दिल्ली के अस्पताल में गैंगवॉर, बदमाशों ने बेड पर लेटे मरीज को मारी गोलियां, मरना था किसी और को मर गया कोई और

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दिल्ली के अस्पताल में गैंगवॉर, बदमाशों ने बेड पर लेटे मरीज को मारी गोलियां, मरना था किसी और को मर गया कोई और
Gangster Hashim Baba
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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गैंगस्टर हाशिम बाबा ने दिल्ली में फैलाई दहशत

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दिल्ली के अस्पताल में दिन दहाड़े किया मर्डर

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जेल से रची गई मर्डर की प्लानिंग

Delhi GTB Hospital Murder: 1997 में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एक टीम ने दिल्ली के कनॉट प्लेस में सरेआम दो लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी थी। दावा था एनकाउंटर में यूपी के गैंगस्टर यासीन को मार गिराने का। हालांकि बाद में पता चला कि मरने वाले दोनों बेगुनाह बिजनेसमैन थे और उनका गैंगस्टर यासीन या उसके गैंग से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। आखिर में पुलिस को कबूलना पड़ा कि ये केस Mistaken identity का था। यानी मारना था किसी और को मगर मर गया कोई और। ठीक वैसी ही गलती एक बार फिर हुई है। फर्क ये कि इस बार गलती पुलिस से नहीं बल्कि बदमाशों से हुई है। दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में हुए इस शूटआउट के चर्चे पूरी दिल्ली में हो रहे हैं, लेकिन अब इस खूनी कांड के पीछे कहानी गैंगवॉर की निकल कर सामने आ रही है। ये गैंगवॉर है हाशिम बाबा और छेनू गैंग के बीच। 

नासिर-छेनू और हाशिम बाबा का भूत फिर मंडराने लगा

पहले आपको पूरी घटना बताते हैं। रविवार का दिन था। दिल्ली के गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल (GTB) में रियाजजुद्दीन नाम का एक मरीज भर्ती थी। जिस सर्जरी वार्ड में रियाजुद्दीन भर्ती था, उसके बेड के ठीक सामने घोषित बदमाश वसीम भी भर्ती था। रियाजुद्दीन 32 साल का था। वो श्रीराम कॉलोनी (खजूरी खास) का रहने वाला था। रियाजुद्दीन अपने पिता की मौत के बाद डिप्रेशन में चला गया था और नशा करने लगा था। पेट में इंफेक्शन की वजह से दो महीने पहले रियाजुद्दीन का जीटीबी अस्पताल में ऑपरेशन हुआ था। बाद में उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करा दिया गया था। मगर वहां उसके पेट में फिर दर्द उठने लगा। परिजनों को सूचना मिली तो वो रियाजुद्दीन को 23 जून को दोबारा जीटीबी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां उसे अस्पताल की चौथी मंजिल पर वार्ड नंबर 24 में भर्ती कराया गया। रियाजुद्दीन के परिवार में उसकी मां, पत्नी और दो बच्चे हैं। 

रविवार शाम 4 बजे की बात है। तीन बदमाश वार्ड नंबर 24 में अचानक आ धमके। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता उन्होंने रियाजुद्दीन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। ये देखकर अस्पताल में हड़कंप मच गया। जिसे जहां जगह मिली बचने के लिये छिप गया। वॉर्ड में भर्ती मरीज खासतौर पर सहमे हुए थे। उस वक्त रियाजुद्दीन की देखभाल उसकी बहन तरन्नुम कर रही थी। काम अंजाम देकर बदमाश हवा में हथियार लहराते हुए फरार हो गए। जाहिर है अचानक हुए इस हमले के दौरान न तो वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को जवाबी कार्रवाई करने का मौका मिला और न ही वो ऐसे किसी हमले से निपटने के लिये तैयार थे। बहरहाल जब तक पुलिस अस्पताल पहुंची तब तक रियाजुद्दीन की मौत हो चुकी थी। बदमाशों ने कुल सात राउंड गोलियां चलाईं थीं। जबकि पुलिस को मौके से पांच खोखे बरामद हुए। 

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गैंगवॉर से फैली आम लोगों में दहशत

जांच में पता चला कि दरअसल बदमाशों के निशाने पर वसीम था। वो रियाजुद्दीन के सामने वाले बेड पर लेटा था, मगर गलती से निशाना रियाजुद्दीन बन गया। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि गोली चलाने वाले बदमाशों से गलती कैसे हो गई? या फिर इस शूटिंग के पीछे कुछ और वजह है? बहरहाल पुलिस ने वसीम से पूछताछ शुरू की। इसी बीच दिल्ली पुलिस की एक टीम हलावरों को ट्रेस करने में जुट गई। वसीम, शास्त्री पार्क थाना इलाके में बदमाश घोषित है और 17 मामलों में आरोपी है। वसीम के परिवार का दावा है कि इस हमले के पीछे समीर बाबा नाम का वेलकम थाना क्षेत्र का बदमाश है। समीर बाबा ने वसीम की हत्या के लिये ही अपने गुर्गों को अस्पताल भेजा था। वसीम की पत्नी आफरीन का कहना है कि उसके पति की हत्या के लिए बदमाश दो बार पहले भी चुके हैं, लेकिन हमले का मौका ना मिल पाने की वजह से उन्हें वापस लौट जाना पड़ा। पुलिस के मुताबिक समीर, हाशिम बाबा के लिए ही काम करता है।

वसीम पर पहले भी हो चुका है हमला

समीर और वसीम की अदावात के पीछे एक खास वजह थी। दरअसल जेल में रहने के दौरान एक बार वसीम की वेलकम इलाके के बदमाश समीर बाबा से लड़ाई हो गई थी। आरोप है कि इसी दुश्मनी के चलते समीर बाबा के इशारे पर वसीम की हत्या का प्लान बनाया गया था। इससे पहले भी वसीम के मर्डर की कोशिश की गई थी, लेकिन वो किस्मत से बच गया था। इससे पहले एक साजिश के तहत वसीम को 12 जून के रोज वेलकम थाना क्षेत्र के शैतान चौक बुलाया गया था। यहां दो बदमाशों ने वसीम और उसके दोस्त आसिफ पर जानलेवा हमला किया था। वसीम को उस वक्त चार, आसिफ को तीन और फुटपाथ पर सो रहे दो लोगों को एक-एक गोली लगी थी। पुलिस ने इस मामले में आरोपी फैजान, मोहसिन और जुनैद को गिरफ्तार किया था। 

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बेगुनाह की मौत का जिम्मेदार कौन?

तभी से वसीम का इलाज जीटीबी अस्पताल में चल रहा था। हालांकि दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि चूंकि वसीम बदमाश है, लिहाजा पुलिस भी उसकी सुरक्षा को लेकर ज्यादा परेशान नहीं थी। मगर अस्पताल में फायरिंग की इस घटना ने दिल्ली पुलिस की टेंशन बढ़ा दी है, क्योंकि न सिर्फ इस केस में एक बेगुनाह मारा गया बल्कि दिल्ली के एक बड़े सरकारी अस्पताल में दिनदहाड़े फायरिंग कर मर्डर कर दिया गया। ऐसे में दिल्ली पुलिस पर सवाल उठना लाजमी है। 

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हाशिम नासिर के साथ करता है काम, जब कि वसीम छेनू गैंग से जुड़ा था

वसीम के खिलाफ हत्या की कोशिश, जबरन वसूली, झपटमारी और लूट के 17 मामले दर्ज हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस सिलसिले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अभी तक गोली चलाने वाला और इस शूटिंग का मास्टरमाइंड फरार है। लेकिन इस घटना ने दिल्ली में एक बार फिर गैंगवॉर की आशंका को जन्म दे दिया है। साथ-साथ पूरे North-East District इलाके में आम लोगों के बीच दहशत फैला दी है।  

Nexus तोड़ पाने में दिल्ली पुलिस नाकाम! 

गैंगस्टर हाशिम बाबा, नासिर और छेनू गैंग North-East District Police के लिए सिर दर्द बन गए हैं। आए दिन इनके गुर्गे एक-दूसरे पर हमला करते हैं। अब इस केस में मर्डर के मास्टरमाइंड फहीम उर्फ बादशाह खान की तलाश की जा रही है। फहीम, गैंगस्टर हाशिम बाबा का गुर्गा है। अस्पताल में भर्ती वसीम इरफान छेनू गैंग का सदस्य था। वहीं हमलवार हाशिम बाबा गैंग से ताल्लुक रखते थे। दोनों के बीच पुरानी दुश्मनी थी। एक थ्योरी ये भी है कि इस साल की शुरुआत में गैंगस्टर वसीम ने मंडोली जेल में बंद हाशिम बाबा को धमकी दी थी और उसके गुर्गे पर हमले की साजिश रची थी, जिसके बाद दोनों के बीच दुश्मनी पैदा हो गई। वसीम इस साल अप्रैल में ही बेल पर जेल से बाहर आया था। तभी से हाशिम बाबा के गुर्गे उसको मारने की प्लानिंग कर रहे थे। पुलिस का कहना है कि वसीम का हाशिम बाबा के राइट हैंड समीर बाबा के साथ भी झगड़ा हुआ था। 

हाशिम बाबा कौन है? हाशिम नासिर गैंग में हो गया था शामिल

हाशिम बाबा दिल्ली का गैंगस्टर है। वह पिछले चार साल से दिल्ली की मंडोली जेल में बंद है। उस पर हत्या और रंगदारी समेत कई संगीन मामले दर्ज हैं। वो अपना नेटवर्क जेल से ही चला रहा है। दिल्ली पुलिस ने उस पर 6 लाख का इनाम घोषित किया था। हाशिम बाबा को 2020 में एक एनकाउंटर के दौरान गिरफ्तार किया गया था। हाशिम का असली नाम आसिम है। वह बॉलीवुड स्टार संजय दत्त का बड़ा फैन है। उन्हीं की तरह अपना हेयरस्टाइल रखता है। उसने अपने नाम के आगे संजू बाबा की तरह बाबा भी लगाया हुआ है। हाशिम ने 2007 में क्राइम की दुनिया में कदम रखा था। दिल्ली के यमुनापार इलाके में उसने जुए का धंधा शुरू किया। और धीरे-धीरे उसका सट्टा का ये कारोबार चल पड़ा। 

हाशिम ने यमुनापार के बड़े गैंगस्टर अब्दुल नासिर के गैंग को जॉइन कर लिया और उसके साथ काम करने लगा। इसी बीच गैंग का लीडर नासिर एक केस में जेल चला गया। इसके बाद हाशिम बाबा ने नासिर के गैंग की कमान संभाल ली और खुद लीडर बन बैठा। कुछ समय बाद नासिर जेल से वापस आ गया। दोनों में फिर झगड़ा हुआ। कहा जाता है कि हाशिम का अपना एक अलग गैंग है, लेकिन ये भी कहा जाता है कि दोनों अब भी एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। नासिर 2020 के अक्टूबर महीने में अरेस्ट हुआ था। एक महीने बाद, यानी नवंबर के महीने में ही ‘हाशिम बाबा’ को एक एनकाउंटर में गिरफ्तार कर लिया गया। हाशिम तभी से दिल्ली की मंडोली जेल में बंद है। 

कौन है इरफान उर्फ छेनू ?

इरफान उर्फ छेनू पहलवान नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली का कुख्यात गैंगस्टर है। छेनू पहलवान इस वक्त मकोका के तहत तिहाड़ जेल में बंद है। छेनू पर हत्या, लूट, फिरौती समेत कई गंभीर मामले दर्ज हैं। छेनू पहलवान का गैंग मुख्य रूप से पूर्वी दिल्ली में एक्टिव है। जेल में बंद होने के बावजूद छेनू अपने गुर्गों के जरिये सट्टेबाजी, फिरौती और रंगदारी की वारदातों को अंजाम दे रहा है। छेनू की गैंगस्टर नीरज बवाना से भी करीबी है। छेनू पर जज के सामने कोर्ट में फायरिंग करने जैसे संगीन मामले भी दर्ज हैं। इस फायरिंग में एक हेड कॉनस्टेबल की मौत हो गई थी। मगर दोनों के बीच गैंगवॉर 2011 से चल रही है। 8 साल तक दोनों के बीच यह गैंगवॉर चली जिसमें कई बदमाश मारे गए। आखिरकार साल 2018 में दोनों गैंग के बीच समझौता हो गया, लेकिन वसीम के कत्ल के बाद ये समझौता भी खत्म हुआ माना जा सकता है। और जाहिर है इस समझौते के खत्म होने का मतलब दिल्ली में गैंगवॉर एक बार फिर से भड़क सकती है।

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