई सवाल और उठते हैं -

सवाल ये उठता है कि किस आधार पर 2012 में दिल्ली जल बोर्ड ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को बिल कलेक्शन का जिम्मा सौंपा?

जल बोर्ड और बैंक के बीच लेन-देन को लेकर क्या डील हुई?

इसके लिए किन-किन पेरामीटरों का ध्यान रखा गया?

बैंक ने  फ्रेश पे सॉल्यूशन को 2012 में किस बेस पर ठेका दिया?

इसकी एवज में बैंक फ्रेश पे सॉल्यूशन को कितने रुपए प्रति बिल का भुगतान कर रहा था? यानी दोनों में डील क्या हुई थी ?

फ्रेश पे सॉल्यूशन को ई-कियोस्क मशीनें लगानी थी। इसकी कितनी कोस्ट आई? बिल भुगतान के लिए ये ही तरीका क्यों अपनाया गया?

फ्रेश पे सॉल्यूशन ने ये ठेका ऑरम ई-पेमेंट को 2015 में क्यों दिया?

यानी तीन सालों तक ऑरम ई-पेमेंट पैसा वसूलती रही, जब कि ठेका तो 2019 में खत्म हो गया था।

जब ऑरम ई-पेमेंट का ये कॉन्ट्रैक्ट 2019 में खत्म हो गया था तो फिर 2022 तक ये पैसा क्यों वसूलती रही?

इसके पीछे कौन-कौन से अधिकारी शामिल थे?

क्या अधिकारियों ने ऑरम ई-पेमेंट और फ्रेश पे के डायरेक्टर्स से लाखों रुपये की रिश्वत ली?

क्या अधिकारियों ने ऑरम और फ्रेश पे के साथ होने वाली बिल पेमेंट का मिलान नहीं किया, जबकि ये उनकी ड्यूटी थी?

पानी के मीटर के हिसाब से बिल लिया जाना चाहिए था, लेकिन इस केस में किस तरह से ऑरम ई-पेमेंट और फ्रेश पे को फायदा पहुंचा।

कायदे से पानी के बिल का पैसा दिल्ली जल बोर्ड को मिलना चाहिए था। दिल्ली जल बोर्ड डील के मुताबिक कंपनी को पैसा दे रहा था और बिल के पैसे इकट्ठा कर रहा था, लेकिन बीच में अधिकारियों और कंपनियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार हुआ।

क्या पानी के बिल में गड़बड़ी हुई?

क्या मीटरों में छेडछाड़ हुई?

क्या कमर्शियल मीटर के बदले Residential मीटर के पैसे लिए गए

ये आरोप है नरेश सिंह पर?

नरेश सिंह पर आरोप है कि उसने ऑरम ई-पेमेंट और फ्रेश पे के डायरेक्टर्स से लाखों रुपये की रिश्वत ली। ये भी आरोप है कि उन्होंने ऑरम और फ्रेश पे के साथ होने वाली बिल पेमेंट का मिलान नहीं किया, जबकि ये उनकी ड्यूटी थी। 2015 में जब पहली बार ठेका बढ़ाया गया था, तब से उन्होंने ई-कियोस्क से बिल पेमेंट की वसूली के ठेके को 2020 तक साल दर साल बढ़ाने में फ्रेश पे की मदद की।

सवाल ये भी है कि इतने दिनों तक ये घोटाला सामने क्यों नहीं आया?  

दाल में कुछ काला है या फिर पूरी दाल काली है, इसका पता तो जांच के बाद होगा, लेकिन ऐसा संभव नहीं है कि सिर्फ अधिकारी और कंपनी के कुछ लोग ये घोटाला करते आ रहे हो और किसी को भनक तक नहीं लगी। इस मामले की गहनता से जांच होगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    यह भी पढ़ें...

    ऐप खोलें ➜