पहले भाई की मौत, अब मां-बाप गए जेल... इस बच्ची का क्या कसूर ? दिल्ली की ये कहानी सच में रुला देगी

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पहले भाई की मौत,  अब मां-बाप गए जेल... इस बच्ची का क्या कसूर ? दिल्ली की ये कहानी सच में रुला देगी
पुलिस ने बच्चे को बरामद किया
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हिमांशु मिश्रा के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट

Delhi Crime News: दिल्ली में एक बहन को 'भाई' को राखी बांधनी हैं, क्योंकि वो जिस भाई को राखी बांधती थी, उसकी मौत हो चुकी है। लिहाजा एक परिवार ने अपनी बच्ची की इस इच्छा को पुरा करने के लिए ऐसा कदम उठा लिया कि अब वो जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं। अभी तक बच्ची अपने भाई की मौत को लेकर सदमे में थी, लेकिन अब उसका दुख दो गुना हो गया है, क्योंकि उसके मां-बाप जेल पहुंच गए हैं।

ये मामला है दिल्ली के कोतवाली थाने का। 24 अगस्त को तड़के पुलिस को इत्तिला मिली कि एक महिला, जो कि विकलांग है, उसका बच्चा गायब हो गया है। महिला और उसके पति छत्ता रेल चौक स्थित फुटपाथ पर रहते हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि जब वो रात 3 बजे के आसपास उठे तो उन्होंने देखा कि एक महीने का उनका बच्चा प्रदीप गायब था। इस सिलसिले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया। जांच शुरू की।

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पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी चेक किए। करीब 400 सीसीटीवी चेक किए गए। इनमें से पुलिस को एक फुटेज मिली। इसमें एक मोटरसाइकिल संदिग्ध रूप से इलाके में घूमती नजर आई। इस पर दो लोग सवार थे, जिनमें एक महिला थी। इस मोटरसाइकिल का नंबर फुटेज में साफ नजर नहीं आ रहा था। आखिरकार कई घंटों की मशक्कत के बाद पुलिस को संदिग्ध बाइक का नंबर पता चल गया। फिर उसके मालिक का भी पता चला गया।

पता चला कि ये बाइक संजय गुप्ता नाम के आदमी की है और वो टेगौर गार्डन का रहने वाला है। पुलिस टीम उसके घर पहुंच गए और बच्चे को बरामद कर लिया।

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डीसीपी सागर सिंह कलसी के मुताबिक, पिछले साल आरोपी संजय गुप्ता के बेटे विशाल गुप्ता की मौत हो गई थी। उनकी 15 साल की बेटी अपने भाई के हाथ पर राखी बांधने की मांग रही थी, इसलिए उन्होंने एक लड़के का अपहरण करने का फैसला किया। परिवार को ये बच्चा छत्ता रेल चौक के पास अपनी मां से कुछ दूरी पर सोता हुआ मिला। उन्होंने बच्चे को अपने बेटे की तरह पालने के लिए उसका अपहरण कर लिया। अब पुलिस मामले की जांच कर कर रही है। इस कहानी का मार्मिक पहलू भी है, वो है बच्ची का अपने भाई के लिए प्यार और दूसरा बिना क्राइम किए भी मां-बाप अपनी बच्ची की इच्छा को पूरा कर सकते थे। एक बार जरा उनके बारे में सोचना चाहिए था, जिनके पास खाने को कुछ नहीं है और अगर उनसे उनकी औलाद छीन ली जाए तो उनका क्या हाल होगा? 
 

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